रायगढ़ में 257 किलो गांजा तस्करी का पर्दाफाश
तारीख 1 नवम्बर 2025
स्थान रायगढ़, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक बार फिर नशे के कारोबार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पुलिस ने नशा तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एक युवक को गिरफ्तार किया है, जिसके पास से लगभग 257 किलो गांजा बरामद किया गया है। यह पूरा माल एक हुंडई कार में छिपाकर ले जाया जा रहा था। रायगढ़ पुलिस की सतर्कता और चौकसी के कारण यह बड़ा तस्करी नेटवर्क पकड़ में आया।
घटना का खुलासा कैसे हुआ?
पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि ओडिशा से एक बड़ी मात्रा में गांजा रायगढ़ की ओर तस्करी के लिए लाया जा रहा है। सूचना पर तत्काल एसपी दिव्यांग पटेल के निर्देश पर विशेष टीम गठित की गई।
टीम में सदर थाना प्रभारी, साइबर सेल और क्राइम ब्रांच के अधिकारी शामिल थे। शहर के प्रवेश मार्गों पर वाहनों की सघन जांच शुरू की गई।
257 किलो गांजा तस्करी के आरोप में एक युवक को हुंडई कार सहित गिरफ्तार किया गया। npg
जांच के दौरान एक हुंडई i20 कार (नंबर CG-13/—) तेज रफ्तार से आती दिखाई दी। पुलिस ने रुकने का इशारा किया, लेकिन कार चालक ने वाहन को भगाने की कोशिश की। कुछ दूर पीछा करने के बाद पुलिस ने घेराबंदी कर कार को रोक लिया।
जब खुला गांजा तस्करी का राज
कार की तलाशी लेने पर अंदर बने फॉल्स बॉटम (नकली तले) से कुल 257 किलो गांजा बरामद किया गया। पुलिस ने बताया कि तस्कर ने कार में विशेष तरीके से चेंबर बनवाया था ताकि बाहर से देखने पर सामान दिखाई न दे।
गांजा की यह खेप ओडिशा के कोरापुट जिले से लाकर छत्तीसगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र रायगढ़ में सप्लाई की जा रही थी।
पुलिस ने गांजा, कार और मोबाइल फोन सहित अन्य सामग्री जब्त कर ली है। जब्त गांजे की बाजार कीमत लगभग ₹25–30 लाख आंकी जा रही है।
गिरफ्तार आरोपी कौन है?
पकड़ा गया आरोपी संजय कुमार महतो, उम्र लगभग 30 वर्ष, झारसुगुड़ा (ओडिशा) का निवासी बताया जा रहा है। प्रारंभिक पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि वह “बड़े नेटवर्क” का एक हिस्सा है। उसका काम केवल गांजा को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना था।
उसके अनुसार, ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाकों में कुछ गिरोह इस अवैध कारोबार में शामिल हैं, जो ट्रकों, पिकअप व छोटी कारों के माध्यम से गांजा की सप्लाई करते हैं।
पुलिस की प्रारंभिक जांच में क्या निकला?
जांच से यह सामने आया कि यह गिरोह पिछले 6 महीनों से सक्रिय है। रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर और अंबिकापुर तक इनकी सप्लाई चेन फैली हुई थी।
पुलिस को आरोपी के मोबाइल से कई ऐसे संपर्क मिले हैं जो पहले भी नशा तस्करी के मामलों में संलिप्त पाए गए हैं।
साइबर सेल अब मोबाइल कॉल डिटेल, बैंक ट्रांजैक्शन और जीपीएस लोकेशन की जांच कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जा सके।
कानूनी कार्रवाई
आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो कि 20 किलो से अधिक नशे के पदार्थ की तस्करी पर लागू होती है।
इस धारा के तहत 10 वर्ष तक की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
जिला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि रायगढ़ जिले में नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए “जीरो टॉलरेंस नीति” पर काम हो रहा है। आने वाले दिनों में पुलिस टीम सीमावर्ती जिलों और राज्य सीमाओं पर विशेष निगरानी बढ़ाएगी।
छत्तीसगढ़ में बढ़ती नशा तस्करी की समस्या
छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाके — खासकर ओडिशा, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से सटे क्षेत्रों — में गांजा तस्करी का नेटवर्क वर्षों से सक्रिय रहा है।
पिछले कुछ महीनों में ही रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, महासमुंद और बलौदाबाजार जिलों से कई बार बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किए गए हैं।
राज्य पुलिस के आंकड़ों के अनुसार,
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वर्ष 2024 में लगभग 7 टन गांजा पकड़ा गया था।
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वर्ष 2025 के पहले 10 महीनों में यह आंकड़ा 10 टन से अधिक पहुँच चुका है।
यह दर्शाता है कि राज्य में नशे के खिलाफ कार्रवाई तेज हुई है, लेकिन साथ ही यह समस्या भी जड़ें जमा रही है।
सामाजिक प्रभाव और चिंता
गांजा जैसे मादक पदार्थों का बढ़ता उपयोग समाज के लिए गंभीर चुनौती है।
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युवा वर्ग में इसकी लत अपराध और हिंसा की दिशा में धकेल रही है।
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नशे के कारण पारिवारिक संबंधों में टूटन और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
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तस्करी के नेटवर्क से जुड़कर बेरोजगार युवक “आसान पैसे” के लालच में अपराध की राह पकड़ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहाँ औद्योगिक और शैक्षणिक विकास समानांतर चल रहा है, वहां नशा-मुक्त समाज बनाना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है।
पुलिस और प्रशासन की भविष्य की रणनीति
पुलिस ने इस मामले के बाद कई नए कदम उठाने की घोषणा की है —
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सीमावर्ती जिलों में चौकसी विशेषकर ओडिशा सीमा से आने वाले वाहनों पर कड़ी निगरानी।
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इंटेलिजेंस नेटवर्क मजबूत करना ग्रामीण इलाकों में मुखबिरों की तैनाती बढ़ाई जाएगी।
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युवाओं के लिए जनजागरूकता अभियान स्कूल-कॉलेजों में “Say No To Drugs” कार्यक्रम।
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साइबर मॉनिटरिंग सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए होने वाले नशा तस्करी के प्रचार पर नज़र।
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साझा ऑपरेशन पड़ोसी राज्यों की पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद रायगढ़ शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में पुलिस की कार्रवाई की सराहना की जा रही है। लोगों ने कहा कि प्रशासन की यह सख्ती जरूरी थी क्योंकि पिछले कुछ महीनों में युवाओं में नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही थी।
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी जिला प्रशासन से मांग की है कि ऐसे मामलों में सख्त सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के अपराध की हिम्मत न करे।
रायगढ़ में 257 किलो गांजा जब्ती की यह घटना नशा तस्करी के खिलाफ पुलिस की बड़ी सफलता है।
इससे यह साफ हो गया है कि नशे का नेटवर्क अब छोटे वाहनों और स्थानीय परिवहन माध्यमों का भी उपयोग कर रहा है।
पुलिस की तत्परता और पेशेवर जांच ने न केवल एक बड़ी खेप को पकड़ा बल्कि संभवतः एक बड़े नेटवर्क के धागे भी खोल दिए हैं।
अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में प्रशासन किस तरह इन नेटवर्कों को जड़ से खत्म करने में कामयाब होता है। समाज को भी जागरूक होकर इस लड़ाई में शामिल होना पड़ेगा, तभी “नशा-मुक्त रायगढ़” का सपना साकार हो सकेगा।
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