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“रायगढ़ की 5 बड़ी पहल नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा संचालन और विकास की नई रणनीति”

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा संचालन – रायगढ़ की सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी पहल

रायगढ़ और उसके आसपास के जिले छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की चुनौती हमेशा बनी रहती है। राज्य सरकार और सुरक्षा बल लगातार ऐसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं, ताकि आम नागरिक सुरक्षित रह सकें और नक्सल गतिविधियों पर काबू पाया जा सके। हाल ही में रायगढ़ जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एक बड़े सुरक्षा संचालन की खबर आई, जिसने स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों की सक्रियता को उजागर किया।


घटना और संचालन का विवरण

रायगढ़ जिला लंबे समय से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सीमाओं से जुड़ा रहा है। यहाँ नक्सलियों की गतिविधियाँ समय-समय पर प्रशासन और आम नागरिकों के लिए चिंता का विषय बनी रही हैं। हाल ही में जिला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने एक विशेष सुरक्षा अभियान (Security Operation) शुरू किया, जिसका उद्देश्य नक्सल प्रभाव को कम करना और जनता में विश्वास पैदा करना है।


 घटना का विवरण

  • सुरक्षा एजेंसियों को खुफिया इनपुट मिला कि सीमावर्ती जंगलों में नक्सलियों की गतिविधियाँ बढ़ रही हैं।

  • इस इनपुट के आधार पर पुलिस, CRPF और STF ने संयुक्त रूप से एक ऑपरेशन की योजना बनाई।

  • संभावित छिपने के ठिकानों, पहाड़ी और जंगल इलाकों में कम्बिंग ऑपरेशन (सघन तलाशी) चलाया गया।

  • ऑपरेशन के दौरान संदिग्ध सामग्रियाँ, पर्चे और नक्सलियों द्वारा उपयोग की जाने वाली अस्थायी कैंप सामग्री बरामद की गई।


 संचालन का विवरण

  1. सुरक्षा बलों की तैनाती – नक्सल प्रभावित गांवों और सीमावर्ती इलाकों में पुलिस बल और CRPF जवानों की अतिरिक्त तैनाती की गई।

  2. तकनीकी सहायता – ड्रोन और GPS आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम का उपयोग किया गया ताकि नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।

  3. ग्रामीण संवाद – अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने गाँव-गाँव जाकर ग्रामीणों से बातचीत की और भरोसा दिलाया कि उनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।

  4. विकास जोड़ने की कोशिश – अभियान के साथ-साथ प्रशासन ने स्वास्थ्य शिविर, शिक्षा और रोजगार संबंधी योजनाओं की जानकारी भी ग्रामीणों को दी।

  5. महिला और युवाओं पर फोकस – महिला सुरक्षा और युवाओं को नक्सली प्रभाव से बचाने के लिए विशेष काउंसलिंग की व्यवस्था की गई।

रायगढ़ जिले के जंगल और आदिवासी इलाके नक्सल प्रभावित माने जाते हैं। सुरक्षा बलों ने इन क्षेत्रों में गुप्त और विस्तृत संचालन किया। इस अभियान के दौरान

  • नक्सलियों के ठिकानों और छुपे हुए इलाकों की तलाशी ली गई

  • विस्फोटक सामग्री, हथियार और नकली दस्तावेज बरामद किए गए।

  • सुरक्षा बलों ने संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हुए इलाके में सुरक्षा चेकपोस्ट स्थापित किए।

इस संचालन का उद्देश्य केवल नक्सलियों को गिरफ्तार करना नहीं था, बल्कि स्थानीय लोगों को भी सुरक्षित वातावरण देना था।


पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों की भूमिका सबसे अहम होती है। रायगढ़ प्रशासन ने हाल ही में जो सुरक्षा संचालन चलाया, उसमें पुलिस, CRPF और विशेष टास्क फोर्स (STF) ने मिलकर कई ठोस कदम उठाए।


 तलाशी और गश्त अभियान

  • जंगल और पहाड़ी इलाकों में लगातार कम्बिंग ऑपरेशन (Combing Operation) चलाया गया।

  • सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के संभावित ठिकानों और छिपने की जगहों को खंगाला।

  • कई संदिग्धों से पूछताछ की गई और खुफिया इनपुट इकट्ठा किए गए।


 हथियार और सामग्री की बरामदगी

  • तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के अस्थायी शिविर से

    • पर्चे और प्रचार सामग्री

    • तीर-धनुष, देशी बंदूकें

    • विस्फोटक बनाने की सामग्री
      बरामद की।


 सुरक्षा चौकियों की स्थापना

  • नक्सल प्रभावित इलाकों में नई पुलिस चौकियाँ और कैम्प स्थापित किए गए।

  • इससे सुरक्षा बलों की मौजूदगी लगातार बनी रहेगी और नक्सलियों की गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।


 ग्रामीणों से सहयोग

  • पुलिस और CRPF ने ग्रामीणों से संवाद स्थापित कर भरोसा दिलाया कि वे सुरक्षित हैं।

  • “जन संवाद” और “गाँव सुरक्षा बैठक” के माध्यम से ग्रामीणों को नक्सलियों के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रोत्साहित किया गया।


 विशेष प्रशिक्षण और तकनीक

  • पुलिस और सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियारों और नाइट विज़न डिवाइस, ड्रोन सर्विलांस, GPS ट्रैकिंग जैसी तकनीक से लैस किया गया।

  • जवानों को जंगल युद्ध और एंटी-नक्सल ऑपरेशन का विशेष प्रशिक्षण दिया गया।

इस अभियान में रायगढ़ जिले के पुलिस और सीआरपीएफ (Central Reserve Police Force) की संयुक्त टीम ने भाग लिया। संचालन के दौरान:

  • नक्सलियों के संभावित हमलों को रोकने के लिए इलाके में सुरक्षा घेराबंदी की गई।

  • स्थानीय लोगों से सहयोग और सूचना जुटाई गई, जिससे संदिग्ध गतिविधियों की सही पहचान हो सके।

  • बार-बार इलाके में पैट्रोलिंग और निगरानी बढ़ाई गई।

सुरक्षा बलों ने यह भी स्पष्ट किया कि नागरिकों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं होगी और किसी भी अप्रिय घटना से बचाव के लिए पहले से ही अलर्ट रखा गया था।


नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की चुनौती

रायगढ़ जैसे जिलों में नक्सल समस्या जटिल है क्योंकि

  • यह क्षेत्र जंगलों और दुर्गम इलाकों से घिरा है।

  • स्थानीय जनजीवन पर नक्सलियों का डर और दबाव होता है।

  • सुरक्षा बलों की तैनाती और गुप्त निगरानी समान रूप से आवश्यक है।

इसलिए सुरक्षा संचालन केवल गिरफ्तारियों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि स्थानीय सुरक्षा और विकास योजनाओं के माध्यम से भी नक्सलवाद को कम किया जा सकता है।


स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

रायगढ़ में चलाए गए हालिया सुरक्षा अभियान को लेकर स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाएँ अलग-अलग रहीं। एक तरफ लोगों ने राहत और सुरक्षा की भावना जाहिर की, तो दूसरी ओर कुछ ने अपनी आशंकाएँ भी सामने रखीं।


 राहत और विश्वास की भावना

  • ग्रामीणों का कहना है कि लगातार गश्त और पुलिस चौकी की स्थापना से उन्हें पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस हो रहा है।

  • कई लोगों ने कहा कि अब बच्चे निडर होकर स्कूल जा पा रहे हैं और किसान खेतों में देर शाम तक काम कर रहे हैं।

  • कुछ गाँवों में महिलाओं ने बताया कि सुरक्षा बलों के आने से रात में भी गाँवों में भय का माहौल कम हुआ है।


 विकास की उम्मीदें

  • लोगों का मानना है कि सुरक्षा बलों की उपस्थिति से अब सड़क, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएँ तेज़ी से पहुँचेंगी।

  • युवाओं का कहना है कि अगर रोजगार और शिक्षा की सुविधाएँ मिलें तो वे नक्सलवाद की राह कभी नहीं चुनेंगे।


आशंकाएँ और चुनौतियाँ

  • कुछ ग्रामीणों को डर है कि नक्सली बदले की कार्रवाई कर सकते हैं, जिससे गाँव फिर से असुरक्षित हो सकता है।

  • गरीब और पिछड़े परिवारों का मानना है कि केवल सुरक्षा ही नहीं, बल्कि स्थायी विकास जरूरी है, वरना हालात दोबारा बिगड़ सकते हैं।


प्रशासन से अपेक्षाएँ

  • स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से माँग की है कि सुरक्षा अभियान के साथ-साथ रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं को भी प्राथमिकता दी जाए।

  • ग्रामीण चाहते हैं कि पुलिस केवल ऑपरेशन तक सीमित न रहे, बल्कि समय-समय पर गाँवों से संवाद भी बनाए रखे।

सुरक्षा अभियान के बाद ग्रामीणों ने प्रशासन और सुरक्षा बलों की तारीफ की। उनका कहना है कि:

  • इससे उनका जीवन सुरक्षित हुआ है।

  • अब वे खुले तौर पर खेती और अन्य गतिविधियाँ कर सकते हैं।

  • स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे सुरक्षा के साथ सामाजिक और विकास संबंधी उपाय भी लागू करें।


भविष्य की दिशा

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति लाने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं

  1. सुरक्षा बलों का नियमित अभियान – इलाकों में पैट्रोलिंग और निगरानी।

  2. स्थानीय विकास योजनाएँ – शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ाना।

  3. सामाजिक जागरूकता अभियान – युवाओं को नक्सल गतिविधियों से दूर रखने के लिए कार्यक्रम।

  4. जनभागीदारी बढ़ाना – ग्रामीणों से सुरक्षा संबंधी जानकारी और सहयोग।

रायगढ़ जिले में हाल ही में किए गए सुरक्षा संचालन ने दिखाया कि प्रशासन और सुरक्षा बल नक्सलवाद के खिलाफ सक्रिय और सतर्क हैं। इस अभियान ने न केवल नक्सलियों को चेताया बल्कि स्थानीय नागरिकों को सुरक्षित वातावरण भी प्रदान किया। हालांकि, स्थायी समाधान के लिए सुरक्षा, विकास और समाजिक भागीदारी का संतुलित प्रयास आवश्यक है।

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