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” रायगढ़ में सर्पदंश से बुजुर्ग की मौत और स्वास्थ्य व्यवस्था की चुनौतियाँ 5 बड़ी बातें “

रायगढ़ में सर्पदंश से बुजुर्ग की मौत – एक गम्भीर समस्या पर विचार

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला प्राकृतिक संपदा से भरपूर है। यहां घने जंगल, नदी-नाले और खेत-खलिहान बड़ी संख्या में मौजूद हैं। लेकिन यही प्राकृतिक विविधता कभी-कभी ग्रामीणों के लिए संकट भी बन जाती है। हाल ही में रायगढ़ से एक दुखद समाचार सामने आया, जिसमें सर्पदंश (साँप के काटने) से एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गई। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था और जागरूकता की स्थिति पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है।

रायगढ़ जिले में एक बुजुर्ग व्यक्ति सर्पदंश (साँप के काटने) से गंभीर रूप से घायलों हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। Navbharat Times


घटना का संक्षिप्त विवरण

रायगढ़ जिले के एक गांव में यह घटना घटी। बताया जाता है कि एक बुजुर्ग व्यक्ति शौच के लिए तालाब किनारे गए थे। वहीं झाड़ियों में छिपे विषैले साँप ने उन्हें काट लिया। ग्रामीणों ने तुरंत उन्हें नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन पर्याप्त प्राथमिक उपचार और समय पर एंटी-वेनम (Anti-Venom) इंजेक्शन न मिल पाने के कारण उनकी मौत हो गई।


रायगढ़ और सर्पदंश की समस्या


1. भौगोलिक और पर्यावरणीय कारण


2. ग्रामीण जीवन और जोखिम


3. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी


4. अंधविश्वास और जागरूकता की कमी


5. समाधान की दिशा

छत्तीसगढ़ में विशेषकर रायगढ़, जशपुर, बिलासपुर और रायपुर जिलों में हर साल सर्पदंश के मामले सामने आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या इसलिए ज्यादा होती है क्योंकि –

  1. खेत और झाड़ियों में काम करने वाले किसान और मजदूर सबसे ज्यादा जोखिम में रहते हैं।

  2. बरसात के मौसम में साँप घरों और खेतों के नज़दीक आ जाते हैं।

  3. ग्रामीण क्षेत्रों में तुरंत मेडिकल सुविधा या एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं होती।

  4. अंधविश्वास और देरी से अस्पताल पहुंचना भी मौत का कारण बनता है।


स्वास्थ्य व्यवस्था और चुनौतियाँ

1. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति


2. एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाएँ


3. जागरूकता और अंधविश्वास


4. स्वास्थ्य संसाधनों का असमान वितरण


5. सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन

इस घटना से एक बार फिर यह सवाल उठता है कि –

रायगढ़ जिले में कई बार ऐसी घटनाएँ सामने आ चुकी हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही आज भी बड़ी समस्या बनी हुई है।


जागरूकता और बचाव के उपाय

सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है, अगर लोग और प्रशासन कुछ बुनियादी बातों पर ध्यान दें –


1. व्यक्तिगत स्तर पर सावधानियाँ

  1. जूते और पूरी बाँह वाले कपड़े पहनें – खेत, जंगल या झाड़ियों में जाते समय हमेशा जूते और पूरी बाँह के कपड़े पहनें।

  2. टॉर्च या रोशनी का प्रयोग करें – रात में बाहर जाते समय टॉर्च साथ रखें ताकि साँप दिख सके।

  3. झाड़ियों की सफाई रखें – घर, खेत और तालाब के पास झाड़ियों और घास की नियमित सफाई करें।

  4. नंगे पाँव न चलें – खेतों, बगीचों और अंधेरी जगहों पर नंगे पाँव जाना खतरनाक हो सकता है।


2. प्राथमिक उपचार के उपाय

  1. घबराएँ नहीं – साँप काटने के बाद शांत रहें, क्योंकि घबराहट से जहर जल्दी फैलता है।

  2. टाइट कपड़े/धागा न बाँधें – प्रभावित हिस्से को कसकर बाँधने से और नुकसान हो सकता है।

  3. कटाई-चूसाई न करें – ज़हर चूसने या घाव काटने जैसी गलतियों से बचें।

  4. अस्पताल पहुँचें – तुरंत नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल जाएँ और डॉक्टर को साँप काटने की जानकारी दें।

  5. साँप की पहचान करने की कोशिश करें – यदि सुरक्षित हो तो साँप को देखें ताकि डॉक्टर को बताया जा सके कि किस प्रकार का विष हो सकता है।


3. सामाजिक स्तर पर उपाय

  1. गाँव में जागरूकता अभियान – पंचायत, स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में सर्पदंश से बचाव और इलाज की जानकारी दी जाए।

  2. स्थानीय हेल्थ वॉलंटियर्स – हर गाँव में कुछ लोगों को प्राथमिक उपचार और सर्पदंश प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाए।

  3. अंधविश्वास से बचें – झाड़-फूंक और तांत्रिक उपायों की जगह अस्पताल ले जाने की आदत डाली जाए।

  4. एंटी-वेनम की उपलब्धता – हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एंटी-वेनम इंजेक्शन अनिवार्य रूप से उपलब्ध हों।


सामाजिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी

1. प्रशासनिक जिम्मेदारी

  1. एंटी-वेनम की उपलब्धता – हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में पर्याप्त मात्रा में एंटी-वेनम दवाइयाँ हमेशा मौजूद रहनी चाहिए।

  2. एंबुलेंस और 108 सेवा की मजबूती – ग्रामीण इलाकों तक त्वरित एंबुलेंस सेवा पहुँचे और समय पर मरीज को जिला अस्पताल शिफ्ट किया जा सके।

  3. स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण – डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों को समय-समय पर सर्पदंश उपचार का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

  4. जनजागरूकता अभियान – जिला प्रशासन को स्कूलों, पंचायत भवनों और ग्राम सभाओं के माध्यम से लोगों को सर्पदंश से बचाव और प्राथमिक उपचार की जानकारी देनी चाहिए।

  5. डेटा प्रबंधन और मॉनिटरिंग – कितने लोग सर्पदंश से प्रभावित हुए और कितनों की मौत हुई, इसका नियमित आंकड़ा रखा जाए ताकि सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।


2. सामाजिक जिम्मेदारी

  1. अंधविश्वास से दूरी – ग्रामीण समाज को यह समझना होगा कि झाड़-फूंक या तांत्रिक उपाय से सर्पदंश का इलाज संभव नहीं है। केवल समय पर अस्पताल पहुँचाना ही जीवन बचा सकता है।

  2. ग्रामीण स्तर पर जागरूकता – गाँव के शिक्षक, सरपंच, समाजसेवी और युवा मिलकर लोगों को सर्पदंश से बचाव और इलाज की जानकारी दें।

  3. सामुदायिक सहयोग – अगर किसी को साँप काट ले तो गाँव के लोग मिलकर तुरंत उसे अस्पताल पहुँचाने में सहयोग करें, न कि परंपरागत मान्यताओं में उलझें।

  4. पर्यावरण प्रबंधन – गाँवों में घरों और खेतों के आसपास झाड़ियों की सफाई और रोशनी का इंतजाम हो ताकि साँप छिपकर हमला न कर सकें।


3. सामूहिक प्रयास का महत्व

सिर्फ सरकार या प्रशासन अकेले इस समस्या का समाधान नहीं कर सकते। समाज और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा।

सिर्फ स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, बल्कि स्थानीय प्रशासन, पंचायत और सामाजिक संगठनों को भी इस विषय पर आगे आना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करना और लोगों को अंधविश्वास से दूर रखना अत्यंत आवश्यक है।

रायगढ़ में सर्पदंश से बुजुर्ग की मौत केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि एक सामाजिक और प्रशासनिक विफलता का परिणाम है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमने ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को वास्तव में मजबूत किया है? आने वाले समय में यदि सरकार, स्वास्थ्य विभाग और समाज मिलकर कदम उठाए, तो ऐसी कई अनावश्यक मौतों को रोका जा सकता है।

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