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धनतेरस 2025 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खरीदारी गाइड

धनतेरस 2025 शुभ मुहूर्त, परंपरा और त्योहार की पूरी जानकारी

भारत में अक्टूबर का महीना त्योहारों की रौनक लेकर आता है और इस श्रृंखला में धनतेरस का विशेष महत्व है। वर्ष 2025 में धनतेरस 18 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। यह दीवाली पर्व का पहला दिन माना जाता है और इसे धन और स्वास्थ्य की देवी-देवताओं की पूजा के लिए समर्पित किया गया है।

धनतेरस का अर्थ है — “धन का तीसरा दिन”। इस दिन धन, सोना, चांदी और स्वास्थ्य संबंधी वस्तुओं की पूजा की जाती है। धनतेरस को लेकर कई मान्यताएँ और परंपराएँ हैं, जो आज भी भारतीय समाज में जीवंत हैं।

 पर्व-सामयिकी: आज है धनतेरस, शुभ मुहूर्त जारीआज धनतेरस मनाया जा रहा है — खरीद-बेच, पूजा-आराधना के लिए विशेष मुहूर्त बताए गए हैं। The Times of India+1


धनतेरस का पर्व-सामयिकी (Timings & Dates)

धनतेरस का त्योहार अमावस्या या त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है।
वर्ष 2025 में

इस दौरान धनतेरस पूजा करने का सबसे शुभ समय (मुहूर्त) सुबह 07:45 बजे से 09:15 बजे तक माना जाता है।


धनतेरस का महत्व

धनतेरस का त्यौहार दो मुख्य देवताओं से जुड़ा है

  1. धन्वंतरि भगवान — आयुर्वेद के जनक और स्वास्थ्य के देवता। मान्यता है कि धन्वंतरि अमृत कलश लेकर धरती पर आए थे। इस दिन उनकी पूजा करने से स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति मिलती है।

  2. लक्ष्मी माता — धन और समृद्धि की देवी। इस दिन उनका पूजन करके घर में धन-समृद्धि और सुख-शांति के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

धनतेरस के दिन सोना, चांदी, धातु और नए बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से सौभाग्य और आर्थिक उन्नति की प्राप्ति होती है।


धनतेरस पर खरीदारी की परंपरा

धनतेरस पर सबसे प्रमुख क्रियाएँ हैं —

  1. सोना और चांदी खरीदना

    • मणि और गहनों की खरीदारी शुभ मानी जाती है।

    • नए सिक्के, गहने और चांदी के बर्तन घर में लाने से आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।

  2. धातु और बर्तन खरीदना

    • इस दिन नए बर्तन खरीदने से घर में सौभाग्य और लक्ष्मी का वास होता है।

    • पुराने बर्तन बदलकर नए बर्तन लाने की परंपरा भी प्रचलित है।

  3. स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक वस्तुएँ

    • धन्वंतरि भगवान के पूजन के अवसर पर हर्बल तेल, औषधियाँ और आयुर्वेदिक सामग्री खरीदना शुभ माना जाता है।


धनतेरस पूजन विधि

धनतेरस की पूजा सरल और प्रभावशाली होती है। मुख्य कदम हैं:

  1. साफ-सफाई और सजावट

    • पूजा स्थल को साफ करें और रंगोली बनाएं।

    • दीपक और मोमबत्तियों से सजावट करें।

  2. पूजा सामग्री

    • सोना, चांदी, नए बर्तन, सिक्के

    • धान, मूँगफली, हल्दी, पुष्प और अक्षत

    • दीपक, रोली और नैवेद्य (मिठाइयाँ)

  3. पूजा क्रम

    • सबसे पहले धन्वंतरि भगवान की पूजा करें।

    • उसके बाद लक्ष्मी माता और कुबेर भगवान की पूजा करें।

    • दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार और पूजा स्थान पर रखें।

  4. मुख्य मंत्र और स्तुति

    • “ॐ धन्वंतरये नमः” — धन्वंतरि भगवान के लिए

    • “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” — लक्ष्मी माता के लिए


धनतेरस और स्वास्थ्य

धनतेरस केवल धन की प्राप्ति का पर्व नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य का पर्व भी है।

विशेषकर दीवाली और धनतेरस के आसपास स्वास्थ्य जाँच शिविर कई शहरों में आयोजित किए जाते हैं।


धनतेरस और बाजार

धनतेरस पर बाजारों में अत्यधिक भीड़ और उत्साह देखा जाता है।

विशेष रूप से रायगढ़, दिल्ली, जयपुर, कोलकाता और मुंबई में धनतेरस के अवसर पर खरीदारी का माहौल देखने लायक होता है।

परिवार और सामाजिक जीवन

धनतेरस बच्चों और परिवार के लिए विशेष आनंद लेकर आता है।


धनतेरस के प्रमुख उपाय और शुभ संकेत

  1. सोने और चांदी के सिक्के घर में रखें — धन की वृद्धि।

  2. दीपक और मोमबत्ती जलाएं — बुराई और अंधकार का नाश।

  3. नए बर्तन और वस्तुएँ लाएं — समृद्धि का प्रतीक।

  4. रात को सफाई और पूजा के बाद दीपक जलाएं — लक्ष्मी माता का आशीर्वाद।


धनतेरस की पौराणिक कथा

कहा जाता है कि चंद्र और देवी लक्ष्मी ने सोना और रत्नों के महत्व को बताया।


आधुनिक दृष्टिकोण

आज के समय में धनतेरस केवल धार्मिक उत्सव नहीं रह गया है।

धनतेरस न केवल धन और समृद्धि का पर्व है, बल्कि यह स्वास्थ्य, परिवार और सामाजिक मेल-जोल का भी प्रतीक है।
18 अक्टूबर 2025 को मनाए जाने वाले इस पर्व के शुभ मुहूर्त में घर में पूजा करना, नए बर्तन और धातु खरीदना और दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
यह त्योहार हमारे जीवन में ज्ञान, प्रकाश, समृद्धि और स्वास्थ्य लेकर आता है।

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