छत्तीसगढ़ की बेटियों का दमदार प्रदर्शन — 16वीं नेशनल थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में राज्य ने हासिल किया तीसरा स्थान
खेल में उभरता छत्तीसगढ़ का नाम
भारत के खेल जगत में छत्तीसगढ़ ने हाल के वर्षों में कई नए आयाम स्थापित किए हैं। चाहे बात हॉकी की हो, एथलेटिक्स की या पारंपरिक भारतीय मार्शल आर्ट्स की — अब इस सूची में थाई बॉक्सिंग का नाम भी मजबूती से जुड़ गया है। हाल ही में आयोजित 16वीं नेशनल थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ राज्य ने तीसरा स्थान हासिल कर इतिहास रच दिया।
इस जीत की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें महिला खिलाड़ियों का योगदान बेहद सराहनीय रहा। उन्होंने न केवल पदक जीते, बल्कि अपने जज्बे और संघर्ष से राज्य का नाम रोशन किया।
खेल संस्कृति में बदलाव
राज्य में पहले खेलों को केवल मनोरंजन या स्कूल-स्तरीय गतिविधि के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब यह दृष्टिकोण बदल रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने खेलों को एक करियर और रोजगार के अवसर के रूप में प्रोत्साहित करना शुरू किया है।
आज, ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक युवा खेलों के प्रति जागरूक हैं और विभिन्न खेल अकादमियों में नियमित प्रशिक्षण ले रहे हैं।
खेल अधोसंरचना में सुधार
राज्य सरकार ने हाल के वर्षों में खेलों के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं—
-
राज्य स्तरीय खेल परिसर रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में स्थापित किए गए हैं।
-
मिनी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स रायगढ़, कोरबा और जशपुर जैसे जिलों में बनाए गए हैं।
-
खिलाड़ियों को आधुनिक उपकरण और फिजिकल ट्रेनिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
-
‘खेलो छत्तीसगढ़ मिशन’ के तहत ग्रामीण स्तर पर खेल प्रतिभाओं की खोज की जा रही है।
प्रतिभा पहचान और प्रशिक्षण कार्यक्रम
राज्य खेल विभाग ने “स्पोर्ट्स टैलेंट हंट” जैसी योजनाएँ चलाई हैं, जिनसे ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के प्रतिभाशाली खिलाड़ी सामने आ रहे हैं।
इन खिलाड़ियों को राज्य अकादमियों में मुफ्त कोचिंग, डाइट और होस्टल सुविधाएँ दी जाती हैं।
उदाहरण के लिए —
-
बस्तर के आदिवासी क्षेत्र से निकले धावक अब राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं।
-
रायगढ़ और दुर्ग की लड़कियाँ बॉक्सिंग, कबड्डी और ताइक्वांडो में राज्य का नाम रोशन कर रही हैं।
महिला खिलाड़ियों का उदय
छत्तीसगढ़ में महिला खिलाड़ियों की संख्या और उपलब्धियाँ तेजी से बढ़ी हैं।
थाई बॉक्सिंग, कबड्डी, वॉलीबॉल, हॉकी और एथलेटिक्स में छत्तीसगढ़ की बेटियों ने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं।
राज्य सरकार ने महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष छात्रवृत्ति और पुरस्कार नीति लागू की है, जिससे उन्हें खेल जारी रखने की प्रेरणा मिल रही है।
आर्थिक और सामाजिक प्रोत्साहन
-
राज्य में पदक विजेता खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी और नकद पुरस्कार दिए जा रहे हैं।
-
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए विशेष प्रशिक्षण अनुदान की व्यवस्था की गई है।
-
कई निजी संस्थान और उद्योग भी अब खेल प्रतिभाओं को स्पॉन्सर कर रहे हैं।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ
पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य का नाम रौशन किया है —
-
थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 में तीसरा स्थान।
-
नेशनल हॉकी टूर्नामेंट में राज्य की टीम ने सेमीफाइनल तक जगह बनाई।
-
राष्ट्रीय कबड्डी और खो-खो प्रतियोगिताओं में राज्य ने लगातार पदक जीते।
-
भारोत्तोलन (Weightlifting) और एथलेटिक्स में भी छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहे हैं।
खेल पर्यटन और स्थानीय पहचान
खेलों के माध्यम से अब छत्तीसगढ़ की पहचान एक स्पोर्ट्स-फ्रेंडली राज्य के रूप में बनने लगी है।
राज्य के कुछ क्षेत्र — जैसे रायगढ़, कोरबा, बस्तर और धमतरी — खेल प्रशिक्षण और आयोजन केंद्रों के रूप में प्रसिद्ध हो रहे हैं।
खिलाड़ियों की प्रेरक कहानियाँ
कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा मुकाम हासिल किया —
-
सोनाली यादव (रायगढ़) — थाई बॉक्सिंग में राष्ट्रीय स्तर की गोल्ड मेडलिस्ट।
-
अभिषेक मिश्रा (दुर्ग) — वेटलिफ्टिंग में नेशनल ब्रॉन्ज विजेता।
-
रितिका ध्रुव (बिलासपुर) — कबड्डी में राष्ट्रीय टीम की सदस्य।
इन खिलाड़ियों ने यह साबित किया है कि “अगर जुनून हो, तो छत्तीसगढ़ की मिट्टी से भी चैंपियन निकलते हैं।”
थाई बॉक्सिंग क्या है?
थाई बॉक्सिंग, जिसे मुए थाई (Muay Thai) भी कहा जाता है, थाईलैंड की पारंपरिक मार्शल आर्ट है, जो अब दुनिया भर में लोकप्रिय हो चुकी है। इसमें हाथ, पैर, घुटने और कोहनी का प्रयोग आत्मरक्षा और खेल तकनीक के रूप में किया जाता है।
भारत में यह खेल पिछले कुछ वर्षों से तेजी से लोकप्रिय हुआ है, खासकर युवाओं और महिलाओं के बीच।
छत्तीसगढ़ में भी कई जिलों में थाई बॉक्सिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है, जैसे रायगढ़, रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, दुर्ग और बस्तर। इन इलाकों के कोचों और प्रशिक्षकों ने खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है।
16वीं नेशनल थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप — आयोजन और माहौल
इस वर्ष की 16वीं नेशनल थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप का आयोजन नई दिल्ली में किया गया। देशभर से लगभग 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की टीमों ने इसमें भाग लिया।
प्रतियोगिता में 500 से अधिक खिलाड़ियों ने अपनी क्षमता दिखाई। मुकाबले बेहद रोमांचक और ऊर्जावान रहे। हर राज्य की कोशिश थी कि वह अधिक से अधिक पदक जीतकर अपने क्षेत्र का नाम रोशन करे।
छत्तीसगढ़ की टीम ने इस प्रतियोगिता में बेहतरीन तालमेल, फिटनेस और फाइटिंग तकनीक दिखाई, जिसके दम पर राज्य को तीसरा स्थान मिला।
छत्तीसगढ़ की टीम का प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ की टीम में पुरुष और महिला दोनों वर्गों के खिलाड़ी शामिल थे, लेकिन महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा।
महिला वर्ग में राज्य की खिलाड़ियों ने 8 स्वर्ण, 5 रजत और 7 कांस्य पदक जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।
प्रमुख महिला खिलाड़ी और उनके उपलब्धियां
-
सोनाली यादव (रायगढ़) — 52 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक
-
अंजलि वर्मा (दुर्ग) — 60 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक
-
प्रियंका ठाकुर (रायपुर) — 48 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक
-
श्वेता साहू (बिलासपुर) — 54 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक
-
काजल पटेल (कोरबा) — 63 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक
इन खिलाड़ियों ने कठिन प्रशिक्षण और आत्मविश्वास के साथ अपने मुकाबले खेले। कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार भाग लिया था, फिर भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया।
कोच और प्रशिक्षकों की भूमिका
हर बड़ी उपलब्धि के पीछे मेहनती कोचों और प्रशिक्षकों का भी हाथ होता है। छत्तीसगढ़ टीम के प्रमुख कोच राजेश देवांगन और सहायक कोच मीना साहू ने खिलाड़ियों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया।
राजेश देवांगन ने कहा —
“हमारी महिला खिलाड़ियों ने जिस आत्मविश्वास और ऊर्जा के साथ मुकाबला किया, वह प्रेरणादायक है। अब हमारा अगला लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का झंडा बुलंद करना है।”
राज्य सरकार और खेल विभाग की भूमिका
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा हाल के वर्षों में खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की गई हैं —
-
खेलो छत्तीसगढ़ अभियान
-
राज्य स्तरीय प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना
-
महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष स्कॉलरशिप योजना
-
खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता और यात्रा भत्ता
राज्य खेल मंत्री ने इस उपलब्धि पर कहा —
“छत्तीसगढ़ की बेटियों ने साबित कर दिया है कि संकल्प और मेहनत से कोई भी मंज़िल पाई जा सकती है। सरकार इन खिलाड़ियों को आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयारी के लिए हर संभव मदद देगी।”
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
इस प्रतियोगिता में महिला खिलाड़ियों की उपलब्धि सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण की एक बड़ी मिसाल भी बनी।
ग्रामीण इलाकों की कई खिलाड़ियों ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद राज्य के लिए पदक जीते।
यह जीत उन परिवारों के लिए भी गर्व का क्षण है जिन्होंने बेटियों को खेलों में आगे बढ़ने की आज़ादी दी।
रायगढ़ की सोनाली यादव ने कहा —
“जब मैंने पहली बार बॉक्सिंग ग्लव्स पहने थे, तो कई लोगों ने कहा कि यह लड़कियों का खेल नहीं है। लेकिन आज पदक जीतकर मैंने साबित कर दिया कि कोई भी खेल सिर्फ लड़कों का नहीं होता।”
छत्तीसगढ़ में थाई बॉक्सिंग का भविष्य
थाई बॉक्सिंग का भविष्य छत्तीसगढ़ में उज्ज्वल दिख रहा है। राज्य के कई जिलों में इस खेल की अकादमियाँ खुल चुकी हैं। युवाओं में आत्मरक्षा के रूप में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।
राज्य संघ अब अगले वर्ष के लिए थाई बॉक्सिंग स्टेट लीग आयोजित करने की योजना बना रहा है, जिससे खिलाड़ियों को और अधिक अवसर मिल सकें।
अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी
छत्तीसगढ़ के तीन खिलाड़ियों का चयन एशियन थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2026 के लिए भी हुआ है, जो थाईलैंड में आयोजित होगी।
इनमें से दो महिला खिलाड़ी हैं — सोनाली यादव और काजल पटेल।
यह राज्य के लिए गौरव का क्षण है और संकेत है कि छत्तीसगढ़ की प्रतिभा अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने को तैयार है।
मीडिया और समाज की सराहना
सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ टीम की इस सफलता की खूब चर्चा रही। ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर खिलाड़ियों के सम्मान में कई पोस्ट किए गए।
स्थानीय अखबारों और चैनलों ने भी खिलाड़ियों के संघर्ष और सफलता की कहानियों को प्रमुखता से प्रकाशित किया।
मेहनत, जज़्बा और गर्व
छत्तीसगढ़ ने 16वीं नेशनल थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में तीसरा स्थान हासिल कर यह साबित कर दिया है कि राज्य की युवा पीढ़ी खेल के क्षेत्र में भी देश का नाम रोशन करने में पीछे नहीं है।
खासकर महिला खिलाड़ियों की इस उपलब्धि ने यह संदेश दिया है कि खेल के मैदान में लैंगिक भेदभाव की कोई जगह नहीं।
इन बेटियों ने न केवल राज्य को पदक दिलाए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाया कि “अगर हौसले बुलंद हों तो हर मुकाम आसान है।”
आने वाले समय में छत्तीसगढ़ से कई और थाई बॉक्सिंग चैंपियंस देश और दुनिया में नाम कमाएँगे — यही इस सफलता का असली संदेश है
Next-
