Site icon City Times Raigarh

“रायगढ़ विकास कार्यों की समीक्षा प्रशासन ने दी सख्त चेतावनी, तय समयसीमा में गुणवत्ता से काम करने के निर्देश”

 रायगढ़ जिले में विकास कार्यों की समयसीमा एवं गुणवत्ता पर प्रशासन के सख्त निर्देश

रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख औद्योगिक और प्रशासनिक केंद्र है। यहां लगातार सड़कों, भवनों, पुलों, जलापूर्ति योजनाओं और शिक्षा-संबंधी ढांचों के निर्माण कार्य चल रहे हैं। इन विकास परियोजनाओं की गुणवत्ता और समयसीमा को लेकर हाल ही में जिला प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की। बैठक में यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि “विकास कार्यों में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा” और हर कार्य को तय समय-सीमा में पूर्ण करना अनिवार्य है।


 समीक्षा बैठक का आयोजन

रायगढ़ कलेक्टर (जिला अधिकारी) की अध्यक्षता में यह समीक्षा बैठक जिला पंचायत सभागार में आयोजित की गई। इस बैठक में सभी प्रमुख विभागों —

बैठक में 2025-26 की योजनाओं के अंतर्गत चल रहे सभी प्रमुख निर्माण कार्यों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।


 प्रशासन का सख्त रुख

कलेक्टर ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि:

“जनता के पैसे से हो रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। ठेकेदारों की जवाबदेही तय की जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्यवाही की जाएगी।”

कलेक्टर ने यह भी कहा कि निर्माण कार्यों में उपयोग की जा रही सामग्रियों की गुणवत्ता की जांच प्रयोगशाला स्तर पर की जाएगी, और जो विभाग नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनकी फंडिंग रोकी जा सकती है।


 प्राथमिकता वाले विकास कार्य

बैठक में जिन योजनाओं पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए, उनमें मुख्य रूप से ये शामिल हैं –

  1. ग्रामीण सड़कों का निर्माण और मरम्मत बारिश के मौसम में क्षतिग्रस्त हुई ग्रामीण सड़कों को जल्द ठीक करने के आदेश दिए गए।

  2. पेयजल योजनाएं: कई गांवों में पानी की समस्या को देखते हुए पाइपलाइन बिछाने और बोरवेल मरम्मत कार्य को प्राथमिकता दी गई।

  3. शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों का उन्नयन सरकारी स्कूलों में भवन निर्माण कार्य व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) की मरम्मत तेजी से पूरी करने पर जोर दिया गया।

  4. शहरी क्षेत्रों में सीवरेज और सड़क कार्य नगर निगम क्षेत्र में हो रहे सीवरेज और सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांच का आदेश दिया गया।


 समयसीमा निर्धारण और निगरानी तंत्र

कलेक्टर ने सभी विभागों से कहा कि हर परियोजना की ‘कार्य प्रगति रिपोर्ट’ (Progress Report) हर 15 दिन में जिला कार्यालय में जमा की जाए।

इसके अलावा,


 भ्रष्टाचार और फर्जी बिलिंग पर लगाम

कई बार विकास कार्यों में “कागजों पर प्रगति” दिखाई जाती है, लेकिन जमीन पर परिणाम नहीं दिखते। इस पर भी कलेक्टर ने नाराज़गी जताई और कहा कि —

“फर्जी माप पत्रक (Measurement Book) या अधूरे कार्यों की बिलिंग करने वाले ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।”

उन्होंने सभी इंजीनियरों को निर्देश दिया कि हर बिलिंग से पहले स्थल निरीक्षण रिपोर्ट संलग्न करना अनिवार्य होगा।


 जनभागीदारी पर जोर

प्रशासन का कहना है कि केवल अधिकारी नहीं, बल्कि स्थानीय जनता की भागीदारी से ही विकास कार्यों की सच्ची निगरानी संभव है।

इस दिशा में कुछ पहल की गई है —


 उदाहरण देवरी और धरमजयगढ़ के प्रोजेक्ट

बैठक में धरमजयगढ़ और बरमकेला ब्लॉक के कुछ प्रोजेक्टों को “संतोषजनक” और कुछ को “असंतोषजनक” बताया गया।


 कलेक्टर का विज़न “गुणवत्ता = विश्वास”

कलेक्टर ने कहा कि विकास कार्य केवल पत्थर या सीमेंट का नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और भरोसे का निर्माण है। उन्होंने कहा कि हर अधिकारी को यह समझना चाहिए कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता ही सबसे बड़ा सुधार है।

“हमारा लक्ष्य केवल काम खत्म करना नहीं, बल्कि ऐसे काम करना है जो 10-15 साल तक टिके रहें और लोगों को वास्तविक लाभ पहुंचाएं।”


 तकनीक का उपयोग डिजिटल ट्रैकिंग और ड्रोन सर्वे

रायगढ़ प्रशासन अब विकास कार्यों की मॉनिटरिंग में तकनीकी साधनों का उपयोग बढ़ा रहा है।

इससे विभागों की जवाबदेही तय करने में आसानी होगी।


 स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया

कई ग्रामीण और नागरिक संगठनों ने प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया है।

हालांकि कुछ नागरिकों ने यह भी कहा कि “निर्माण कार्य की गुणवत्ता तभी सुधरेगी जब ठेकेदारों पर कड़ी निगरानी बनी रहे।”


 चुनौतियाँ अभी बाकी

हालांकि प्रशासनिक सख्ती के बावजूद कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं —

  1. ठेकेदारों की कमी और मनमानी दरें,

  2. बजट की देरी से मंजूरी,

  3. ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी स्टाफ की कमी,

  4. मौसम की वजह से कार्य रुकना।

इन चुनौतियों को देखते हुए प्रशासन ने वैकल्पिक योजनाएं तैयार करने की बात कही है।

रायगढ़ जिला प्रशासन की यह सख्ती और पारदर्शिता की पहल यह दर्शाती है कि शासन अब “समय पर और गुणवत्ता से कार्य” की नीति पर गंभीर है।

अगर यह दिशा बनी रही, तो रायगढ़ न केवल छत्तीसगढ़ का बल्कि पूरे मध्य भारत का एक विकास मॉडल जिला बन सकता है। जनता के सहयोग और प्रशासन की दृढ़ता से यह संभव है कि हर गांव, हर मोहल्ला विकास की रफ्तार से आगे बढ़े।

Next –

ऑटो किराया विवाद रात में तय किराए से ज्यादा पैसे वसूल रहे चालक, यात्रियों में आक्रोश

Exit mobile version