रायगढ़ जिलाधिकारी / राजस्व विभाग द्वारा अधिग्रहण का नोटिस – पूरी जानकारी

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला औद्योगिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र है। यहां कोयला, स्टील, पावर और अन्य उद्योगों की वजह से लगातार विकास कार्य और अधोसंरचना परियोजनाएँ चल रही हैं। लेकिन विकास की इन योजनाओं में अक्सर भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आता है। हाल ही में रायगढ़ जिलाधिकारी और राजस्व विभाग द्वारा अधिग्रहण का एक नया नोटिस जारी किया गया, जिसने स्थानीय लोगों और किसानों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
नोटिस की पृष्ठभूमि
रायगढ़ जिला प्रशासन ने हाल ही में अधिसूचना जारी करते हुए बताया कि पंजिपथरा सहित आसपास के कुछ गांवों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह अधिग्रहण मुख्य रूप से उद्योगों, सड़क निर्माण और सार्वजनिक हित की परियोजनाओं के लिए किया जाना प्रस्तावित है।
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नोटिस राजस्व विभाग की आधिकारिक वेबसाइट और जिला कलेक्ट्रेट में सार्वजनिक किया गया।
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प्रभावित किसानों और भूमिधारकों से आपत्तियाँ दर्ज करने का मौका दिया गया।
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अधिग्रहण प्रक्रिया भू-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्था अधिनियम 2013 (LARR Act, 2013) के तहत की जाएगी।
अधिग्रहण की कानूनी प्रक्रिया
भूमि अधिग्रहण का पूरा प्रावधान भारत सरकार के कानूनों में है।
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प्रारंभिक अधिसूचना (Preliminary Notification) – जमीन किस उद्देश्य से ली जाएगी, यह घोषित किया जाता है।
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आपत्ति दर्ज करने का अधिकार – भूमिधारक 60 दिन के भीतर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
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सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) – अधिग्रहण से समाज और पर्यावरण पर क्या असर होगा, इसका अध्ययन होता है।
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अंतिम अधिसूचना और मुआवजा निर्धारण – प्रभावित किसानों को जमीन की मार्केट वैल्यू + सॉलैटियम + पुनर्वास पैकेज दिया जाता है।
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कब्ज़ा और पुनर्वास – अधिग्रहण के बाद विस्थापित परिवारों का पुनर्वास किया जाता है।
प्रभावित क्षेत्र
अधिग्रहण के तहत आने वाला क्षेत्र आम तौर पर वह भूमि होती है जिसे सार्वजनिक उपयोग या विकास परियोजना के लिए चिन्हित किया गया है।
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इसमें ग्रामीण और शहरी दोनों प्रकार की भूमि शामिल हो सकती है।
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अक्सर प्रभावित क्षेत्र में खेती योग्य जमीन, आवासीय भूखंड, पथ या नदी के किनारे की भूमि शामिल होती है।
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परियोजना के प्रकार के आधार पर, क्षेत्र का आकार कुछ एकड़ से लेकर कई हेक्टेयर तक हो सकता है।
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प्रभावित क्षेत्र में सड़क, पुल, औद्योगिक परियोजना, जलाशय, स्कूल, अस्पताल जैसी सार्वजनिक संरचनाएँ बनाई जाती हैं।
प्रभावित लोग
भूमि अधिग्रहण से प्रभावित लोग आम तौर पर भूमि मालिक और उनके परिवार होते हैं। इनमें शामिल हैं:
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स्थानीय किसान और भूमिपालक – जिनकी खेती या कृषि पर निर्भर आमदनी प्रभावित होती है।
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आवासीय भूखंड के मालिक – जिनका घर या बस्ती अधिग्रहण के तहत आती है।
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व्यवसायी और दुकानदार – जिनका व्यापार भूमि या आस-पास के क्षेत्र में आधारित होता है।
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स्थानीय समुदाय और मजदूर – जिन्हें परियोजना निर्माण के कारण अस्थायी या स्थायी रूप से स्थानांतरित होना पड़ सकता है।
प्रभाव के प्रकार
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आर्थिक: खेती, व्यवसाय या रोज़गार प्रभावित।
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सामाजिक: समुदाय की बस्ती, स्कूल, मंदिर जैसी सामाजिक संरचनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
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मानसिक: अनिश्चितता और स्थानांतरण के कारण तनाव।
नुकसान की भरपाई
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सरकार भूमि मालिकों को मुआवजा और पुनर्वास योजना प्रदान करती है।
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अधिग्रहण प्रक्रिया में प्रभावित लोगों की सुनवाई और आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार होता है।
नोटिस के अनुसार, अधिग्रहण की प्रक्रिया मुख्य रूप से उन गांवों में होगी जहां:
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औद्योगिक परियोजनाएँ (स्टील और पावर प्लांट्स) लगनी हैं।
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सड़क और रेल परियोजनाएँ शुरू की जानी हैं।
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सार्वजनिक हित (स्कूल, अस्पताल, जलसंसाधन आदि) से जुड़ी परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं।
सबसे ज्यादा प्रभावित वे किसान होंगे जिनकी कृषि भूमि इस प्रक्रिया में आएगी। कई परिवार अपनी पैतृक जमीन और आजीविका खोने की आशंका से चिंतित हैं।
किसानों और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
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कुछ किसान इस अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी जमीन उनकी जीविका का मुख्य साधन है।
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कुछ लोग अधिग्रहण को विकास का अवसर मानते हैं, बशर्ते उन्हें उचित मुआवजा और रोजगार मिले।
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कई ग्रामीणों की चिंता है कि जमीन तो ले ली जाएगी, लेकिन पुनर्वास और रोजगार का वादा पूरा नहीं होगा।
प्रशासन की भूमिका
जिलाधिकारी और राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया है कि
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प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।
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पुनर्वास और पुनर्व्यवस्था के लिए विशेष योजना बनाई जाएगी।
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किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं होगा और सबको सुनवाई का अवसर मिलेगा।
सामाजिक और आर्थिक असर
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सकारात्मक असर
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अधोसंरचना और उद्योग बढ़ने से क्षेत्र का विकास होगा।
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स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
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सड़क, रेल और बिजली जैसी सुविधाएँ बेहतर होंगी।
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नकारात्मक असर
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किसानों की जमीन और आजीविका पर संकट।
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विस्थापन से सामाजिक ताना-बाना प्रभावित होगा।
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यदि पुनर्वास सही ढंग से न हुआ तो लोग गरीबी और बेरोजगारी की चपेट में आ सकते हैं।
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विशेषज्ञों की राय
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भूमि नीति और योजना विशेषज्ञ
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विशेषज्ञों का मानना है कि भूमि अधिग्रहण सार्वजनिक उपयोग और विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यक है।
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वे कहते हैं कि यदि अधिग्रहण नियम और कानून के अनुसार पारदर्शिता के साथ किया जाए, तो यह विकास और स्थानीय समुदाय दोनों के हित में होता है।
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विशेषज्ञों का सुझाव है कि भूमि का मुआवजा समय पर और न्यायसंगत रूप से दिया जाना चाहिए, ताकि प्रभावित लोग आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें।
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सामाजिक वैज्ञानिक और मानवाधिकार विशेषज्ञ
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उनका कहना है कि भूमि अधिग्रहण सामाजिक असमानता और विस्थापन का कारण बन सकता है।
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उन्हें चिंता है कि छोटे किसान और कमजोर वर्ग के लोग पर्याप्त मुआवजा या पुनर्वास नहीं पा पाते।
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वे सुझाव देते हैं कि प्रभावित लोगों को सुनवाई का पूरा अवसर और पुनर्वास योजनाओं में प्रशिक्षण व रोजगार उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
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अर्थशास्त्र और विकास विशेषज्ञ
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विकास विशेषज्ञों का मानना है कि अधिग्रहण से स्थानीय और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है, खासकर जब परियोजना औद्योगिक या अवसंरचनात्मक हो।
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वे यह भी कहते हैं कि स्थानीय लोगों को परियोजना में रोजगार और लाभ दिए जाने चाहिए, जिससे अधिग्रहण का सामाजिक विरोध कम हो।
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कानूनी विशेषज्ञ
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कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि भूमि अधिग्रहण भारत के भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के अंतर्गत किया जाना चाहिए।
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उनका कहना है कि नोटिस, मुआवजा और पुनर्वास प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने से विवाद और लंबित मुकदमे कम होंगे।
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आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि अधिग्रहण से क्षेत्रीय विकास होता है, लेकिन मुआवजे की प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायपूर्ण होनी चाहिए।
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सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं कि ग्रामीणों को केवल पैसों से नहीं, बल्कि रोजगार और स्थायी पुनर्वास से भी जोड़ा जाना चाहिए।
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कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि LARR Act 2013 के तहत किसानों को मार्केट वैल्यू से चार गुना तक मुआवजा मिल सकता है, जिसे सही तरीके से लागू करना जरूरी है।
भविष्य की चुनौतियाँ
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क्या मुआवजा सही समय पर मिलेगा?
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क्या विस्थापित परिवारों को स्थायी रोजगार मिलेगा?
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क्या पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा?
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क्या अधिग्रहण के बाद स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली सुरक्षित रह पाएगी?
इन सवालों के जवाब आने वाला समय ही देगा।
रायगढ़ जिलाधिकारी और राजस्व विभाग द्वारा जारी अधिग्रहण का यह नोटिस विकास और जनहित की योजनाओं की दिशा में एक बड़ा कदम है। लेकिन यह तभी सफल माना जाएगा जब प्रभावित लोगों के हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी।
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