“धरमजयगढ़ चक्का जाम 2025 5 प्रमुख कारण और घटनाक्रम जो जनता को भड़का गए”
धरमजयगढ़ में सड़क पर लाश रखकर चक्का जाम एक रहस्यमय मौत और उसके बाद का जनाक्रोश

2025 के दशहरे की रात छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र में एक ऐसी घटना घटी, जिसने न केवल स्थानीय निवासियों को स्तब्ध कर दिया, बल्कि पूरे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता और प्रशासनिक जवाबदेही पर भी सवाल खड़े कर दिए। यह घटना एक युवक की रहस्यमय मौत से जुड़ी हुई है, जिसने बाद में जनाक्रोश और सड़क पर चक्का जाम की स्थिति उत्पन्न की।
धरमजयगढ़

धरमजयगढ़ में एक युवक की संदिग्ध मौत के बाद ग्रामीणों ने सड़क पर लाश रखकर चक्का जाम किया। घटना के बाद युवक को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मृत्यु हो गई। RIG24
घटना का विवरण
धरमजयगढ़ के खम्हार गांव के दो युवक, आशीष राठिया और सरोज सवरा, दशहरे के अवसर पर मिरिगुड़ा क्षेत्र में आयोजित मेले में भाग लेने गए थे। रात के समय, उनकी मोटरसाइकिल एक खड़ी हुई वाहन से टकरा गई, जिससे दोनों की मौके पर ही मृत्यु हो गई। घटना के बाद, 108 एंबुलेंस सेवा ने दोनों शवों को अस्पताल भेजने के लिए उठाया।
रहस्यमय मौत
एंबुलेंस में मृतकों के साथ एक अटेंडर, नरेश राठिया भी बैठा था। हालांकि, अस्पताल पहुंचने पर एंबुलेंस में दो शव पाए गए, लेकिन अटेंडर नरेश राठिया का कहीं कोई पता नहीं था। करीब 30 मिनट बाद, 112 एंबुलेंस सेवा ने नरेश राठिया को मरणासन्न अवस्था में अस्पताल लाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह घटना कई सवालों को जन्म देती है, जैसे कि नरेश राठिया एंबुलेंस में बैठा था, तो वह रास्ते में कहां गायब हो गया? और उसे मरणासन्न अवस्था में सड़क किनारे कैसे पाया गया?
जनाक्रोश और चक्का जाम
नरेश राठिया की रहस्यमय मौत ने स्थानीय निवासियों में गहरा आक्रोश उत्पन्न किया। लोगों ने धरमजयगढ़ थाना और एसडीओपी कार्यालय में शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन जब प्रशासनिक प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं मिली, तो उन्होंने राजीव चौक पर नरेश की लाश रखकर चक्का जाम कर दिया। इस दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने का प्रयास किया। चक्का जाम की स्थिति से यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई और प्रशासन को स्थिति को नियंत्रित करने में कठिनाई हुई।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और जांच
धरमजयगढ़ पुलिस और एसडीओपी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि नरेश राठिया एंबुलेंस में मृतकों के साथ बैठा था, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर वह गायब था। 112 एंबुलेंस सेवा ने उसे मरणासन्न अवस्था में सड़क किनारे पाया। पुलिस ने इस मामले में गहन जांच शुरू की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।
स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल
यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाती है। यदि एंबुलेंस सेवा में कोई लापरवाही हुई है, तो यह न केवल मृतकों के परिवारों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाए, ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
धरमजयगढ़ की यह घटना न केवल एक युवक की रहस्यमय मौत की कहानी है, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता को भी उजागर करती है। स्थानीय निवासियों का आक्रोश और उनकी मांगें न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह घटना यह भी दर्शाती है कि जब प्रशासनिक तंत्र निष्क्रिय हो जाता है, तो नागरिकों को अपनी आवाज उठानी पड़ती है।
स्थानीय निवासियों की यह मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार किया जाए, ताकि जनता का विश्वास बना रहे और वे सुरक्षित महसूस करें।
यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे एक छोटी सी घटना भी बड़े पैमाने पर जनाक्रोश और प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता को जन्म देती है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि प्रत्येक नागरिक का जीवन मूल्यवान है, और उसकी सुरक्षा और न्याय की जिम्मेदारी प्रशासन की है।
अंत में, यह घटना हमें यह सिखाती है कि जब तक हम अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक हमें न्याय नहीं मिलेगा। हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और किसी भी अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
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