रायगढ़ की दर्दनाक घटना 9वीं कक्षा की छात्रा ने नदी में कूदकर की आत्महत्या परिवार और समाज में गहरा सदमा

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। यहां 9वीं कक्षा की एक छात्रा ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। यह घटना न केवल परिवार बल्कि पूरे इलाके को झकझोर देने वाली है। एक मासूम जिसने अभी जीवन की शुरुआत भी ठीक से नहीं की थी, उसने खुद अपना अंत चुन लिया।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और हर संभावित पहलू—घर, स्कूल, सोशल सर्कल, और मानसिक तनाव—की पड़ताल की जा रही है।
9वीं की छात्रा ने आत्महत्या की: रायगढ़ में एक 9वीं कक्षा की छात्रा ने नदी में कूदकर जान दे दी, मामले की पुलिस द्वारा गुत्थी सुलझाने में जुटी। raigarhtopnews.com
घटना का स्थान और समय
यह घटना रायगढ़ जिले के खरसिया थाना क्षेत्र के पास की है, जहां बहने वाली कोयल नदी में छात्रा का शव रविवार सुबह स्थानीय लोगों को मिला। ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
छात्रा शनिवार शाम से लापता थी। परिवार ने सोचा कि वह शायद किसी सहेली के घर गई होगी, लेकिन जब देर रात तक घर नहीं लौटी तो परिजन घबरा गए। सुबह नदी किनारे उसकी साइकिल और स्कूल बैग मिलने पर सब कुछ साफ हो गया — छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी।
मृतका की पहचान
मृतका की पहचान राधिका साहू (उम्र 15 वर्ष) के रूप में हुई है, जो सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय, खरसिया में 9वीं कक्षा की छात्रा थी।
वह पढ़ाई में होनहार बताई जा रही थी और हाल ही में हुए अर्धवार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए थे।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
राधिका के पिता एक निजी कंपनी में काम करते हैं और मां गृहिणी हैं। परिवार में तीन भाई-बहन हैं और राधिका सबसे बड़ी थी।
परिजनों ने बताया कि वह पिछले कुछ दिनों से काफी चुप-चुप रहती थी, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगी।
उसकी मां ने पुलिस को बताया —
“वह हर सुबह जल्दी उठती थी, पढ़ाई करती थी, लेकिन पिछले दो दिन से उदास थी। हमने पूछा तो बोली कुछ नहीं हुआ, पर अंदर ही अंदर कुछ बात थी जो वह किसी से कह नहीं पाई।”
पुलिस जांच और शुरुआती निष्कर्ष
पुलिस ने घटनास्थल से छात्रा का बैग, पानी की बोतल और एक छोटा नोटबुक जब्त किया है।
हालांकि कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन नोटबुक के एक पन्ने पर लिखा था —
“अब और नहीं सहा जाता।”
इस एक पंक्ति ने पूरे मामले को गंभीर बना दिया है। पुलिस ने आत्महत्या के कारणों की गुत्थी सुलझाने के लिए स्कूल स्टाफ, सहपाठियों और परिवार से पूछताछ शुरू की है।
संभावित कारण — मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
पुलिस और बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार, किशोरावस्था में बच्चे कई कारणों से भावनात्मक असंतुलन का शिकार हो जाते हैं।
इस मामले में कुछ संभावित कारण हो सकते हैं —
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अकादमिक दबाव: स्कूल की परीक्षाओं या अपेक्षाओं से जुड़ा तनाव।
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सामाजिक तुलना: दोस्तों के बेहतर प्रदर्शन से मानसिक असंतुलन।
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माता-पिता से संवाद की कमी।
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सोशल मीडिया पर नेगेटिव प्रभाव या साइबर बुलिंग।
विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर किशोर अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते, और जब उन्हें सहारा नहीं मिलता तो वे चरम कदम उठा लेते हैं।
परिवार और समाज में शोक की लहर
घटना के बाद पूरा गांव शोक में डूबा है। स्कूल में सुबह की प्रार्थना सभा में सभी छात्र और शिक्षक दो मिनट का मौन रखकर राधिका को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानाचार्य ने कहा —
“राधिका एक अनुशासित और संवेदनशील बच्ची थी। हमें विश्वास नहीं हो रहा कि वह ऐसा कर सकती है। यह पूरे स्कूल के लिए एक सीख है कि हम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दें।”
प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही जिला बाल कल्याण समिति (CWC) और महिला एवं बाल विकास विभाग की टीमें सक्रिय हो गई हैं।
उन्होंने परिवार को परामर्श देने और अन्य बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
स्थानीय सामाजिक संस्था “मानस संवाद रायगढ़” के सदस्य मनोवैज्ञानिक रचना दुबे ने कहा —
“हमारे समाज में बच्चों की भावनाओं को अक्सर हल्के में लिया जाता है। छोटी-छोटी बातें जो उन्हें गहरी लगती हैं, हमें मामूली लगती हैं। यही असमानता उन्हें भीतर से तोड़ देती है।”
कानून और सरकारी दिशा-निर्देश
भारत में किशोर आत्महत्याओं की रोकथाम के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं —
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राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) के तहत हर जिले में परामर्श केंद्र खोलने की योजना है।
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1098 (चाइल्ड हेल्पलाइन) पर 24×7 मदद उपलब्ध है।
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स्कूलों में काउंसलर नियुक्ति को अनिवार्य बनाया गया है, हालांकि रायगढ़ के कई स्कूलों में यह अभी लागू नहीं हुआ है।
इस घटना के बाद प्रशासन ने भी आश्वासन दिया है कि स्कूल स्तर पर “मेंटल हेल्थ अवेयरनेस कैंप” आयोजित किए जाएंगे।
आंकड़ों से समझें समस्या
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार:
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वर्ष 2023 में भारत में 13,000 से अधिक छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की।
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इसमें 68% मामले 15 से 19 वर्ष आयु वर्ग के थे।
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छत्तीसगढ़ में यह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
रायगढ़ जिले में पिछले एक वर्ष में यह तीसरा छात्र आत्महत्या मामला है — जो बताता है कि मानसिक स्वास्थ्य अब गंभीर जनसमस्या बन चुका है।
क्या कहता है समाज?
रायगढ़ के लोगों में इस घटना को लेकर गहरी संवेदना है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“हमें बच्चों से सिर्फ अच्छे अंक नहीं, बल्कि खुश और स्वस्थ मन भी चाहिए।”
स्थानीय अभिभावक संघ ने मांग की है कि स्कूलों में “भावनात्मक शिक्षा” (Emotional Education) को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।
मनोवैज्ञानिक संदेश
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसी घटनाओं से रोकथाम के लिए माता-पिता को चाहिए कि वे:
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बच्चों के व्यवहार में बदलाव को गंभीरता से लें।
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“सब ठीक है” जैसी बातों के पीछे छिपे दर्द को समझें।
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स्कूलों को चाहिए कि नियमित रूप से काउंसलिंग सत्र चलाएँ।
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मीडिया को आत्महत्या की खबरों को संवेदनशीलता से प्रकाशित करना चाहिए, सनसनीखेज नहीं।
राधिका की आत्महत्या सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए आत्ममंथन का क्षण है।
यह घटना यह संदेश देती है कि मानसिक स्वास्थ्य को अब “मूड स्विंग” कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
हम सभी को मिलकर ऐसा वातावरण बनाना होगा जहां बच्चे अपने मन की बात खुलकर कह सकें, जहां उनके डर और तनाव को सुना जाए।
जीवन की हर कठिनाई का समाधान है — लेकिन आत्महत्या कभी समाधान नहीं हो सकती।
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