रायगढ़ में महिला कलश यात्रा आस्था, उत्साह और परंपरा का संगम

रायगढ़ जिले में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर 28 सितंबर 2025 को आयोजित महिला कलश यात्रा ने धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। इस भव्य आयोजन में लगभग 1200 महिलाएं और युवतियां सिर पर कलश धारण कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए सड़कों पर उतरीं।
आयोजन का प्रारंभ और मार्ग
कलश यात्रा की शुरुआत रायगढ़ शहर के विभिन्न दुर्गा पंडालों से हुई। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर गाजे-बाजे के साथ राजापारा स्थित समझाई घाट पहुंचीं। वहां विधिपूर्वक जल भरकर यात्रा पुनः पंडालों की ओर प्रस्थान की। इस दौरान महिलाएं मां दुर्गा के भजनों पर नृत्य करतीं और जयकारे लगातीं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।
रायगढ़ में महिला कलश यात्रा का आयोजन का प्रारंभ शहर के विभिन्न दुर्गा पंडालों से हुआ, जहाँ महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए सड़कों पर उतरीं।
प्रारंभिक स्थल
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यात्रा की शुरुआत स्थानीय दुर्गा पंडालों से हुई, जहाँ महिलाओं ने सिर पर कलश धारण किया।
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कलश में जल और अन्य पूजन सामग्री रखी गई, जिसे विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के लिए प्रयोग किया गया।
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यात्रा का उद्देश्य मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करना और धार्मिक आस्था को बढ़ावा देना था।
मार्ग
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महिलाएं शहर के प्रमुख मार्गों से होकर यात्रा में शामिल हुईं।
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मार्ग में शामिल थे स्टेशन चौक, सत्तीगुड़ी चौक, कोतरा रोड, ढिमरापुर चौक और रामभांठा।
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प्रत्येक मार्ग पर स्थानीय लोगों ने यात्रा का स्वागत किया और भजन, ढोल-नगाड़ों तथा जयकारों के साथ धार्मिक उत्सव का माहौल बनाया।
यात्रा की विशेषताएँ
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महिलाएं भक्ति गीत और नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा की स्तुति करती हुई यात्रा में आगे बढ़ती रहीं।
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मार्ग के किनारे सजावट, फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों ने यात्रा को और भी भव्य बना दिया।
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यात्रा के दौरान स्थानीय समाज के सभी वर्गों ने सहयोग किया, जिससे सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक जागरूकता का संदेश गया।
महत्व
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यह मार्ग महिलाओं को समान रूप से भागीदारी का अवसर देता है।
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मार्ग पर यात्रा होने से पूरे शहर में आस्था, श्रद्धा और उत्साह का माहौल बनता है।
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यह आयोजन शहरवासियों और विशेष रूप से युवाओं के लिए पारंपरिक संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को समझने का शिक्षाप्रद अनुभव भी प्रदान करता है।
रायगढ़ में 1200 महिला और युवतियों ने कलश यात्रा में भाग लिया। घट स्थापना के साथ गाजे-बाजे के साथ यह यात्रा निकाली गई। Bhaskar
प्रमुख स्थानों पर आयोजन

रायगढ़ में महिला कलश यात्रा का आयोजन सिर्फ एक स्थान तक सीमित नहीं था, बल्कि इसे शहर के विभिन्न प्रमुख चौकों और पंडालों में बड़े ही भव्य तरीके से आयोजित किया गया। यह आयोजन स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को सीधे जुड़ने का अवसर देता है और पूरे शहर में धार्मिक उत्साह फैलाता है।
प्रमुख मार्ग और स्थल
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यात्रा स्टेशन चौक, सत्तीगुड़ी चौक, कोतरा रोड, ढिमरापुर चौक, रामभांठा, बजरंग पारा, गौशाला पारा, जोहाल पैलेस, हंडी चौक, पैलेस रोड, गांजा चौक, गौरीशंकर मंदिर चौक, हटरी चौक, गांधी गंज, सांवडिया परिसर, चक्रधर नगर चौक, बोईरदादर और जूटमिल क्षेत्र से होकर गुजरी।
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इन सभी स्थानों पर विशेष पंडाल सजाए गए थे, जहाँ श्रद्धालु यात्रा का स्वागत कर रहे थे और भक्तिमय वातावरण का आनंद ले रहे थे।
आयोजन की विशेषताएँ
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प्रत्येक प्रमुख चौक और पंडाल पर ढोल-नगाड़ों, भजन और जयकारों के साथ यात्रा का उत्सव मनाया गया।
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महिलाएं सिर पर कलश धारण कर भक्ति गीत और नृत्य के माध्यम से माता दुर्गा की स्तुति करती रहीं।
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स्थानीय लोगों ने मार्ग पर सजावट और रोशनी के माध्यम से यात्रा को और भी भव्य बनाया।
सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव
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प्रमुख स्थानों पर यात्रा होने से गांव और शहर के लोग सीधे इस आयोजन में भाग लेने का अवसर प्राप्त करते हैं।
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यह न केवल धार्मिक अनुभव को बढ़ाता है, बल्कि समाज में सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक जागरूकता को भी प्रोत्साहित करता है।
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बच्चों और युवाओं के लिए यह पारंपरिक संस्कृति और लोक आस्था को समझने का शिक्षाप्रद अवसर बन जाता है।
रायगढ़ की महिला कलश यात्रा का प्रमुख स्थानों पर आयोजन यह दर्शाता है कि यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पूरे शहर में आस्था और सांस्कृतिक उत्सव फैलाने वाला कार्यक्रम है।
रायगढ़ शहर के विभिन्न प्रमुख स्थानों जैसे स्टेशन चौक, सत्तीगुड़ी चौक, कोतरा रोड, ढिमरापुर चौक, रामभांठा, बजरंग पारा, गौशाला पारा, जोहाल पैलेस, हंडी चौक, पैलेस रोड, गांजा चौक, गौरीशंकर मंदिर चौक, हटरी चौक, गांधी गंज, सांवडिया परिसर, चक्रधर नगर चौक, बोईरदादर और जूटमिल क्षेत्र में कलश यात्रा का आयोजन हुआ। इन स्थानों पर भव्य पंडाल सजाए गए थे, जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने।
डोलेसरा ग्राम पंचायत में विशेष आयोजन

तमनार विकासखंड के डोलेसरा ग्राम पंचायत में रायगढ़ महिला कलश यात्रा का आयोजन विशेष रूप से भव्य और धार्मिक उत्साह से सम्पन्न हुआ। यह आयोजन इस क्षेत्र में 26वें वर्ष लगातार मनाया जा रहा है, जो इसकी परंपरा और आस्था को दर्शाता है।
आयोजन का प्रारंभ
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यात्रा की शुरुआत डोलेसरा दुर्गा मंडप से हुई, जहाँ महिलाएं सिर पर कलश रखकर मां दुर्गा की स्तुति करती हुई यात्रा में शामिल हुईं।
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कलशों में विधिपूर्वक जल और अन्य पूजन सामग्री रखी गई, जिससे यात्रा का धार्मिक महत्व और बढ़ गया।
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यात्रा के दौरान ढोल-नगाड़ों, बाजे-गाजे और जयकारों की गूँज पूरे गांव में फैल गई, जिससे माहौल भक्तिमय बन गया।
मार्ग और प्रमुख स्थल
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महिलाएं गांव के प्रमुख रास्तों से होकर यात्रा में शामिल हुईं।
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विशेष रूप से उत्तर दिशा में स्थित बड़े तालाब से जल भरकर कलश स्थापित किए गए।
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यात्रा पंडाल तक पहुँचकर, वैदिक विधि से कलश की स्थापना और पूजा संपन्न हुई।
उत्सव और सांस्कृतिक झलक
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यात्रा में भाग लेने वाली महिलाएं पारंपरिक पोशाकों और आभूषणों में सजी थीं, जिससे आयोजन में रंग और सांस्कृतिक गहराई आई।
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युवा और बच्चे भी उत्सव में शामिल होकर संगीत और नृत्य में योगदान दे रहे थे, जिससे सामुदायिक एकता और आपसी सहयोग का संदेश मजबूत हुआ।
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स्थानीय कलाकारों ने भजन और पारंपरिक गीत प्रस्तुत किए, जिससे धार्मिक आस्था के साथ-साथ लोक संस्कृति का संरक्षण भी हुआ।
विशेष महत्व
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डोलेसरा ग्राम पंचायत में यह आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व का भी उदाहरण है।
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यह आयोजन गांव में सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित करता है और आने वाली पीढ़ियों को परंपरा और आस्था के महत्व से अवगत कराता है।
इस प्रकार, डोलेसरा ग्राम पंचायत में आयोजित महिला कलश यात्रा ने धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण संदेश दिया और पूरे इलाके में आस्था का माहौल बनाया।
तमनार विकासखंड के डोलेसरा ग्राम पंचायत में दुर्गा पूजा का 26वां आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास और धार्मिक आस्था के वातावरण में प्रारंभ हुआ। कलश यात्रा की शुरुआत डोलेसरा दुर्गा मंडप से हुई, जहां महिलाएं सिर पर कलश धारण कर मां दुर्गा की स्तुति करती हुई यात्रा में शामिल हुईं। उत्तर दिशा में स्थित गांव के बड़े तालाब से विधिपूर्वक जल भरकर कलश स्थापित किए गए। ढोल-नगाड़ों, बाजे-गाजे और जयकारों से पूरा गांव गूंज उठा। कलश यात्रा अंततः दुर्गा पंडाल पहुंचकर सम्पन्न हुई, जहां मंत्रोच्चार और वैदिक विधि से कलश की स्थापना की गई। raigarhtopnews.com
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
रायगढ़ में आयोजित महिला कलश यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस यात्रा के माध्यम से महिलाओं ने अपने परिवार और समाज में एकता, श्रद्धा और जिम्मेदारी का संदेश दिया।
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धार्मिक महत्व
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कलश यात्रा में महिलाएं सिर पर कलश धारण कर मां दुर्गा की पूजा करती हैं। यह परंपरा शक्ति, समृद्धि और संरक्षण का प्रतीक है।
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पानी और अन्य धार्मिक सामग्री से कलश की स्थापना करने का उद्देश्य देवी की कृपा प्राप्त करना और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है।
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यात्रा के दौरान भजन, मंत्रोच्चार और जयकारे, श्रद्धालुओं के मन को आध्यात्मिक अनुभव से भर देते हैं।
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सांस्कृतिक महत्व
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यह आयोजन स्थानीय परंपराओं, लोक संगीत और नृत्य को संरक्षित रखने का एक जरिया है।
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महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनकर यात्रा में भाग लेती हैं, जिससे स्थानीय हस्तशिल्प और वस्त्र परंपरा का प्रचार-प्रसार होता है।
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यह यात्रा समाज में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और नेतृत्व का प्रतीक बनती है।
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सामाजिक महत्व
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यात्रा के माध्यम से समुदाय के लोग एक साथ आते हैं, जिससे सांस्कृतिक सद्भावना और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है।
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यह आयोजन बच्चों और युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है, जो परंपरा और आस्था के महत्व को समझते हैं।
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स्थानीय व्यापार और पंडाल व्यवस्थाओं में भी योगदान मिलता है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलता है।
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इस प्रकार, रायगढ़ की महिला कलश यात्रा धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक एकता का एक अद्वितीय उदाहरण है। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि समुदाय के लिए आस्था और ऊर्जा का स्रोत बन जाता है।
महिला कलश यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में महिलाओं की भागीदारी और शक्ति का भी प्रतीक है। इस आयोजन के माध्यम से महिलाओं ने अपनी एकता, श्रद्धा और परंपरा के प्रति सम्मान को प्रदर्शित किया। यह आयोजन समाज में धार्मिक सद्भावना और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रायगढ़ में आयोजित महिला कलश यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराएं समाज को एकजुट करने का कार्य करती हैं। इस आयोजन ने न केवल रायगढ़ जिले, बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ राज्य में धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया।
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