रायगढ़ में बिजली गिरने की घटना में 6 की मौत – पूरी जानकारी

प्राकृतिक आपदाएँ हमेशा से मानव जीवन पर गहरा असर डालती रही हैं। बाढ़, भूकंप, तूफान और आकाशीय बिजली जैसी घटनाएँ अचानक होती हैं और अक्सर इनसे बड़ी संख्या में जनहानि होती है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक दर्दनाक खबर सामने आई। 2 अक्टूबर 2025 को जिले के विभिन्न गांवों में आकाशीय बिजली गिरने से कई लोगों की मौत हो गई और कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे प्रदेश के लिए चिंता का विषय है।

अचानक आए तूफान और बिजली गिरने से रायगढ़ और गारियाबंद जिले में कुल 6 लोगों की मृत्यु हुई। The Times of India
घटना का विवरण
2 अक्टूबर की दोपहर अचानक मौसम में बदलाव आया। आसमान पर काले बादल छा गए और तेज़ गरज-चमक के साथ बारिश शुरू हुई। इसी दौरान जिले के अलग-अलग हिस्सों में आकाशीय बिजली गिरी।
-
सारंगढ़-बिलाईगढ़ सीमा के पास बिजली गिरने से 3 लोगों की मौत हो गई।
-
ललुंगा और पुसौर ब्लॉक में 2 अन्य लोगों की जान चली गई।
-
कई ग्रामीण गंभीर रूप से झुलस गए, जिन्हें पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में ज्यादातर लोग खेतों में काम कर रहे थे और अचानक हुई बारिश से बचने के लिए पेड़ों के नीचे खड़े हो गए। इसी दौरान बिजली गिर गई।
प्रभावित परिवारों का हाल
घटना के बाद मृतकों के परिवारों में कोहराम मच गया। जिन परिवारों के सदस्य खेतों में मजदूरी कर रहे थे, वे अचानक इस हादसे का शिकार हो गए।
-
कई परिवारों के मुख्य कमाने वाले सदस्य की मौत हो गई।
-
महिलाओं और बच्चों पर आर्थिक व मानसिक संकट टूट पड़ा।
-
घायलों में कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
जैसे ही हादसे की खबर फैली, जिला प्रशासन हरकत में आया।
-
पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची।
-
घायलों को तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया।
-
मृतकों के शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपे गए।
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि (मुआवजा) देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों की हर संभव मदद की जाएगी।
बिजली गिरने के वैज्ञानिक कारण

आकाशीय बिजली (Lightning) एक प्राकृतिक विद्युत विसर्जन है, जो बादलों और पृथ्वी के बीच या बादल से बादल के बीच होता है।
-
जब बादलों में जलकण और बर्फ के कण आपस में टकराते हैं, तो उनमें विद्युत आवेश पैदा होता है।
-
बादलों का निचला हिस्सा ऋणात्मक और ज़मीन धनात्मक आवेश वाला हो जाता है।
-
जैसे ही आवेश का अंतर बहुत बढ़ जाता है, तो बिजली गिरती है।
यह प्रक्रिया कुछ ही सेकंड में होती है, लेकिन इसका असर बेहद घातक होता है।
भारत में बिजली गिरने के आंकड़े
-
हर साल भारत में लगभग 2,500–3,000 लोग बिजली गिरने से मारे जाते हैं।
-
छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में इसका खतरा सबसे ज्यादा है।
-
ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और मजदूर सबसे अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि वे खुले में काम करते हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि मानसून और उसके बाद के महीनों में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएँ बढ़ जाती हैं।
2 अक्टूबर को भी विभाग ने गरज-चमक और बिजली गिरने की संभावना जताई थी, लेकिन ग्रामीण लोग समय पर सतर्क नहीं हो पाए।
सुरक्षा उपाय
बिजली गिरने से बचने के लिए कुछ सरल लेकिन जरूरी कदम उठाने चाहिए:
-
खुले मैदान में न खड़े हों – बारिश और गरज-चमक के समय खेत या खुले स्थान पर रुकना खतरनाक है।
-
पेड़ के नीचे आश्रय न लें – अक्सर लोग पेड़ के नीचे छिप जाते हैं, जबकि यह सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।
-
मोबाइल और धातु की वस्तुओं से दूरी बनाएँ – ये बिजली को आकर्षित करते हैं।
-
कंक्रीट या पक्के मकान में शरण लें – यदि घर पास में हो तो तुरंत भीतर चले जाएँ।
-
झुके हुए होकर बैठें – यदि कोई सुरक्षित स्थान न हो तो दोनों पैरों को मिलाकर नीचे झुक जाएँ।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
-
परिवारों पर संकट – जिन परिवारों ने अपने सदस्य खोए, उनकी आजीविका पर बड़ा असर पड़ा।
-
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर – खेतों में काम करने वाले मजदूरों की मौत से फसल कार्य भी प्रभावित होगा।
-
मानसिक तनाव – गांवों में अब लोग बारिश और गरज-चमक से और ज्यादा डरने लगे हैं।
विशेषज्ञों की राय
-
मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण आकाशीय बिजली की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
-
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में लोगों को प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम देने की जरूरत है।
-
सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि प्रशासन को बिजली चेतावनी ऐप्स और SMS अलर्ट के जरिए ग्रामीणों तक सूचना पहुँचानी चाहिए।
समाधान और रोकथाम
-
लाइटनिंग अरेस्टर लगाना – गांवों और स्कूलों में यह उपकरण लगाया जा सकता है।
-
मौसम चेतावनी सिस्टम – मोबाइल अलर्ट और गांव स्तर पर माइक्रोफोन से सूचना प्रसारित की जाए।
-
शिक्षा और जागरूकता – स्कूलों में बच्चों को बिजली से बचाव के तरीके सिखाए जाएँ।
-
आपदा राहत कोष – ऐसे हादसों से प्रभावित परिवारों को तुरंत आर्थिक सहायता दी जाए।
रायगढ़ में बिजली गिरने की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के उपाय कितने जरूरी हैं। आकाशीय बिजली से बचाव संभव है, यदि लोग सतर्क रहें और समय पर सही कदम उठाएँ।
Next –
