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रायगढ़ में शौर्य दिवस 2025 वीर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी को नमन

वीर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी का बलिदान दिवस रायगढ़ की शौर्यगाथा जो हर दिल में अमर है

 शौर्य की धरती रायगढ़

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला अपनी संस्कृति, परंपरा और देशभक्ति के लिए जाना जाता है। यह वही धरती है जहाँ के बेटे-बेटियाँ राष्ट्रसेवा को सर्वोच्च धर्म मानते हैं। ऐसे ही एक अमर सपूत थे — कर्नल विप्लव त्रिपाठी, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
13 नवंबर 2025 को रायगढ़ में उनका बलिदान दिवस मनाया जा रहा है। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि शौर्य, देशप्रेम और त्याग की भावना का प्रतीक है।

Kelo Pravah

गौरवशाली इतिहास की भूमि

रायगढ़ छत्तीसगढ़ राज्य का एक ऐतिहासिक जिला है, जो अपनी संस्कृति, संगीत, और देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह जिला न केवल कला-संगीत के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, बल्कि इसकी पहचान वीरता और शौर्य की धरती के रूप में भी होती है।
प्राचीन काल में यह इलाका सारंगढ़ रियासत और रायगढ़ रियासत के रूप में जाना जाता था। यहाँ के राजाओं ने सदैव न्याय, नीति और संस्कृति को सर्वोच्च स्थान दिया।


 स्वतंत्रता संग्राम में रायगढ़ की भूमिका

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में रायगढ़ का योगदान उल्लेखनीय रहा है।

इस कारण रायगढ़ को “वीरों की भूमि” कहा जाता है।


 आधुनिक युग में शौर्य की परंपरा

आज भी रायगढ़ की यह परंपरा जीवित है।


 शौर्य और संस्कृति का संगम

रायगढ़ केवल वीरता में ही नहीं, बल्कि संस्कृति में भी अग्रणी रहा है।
यहाँ की कथक नृत्य परंपरा, पंडवानी गायन, और लोक संगीत ने पूरे देश में नाम कमाया है।
शौर्य और कला का यह अद्भुत संगम रायगढ़ को अनोखा बनाता है — जहाँ मंच पर कलाकार राग गाते हैं और सीमा पर सैनिक तिरंगा थामते हैं।


 शौर्य दिवस और स्मारक

रायगढ़ में हर वर्ष 13 नवंबर को शौर्य दिवस मनाया जाता है — यह दिन वीर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी के बलिदान को समर्पित है।
इसके अलावा, शहर में कई शहीद स्मारक स्थल हैं जहाँ लोग राष्ट्रप्रेम की भावना के साथ पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।
रायगढ़ नगर निगम और स्थानीय प्रशासन समय-समय पर शौर्य सप्ताह और युवा जागरूकता अभियान भी चलाते हैं।


 शिक्षा और युवा चेतना

यहाँ के स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को “देशभक्ति” और “सेवा भावना” के मूल्य सिखाए जाते हैं।
कई शैक्षणिक संस्थान जैसे गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज रायगढ़, शहीद विप्लव त्रिपाठी शासकीय विद्यालय, और अन्य संस्थान युवाओं को न केवल पढ़ाई बल्कि “राष्ट्र निर्माण” के संस्कार सिखा रहे हैं।


 शौर्य की धरती की पहचान आज भी कायम

रायगढ़ की पहचान आज केवल एक औद्योगिक जिला होने की नहीं, बल्कि एक देशभक्त और वीरों की धरती के रूप में भी होती है।
यहाँ के लोग अपने शहीदों को केवल याद नहीं करते, बल्कि उनके विचारों को जीते हैं।
सड़कों, स्कूलों, खेल मैदानों, और जनसभाओं में आज भी वह जज़्बा दिखाई देता है जो कहता है —

“रायगढ़ की मिट्टी में जन्मा हर बेटा भारत माता की सेवा के लिए तत्पर है।”


 रायगढ़, शौर्य और सम्मान का प्रतीक

रायगढ़ न केवल छत्तीसगढ़ की शान है, बल्कि यह पूरी देश की प्रेरणा है।
यहाँ की हवा में त्याग की खुशबू है, यहाँ की धरती में शौर्य की गूंज है, और यहाँ के नागरिकों के हृदय में मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम है।

“रायगढ़ की मिट्टी में शौर्य की कहानी बसी है,
हर कण में वीरता की निशानी रची है।”


कर्नल विप्लव त्रिपाठी कौन थे?

कर्नल विप्लव त्रिपाठी भारतीय सेना के उस गौरवशाली अधिकारी वर्ग में शामिल थे जिन्होंने कठिनतम परिस्थितियों में भी कर्तव्यनिष्ठा नहीं छोड़ी। रायगढ़ के निवासी कर्नल त्रिपाठी ने अपनी शिक्षा के बाद भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया।
उनकी तैनाती कई संवेदनशील इलाकों में रही, जहाँ उन्होंने आतंक-रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मणिपुर में वर्ष 2021 में हुए उग्रवादी हमले में उन्होंने वीरगति प्राप्त की। उस हमले में उनकी पत्नी और छोटा बेटा भी शहीद हो गए — यह घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली थी।


रायगढ़ में बलिदान दिवस के आयोजन

13 नवंबर 2025 को रायगढ़ जिले में शौर्य दिवस एवं बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर कई सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों ने कार्यक्रम आयोजित किए।
जिले के नेहरू सांस्कृतिक भवन, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, और शहीद स्मारक परिसर में मुख्य आयोजन हुए।

मुख्य कार्यक्रमों में शामिल रहे —

  1. शहीद परिवारों का सम्मान समारोह:
    प्रशासन और सामाजिक संगठनों ने शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया। कर्नल त्रिपाठी के परिजनों को विशेष रूप से स्मृति चिह्न एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

  2. चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगिता:
    जिले के विद्यालयों में बच्चों ने “देश के वीरों को नमन” विषय पर चित्र बनाए। इन प्रतियोगिताओं का उद्देश्य युवाओं में राष्ट्रप्रेम और शौर्य की भावना को जगाना था।

  3. प्रभात फेरी और पुष्पांजलि:
    सुबह स्कूली बच्चों ने “भारत माता की जय” के नारों के साथ प्रभात फेरी निकाली। इसके बाद शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।

  4. सेना भर्ती पर जागरूकता कार्यक्रम:
    युवाओं को भारतीय सेना में शामिल होने की प्रेरणा देने के लिए अधिकारियों ने मार्गदर्शन सत्र लिया।


शहीद कर्नल त्रिपाठी की प्रेरणादायक कहानी

कर्नल विप्लव त्रिपाठी का जीवन अनुशासन, समर्पण और साहस का प्रतीक था। उन्होंने देश की सेवा को केवल पेशा नहीं, बल्कि धर्म माना।
उनका अंतिम मिशन — मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में — उग्रवादियों के ठिकानों पर कार्रवाई से जुड़ा था। 13 नवंबर 2021 को हुए हमले में वे अपनी यूनिट का नेतृत्व करते हुए शहीद हो गए।
उनकी वीरता के कारण न केवल सेना, बल्कि पूरा देश उनके नाम को गर्व से याद करता है।


बलिदान दिवस का सामाजिक संदेश

यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता और सुरक्षा केवल शब्द नहीं, बल्कि लाखों वीरों के त्याग का परिणाम है।
रायगढ़ के युवाओं के लिए कर्नल त्रिपाठी की कहानी प्रेरणा-स्त्रोत है —

स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित कार्यक्रमों में वक्ताओं ने कहा कि “अगर देश का हर युवा कर्नल त्रिपाठी की तरह सोच ले, तो भारत का भविष्य स्वर्णिम होगा।”


जन-भावनाओं की झलक

बलिदान दिवस के अवसर पर लोगों की आँखें नम थीं, लेकिन सीना गर्व से चौड़ा था।
सड़कों पर लगे पोस्टर, स्कूलों में गूँजते देशभक्ति गीत और हर नागरिक के मन में एक ही भावना —

“शहीदों का ये देश है, हम उनका ऋण कभी नहीं चुका सकते।”

रायगढ़ नगर निगम ने शहीद के नाम पर पार्क और स्मारक के सौंदर्यीकरण की घोषणा की। साथ ही, स्थानीय युवाओं ने उनके नाम पर “विप्लव यूथ क्लब” बनाने का प्रस्ताव भी रखा।


कला और संस्कृति में शौर्य की झलक

इस वर्ष के आयोजन में एक विशेष पहल की गई — “वीरता कला प्रदर्शनी”।
इसमें स्थानीय कलाकारों ने पेंटिंग और मूर्तिकला के माध्यम से शहीदों की गाथा प्रदर्शित की।
प्रदर्शनी में एक चित्र विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रहा था — जिसमें कर्नल त्रिपाठी अपने साथियों के साथ तिरंगे को थामे दिख रहे थे।


सरकार और प्रशासन की भूमिका

जिला प्रशासन ने आयोजन को विशेष महत्व देते हुए विद्यालयों, पंचायतों और युवा मंडलों को भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया।
कलेक्टर और एसपी ने कार्यक्रम में कहा —

“कर्नल त्रिपाठी की वीरता रायगढ़ की पहचान है। उनकी गाथा हर बच्चे को बताई जानी चाहिए।”

साथ ही, रायगढ़ जिले के शासकीय स्कूलों में “शहीद सप्ताह” मनाने का निर्णय भी लिया गया, जिसमें शहीदों की जीवनी पढ़ाई जाएगी।


डिजिटल युग में शहीदों की कहानी

आज के दौर में सोशल मीडिया ने भी इस आयोजन को नई ऊँचाई दी।
लोगों ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (Twitter) पर अपने संदेश साझा करते हुए लिखा —

“एक सैनिक मरता नहीं, वह अमर हो जाता है।”

बलिदान और भावना का नया रूप

भारत की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गाथा शहीदों के अदम्य साहस और त्याग से भरी हुई है।
पहले इन गाथाओं को लोग केवल किताबों, स्मारकों या समारोहों के माध्यम से जानते थे, लेकिन डिजिटल युग ने इन कहानियों को एक नई आवाज़ दी है।
अब एक शहीद की वीरता केवल उनके गांव या जिले तक सीमित नहीं रहती, बल्कि कुछ ही मिनटों में पूरे देश में फैल जाती है — सोशल मीडिया, वीडियो, ब्लॉग और डिजिटल आर्काइव्स के जरिए।


भविष्य की दृष्टि — शौर्य से प्रेरित पीढ़ी

कर्नल त्रिपाठी की याद में आयोजित यह दिवस आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश है —

रायगढ़ के शैक्षणिक संस्थानों में यह निर्णय भी लिया गया कि हर साल 13 नवंबर को “शौर्य सप्ताह” के रूप में मनाया जाएगा।


 अमर रहे शौर्य की गाथा

कर्नल विप्लव त्रिपाठी का नाम रायगढ़ के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि —

“देश के लिए जीना ही नहीं, देश के लिए मरना भी गर्व की बात है।”

13 नवंबर का यह दिन न केवल शहीद की याद में, बल्कि हर भारतीय के दिल में देशप्रेम की लौ जलाने वाला दिन है।
रायगढ़ आज भी गर्व से कहता है —

“जय हिंद! अमर रहे कर्नल विप्लव त्रिपाठी!”

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