रायगढ़ में नवरात्रि की तैयारियां परंपरा, उत्साह और सांस्कृतिक धरोहर

भारत विविधताओं का देश है और यहाँ हर पर्व अपने साथ एक विशेष महत्व लिए होता है। इन्हीं में से एक है शारदीय नवरात्रि, जिसे पूरे देश में देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के रूप में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला भी इस महापर्व में अपने अलग ही अंदाज़ और सांस्कृतिक रंग के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ नवरात्रि केवल धार्मिक आयोजन भर नहीं बल्कि सामाजिक जुड़ाव, सांस्कृतिक मेलजोल और आर्थिक गतिविधियों का बड़ा अवसर भी होता है।
इस ब्लॉग में हम रायगढ़ में नवरात्रि की तैयारियों की पूरी जानकारी देंगे – धार्मिक आयोजन से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक, स्थानीय बाज़ारों की रौनक से लेकर लोगों के उत्साह तक।
नवरात्रि का महत्व और स्थानीय आस्था

नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व है। रायगढ़ जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से संपन्न जिले में इसका महत्व और बढ़ जाता है। यहाँ मां महामाया मंदिर, चक्रधर नगर का दुर्गा पंडाल, सिटी कोतरा रोड के आयोजन, और ग्रामीण अंचलों के छोटे-छोटे देवी मंदिर आस्था का केंद्र बनते हैं।
स्थानीय लोग मानते हैं कि नवरात्रि में देवी दुर्गा की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। यही वजह है कि हर गली, मोहल्ले और गांव में दुर्गा पंडाल सजते हैं।
रायगढ़ में नवरात्रि की तैयारियां
नवरात्रि शुरू होने से कई सप्ताह पहले ही रायगढ़ में दुर्गा पंडालों की तैयारी शुरू हो जाती है।
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बांस, कपड़े और सजावट से भव्य पंडाल बनाए जाते हैं।
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पंडालों में अलग-अलग थीम पर सजावट की जाती है। कहीं राजस्थानी शैली देखने को मिलती है तो कहीं बंगाली परंपरा की झलक।
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कुछ पंडालों में आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए लाइटिंग शो और कलात्मक मूर्तियां भी देखने को मिलती हैं।
2. मूर्तिकारों की व्यस्तता
रायगढ़ और आसपास के इलाकों के मूर्तिकार इस दौरान सबसे ज्यादा व्यस्त रहते हैं।
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वे मिट्टी और प्लास्टर से दुर्गा प्रतिमाओं को आकार देते हैं।
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मां दुर्गा के साथ महिषासुर, सिंह और अन्य आकृतियों को बड़ी बारीकी से गढ़ा जाता है।
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रायगढ़ के सरस्वती नगर और लोचनपारा क्षेत्र मूर्तिकला के लिए जाने जाते हैं।
3. भक्ति संगीत और गरबा की तैयारी

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मंदिरों और पंडालों में भजन मंडली तैयार की जाती है।
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युवा वर्ग गरबा और डांडिया की प्रैक्टिस करता है।
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रायगढ़ के सांस्कृतिक संस्थान भी इस दौरान प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं।
4. घरों में पूजा की तैयारी
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हर घर में घटस्थापना होती है।
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महिलाएं व्रत के लिए सामग्री जैसे फल, फूल, नारियल, कलश, जौ, कपास की बाती आदि पहले से इकट्ठा करती हैं।
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घरों की साफ-सफाई और सजावट पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
बाज़ारों की रौनक
1. पूजा सामग्री की खरीदारी
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गांधी चौक, इंदिरा मार्केट, लोचनपारा और चक्रधर नगर जैसे बाजारों में पूजा सामग्री की दुकानों पर भारी भीड़ रहती है।
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फूल, नारियल, अगरबत्ती, चुनरी, माता की प्रतिमा और कलश जैसी वस्तुएं खूब बिकती हैं।
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जौ बोने के लिए मिट्टी के पात्र और घट भी बड़ी संख्या में खरीदे जाते हैं।
2. परिधान और आभूषण
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महिलाएं गरबा और डांडिया के लिए रंग-बिरंगे चनिया-चोली, साड़ियां और पारंपरिक आभूषण खरीदती हैं।
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युवा आधुनिक ट्रेंडी कपड़े भी लेते हैं ताकि गरबा नाइट्स में आकर्षक दिख सकें।
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आभूषण की दुकानों पर खास छूट और ऑफर मिलते हैं, जिससे खरीदारों की भीड़ बढ़ जाती है।
3. मिठाई और फल बाजार
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व्रत और उत्सव के लिए मिठाइयों की दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ती है।
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खासकर रसगुल्ला, गुलाब जामुन, लड्डू और काजू कतली की मांग सबसे अधिक रहती है।
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फल मंडी में सेब, केला, अनार और मौसमी फलों की खरीदारी होती है, क्योंकि लोग व्रत में इन्हें प्रमुख रूप से खाते हैं।
4. सजावट और इलेक्ट्रॉनिक्स
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पंडालों और घरों को सजाने के लिए लाइटिंग, झालर और सजावटी सामान की बिक्री खूब होती है।
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इस दौरान कई लोग नए टीवी, साउंड सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स भी खरीदते हैं ताकि गरबा और उत्सव में इस्तेमाल हो सके।
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नवरात्रि का पर्व स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों के लिए कमाई का स्वर्णिम अवसर होता है।
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मूर्तिकार, दर्जी, फूल विक्रेता, मिठाई वाले और छोटे-छोटे ठेले लगाने वाले भी अच्छी कमाई कर लेते हैं।
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यह समय स्थानीय अर्थव्यवस्था में जान फूंक देता है।
नवरात्रि से पहले रायगढ़ के बाजारों का दृश्य ही बदल जाता है।
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गांधी चौक, सिटी मॉल रोड, इंदिरा मार्केट और लोचनपारा बाज़ार सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले क्षेत्र होते हैं।
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पूजा सामग्री, फूल, नारियल, चुनरी, प्रतिमा और सजावट की वस्तुओं की बिक्री चरम पर होती है।
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महिलाएं गरबा और डांडिया के लिए रंग-बिरंगे चनिया-चोली और पारंपरिक आभूषण खरीदती हैं।
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मिठाइयों की दुकानों पर भीड़ उमड़ती है क्योंकि व्रत और त्योहार के लिए विशेष मिष्ठान बनाए जाते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और उत्सव
रायगढ़ की पहचान सांस्कृतिक आयोजनों से भी है। यहाँ नवरात्रि के दौरान विभिन्न कार्यक्रम होते हैं:
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डांडिया और गरबा नाइट – युवा और महिलाएं बड़े उत्साह के साथ इसमें भाग लेते हैं।
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भजन संध्या – स्थानीय कलाकारों और भजन मंडलियों द्वारा देवी भक्ति गीत प्रस्तुत किए जाते हैं।
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सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं – स्कूल और कॉलेज स्तर पर रंगोली, नृत्य और नाटक प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं।
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झांकी और शोभायात्रा – नवरात्रि के अंतिम दिन विशाल झांकी और दुर्गा विसर्जन यात्रा निकलती है, जो जिले की सबसे बड़ी धार्मिक रैली मानी जाती है।
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नवरात्रि सिर्फ पूजा और भक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक मेलजोल और मनोरंजन का भी बड़ा अवसर है। पूरे जिले में नवरात्रि के नौ दिनों तक तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें हर वर्ग और उम्र के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
1. गरबा और डांडिया नाइट्स
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नवरात्रि की शामें रायगढ़ की गलियों और पंडालों में गरबा और डांडिया की धुनों से गूंज उठती हैं।
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महिलाएं और युवतियां पारंपरिक चनिया-चोली पहनकर नृत्य करती हैं।
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युवा वर्ग भी आधुनिक संगीत और DJ की ताल पर पारंपरिक डांडिया का आनंद उठाता है।
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कई जगह प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जिसमें सर्वश्रेष्ठ ड्रेस और सर्वश्रेष्ठ डांस करने वालों को पुरस्कृत किया जाता है।
2. भजन संध्या और कीर्तन
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धार्मिक मंडलियां और स्थानीय कलाकार मां दुर्गा के भजन प्रस्तुत करते हैं।
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कई जगहों पर पूरी रात जगराता आयोजित होता है, जिसमें भक्ति गीतों की गूंज माहौल को दिव्य बना देती है।
3. नाट्य और नृत्य प्रस्तुतियां
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स्कूल-कॉलेज और सांस्कृतिक संस्थान रामलीला, दुर्गा चरित्र और धार्मिक नृत्य-नाटिका प्रस्तुत करते हैं।
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स्थानीय लोकनृत्य जैसे करमा, राउत नाचा और पंथी नृत्य भी शामिल किए जाते हैं।
4. झांकी और शोभायात्रा
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रायगढ़ की नवरात्रि की सबसे बड़ी पहचान है भव्य झांकियां।
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दुर्गा पूजा समितियां अलग-अलग थीम पर झांकियां तैयार करती हैं।
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दसवें दिन दुर्गा विसर्जन शोभायात्रा जिले की सबसे भव्य रैली होती है, जिसमें सैकड़ों पंडालों की प्रतिमाएं शामिल होती हैं।
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ढोल-नगाड़े, DJ और बैंड की धुनों के बीच भक्त देवी दुर्गा के जयकारे लगाते हुए प्रतिमाओं का विसर्जन करते हैं।
5. प्रतियोगिताएं और पुरस्कार
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बच्चों के लिए रंगोली, चित्रकला और नृत्य प्रतियोगिताएं होती हैं।
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महिलाएं सिंदूर खेला और मेहंदी प्रतियोगिता में भाग लेती हैं।
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समाजसेवी संगठन और सांस्कृतिक समितियां विजेताओं को सम्मानित करती हैं।
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सुरक्षा और प्रशासन की तैयारियां
नवरात्रि जैसे बड़े पर्व में प्रशासन की भूमिका अहम होती है। रायगढ़ जिला प्रशासन और पुलिस पहले से ही तैयारी में जुट जाते हैं।
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पंडालों में सुरक्षा व्यवस्था और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं।
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भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस बल की तैनाती की जाती है।
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स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपातकालीन चिकित्सा टीम और एंबुलेंस की व्यवस्था रखी जाती है।
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नगर निगम द्वारा सफाई, बिजली और पेयजल की विशेष व्यवस्था की जाती है।
ग्रामीण अंचलों की झलक
रायगढ़ जिले के गांवों में भी नवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती है।
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गांव-गांव में स्थानीय युवाओं की टोली मिलकर पंडाल सजाती है।
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ग्रामीण महिलाएं मिलकर भजन-कीर्तन करती हैं।
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खेतों में बोए गए जौ (घटस्थापना के समय) की हरियाली को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
रायगढ़ की विशेषता – सामूहिक भागीदारी
रायगढ़ की नवरात्रि की सबसे बड़ी खासियत है सामूहिकता।
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यहां हर जाति, वर्ग और समुदाय के लोग मिलकर इस पर्व को मनाते हैं।
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समाजसेवी संगठन भी जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े बांटते हैं।
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सांस्कृतिक मंचों पर स्थानीय कलाकारों को अवसर मिलता है, जिससे कला और संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
धार्मिक आस्था और आधुनिकता का संगम
रायगढ़ में नवरात्रि का मूल आधार सदियों पुरानी धार्मिक आस्था है। देवी दुर्गा की उपासना, भजन-कीर्तन, घटस्थापना और व्रत-उपवास परंपरागत रूप से आज भी उसी श्रद्धा के साथ निभाए जाते हैं जैसे पहले। लोग मानते हैं कि मां दुर्गा की आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
लेकिन इसके साथ ही समय के साथ आधुनिकता का रंग भी इस पर्व में घुल चुका है
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पंडालों में LED लाइटिंग, 3D सजावट और थीम आधारित डिजाइन देखने को मिलती है।
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कई आयोजनों का लाइव प्रसारण सोशल मीडिया पर किया जाता है ताकि दूर-दराज़ बैठे लोग भी पूजा में शामिल हो सकें।
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युवा वर्ग पारंपरिक गरबा और डांडिया को आधुनिक संगीत और DJ की धुनों के साथ जोड़कर नया अंदाज़ देता है।
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डिजिटल पोस्टर, व्हाट्सएप इन्विटेशन और ऑनलाइन डोनेशन जैसी सुविधाएँ भी अपनाई जा रही हैं।
इस तरह रायगढ़ की नवरात्रि एक ऐसा उदाहरण है, जहाँ परंपरा और तकनीक का सुंदर मेल दिखाई देता है। यह न केवल धार्मिक महत्व को बनाए रखता है बल्कि युवाओं को भी अपनी संस्कृति से जोड़ता है।
आजकल रायगढ़ में नवरात्रि पारंपरिक स्वरूप के साथ आधुनिक तकनीक का भी मिश्रण है।
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डिजिटल लाइटिंग, 3D सजावट और ऑनलाइन प्रसारण से लोग जुड़े रहते हैं।
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कई पंडालों की पूजा और भजन कार्यक्रम सोशल मीडिया पर लाइव दिखाए जाते हैं।
आर्थिक दृष्टिकोण
नवत्रिरा केवल धार्मिक उत्सव ही नहीं बल्कि रायगढ़ की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देता है।
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मूर्तिकार, पंडाल सजाने वाले कारीगर, कपड़े और आभूषण व्यापारी, फूल बेचने वाले, मिठाई दुकानदार – सभी की आमदनी इस समय बढ़ जाती है।
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स्थानीय पर्यटन और होटल व्यवसाय को भी लाभ होता है।
रायगढ़ की नवरात्रि तैयारियां धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक समृद्धि और सामूहिक भागीदारी का अद्भुत उदाहरण हैं। यहाँ के लोग न केवल देवी दुर्गा की उपासना करते हैं बल्कि इस अवसर को सामाजिक जुड़ाव और सांस्कृतिक उत्सव का माध्यम भी बनाते हैं।
बाजारों की चहल-पहल, भव्य पंडाल, मनमोहक सजावट, गरबा-डांडिया की धुन, भजन-कीर्तन की गूंज और दुर्गा विसर्जन की शोभायात्रा – यह सब मिलकर रायगढ़ की नवरात्रि को अद्वितीय बनाते हैं।
यह पर्व हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की विजय संभव है, यदि हम सभी मिलकर सकारात्मक सोच और सामूहिक प्रयास करें।
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