₹152 करोड़ की सड़क परियोजना: अभुजमाड़ को महाराष्ट्र से जोड़ने की ऐतिहासिक मंज़ूरी

छत्तीसगढ़ का अभुजमाड़ क्षेत्र, जो अब तक अपनी भौगोलिक कठिनाइयों, घने जंगलों और नक्सल गतिविधियों के कारण देश के सबसे दुर्गम इलाकों में गिना जाता था, अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ने की ओर कदम बढ़ा रहा है। हाल ही में राज्य सरकार ने ₹152 करोड़ की लागत से अभुजमाड़ को महाराष्ट्र से सीधे जोड़ने वाली सड़क परियोजना को मंज़ूरी दी है। यह परियोजना न केवल भौगोलिक संपर्क का साधन बनेगी, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से इस क्षेत्र में एक नई ऊर्जा भरने का काम करेगी।
अभुजमाड़ कहाँ है?
अभुजमाड़ छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले का हिस्सा है, जो बस्तर क्षेत्र में आता है। “अभुजमाड़” का अर्थ ही है — “जिसे समझा न जा सके”। यह नाम इस इलाके की भौगोलिक जटिलता और दूरस्थता को दर्शाता है।
यह इलाका पहाड़ी, जंगलों और गहरे घाटियों से भरा हुआ है। यहां रहने वाली जनजातियाँ — माड़िया, गोंड, हल्बा, धुरवा आदि — अभी भी पारंपरिक जीवनशैली और स्थानीय संस्कृति में रची-बसी हैं। बिजली, सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएँ यहां तक पहुंचने में दशकों लग गए।
परियोजना का विवरण
राज्य सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग-130D से एक नई शाखा सड़क निर्माण को मंजूरी दी है, जो अभुजमाड़ से होकर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले को जोड़ेगी।
इस परियोजना की कुल लागत ₹152 करोड़ निर्धारित की गई है, और इसे छत्तीसगढ़ लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
सड़क की लंबाई लगभग 21.5 किलोमीटर होगी, जो गुमियापाल, ओर्ला, कोयलीबेड़ा, और कोपेनार जैसे गांवों को जोड़ते हुए महाराष्ट्र सीमा तक पहुंचेगी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने रायपुर-नारायणपुर जिले के अभुजमाड़ क्षेत्र को महाराष्ट्र से जोड़ने वाली 21.5 किमी सड़क परियोजना की मंजूरी दी है। इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹152 करोड़ है। The Times of India
यह सड़क NH-130D की शाखा बनेगी और गर्शिला बनावटों वाले जंगलों में वर्ष भर सुगमता से संपर्क सुनिश्चित करेगी। The Times of India
विकास के रास्ते पर अभुजमाड़
अभुजमाड़ लंबे समय से प्रशासन और सरकार की पहुंच से दूर रहा है। यह क्षेत्र नक्सल प्रभाव के लिए भी जाना जाता रहा है, जहां सुरक्षा बलों को भी पहुंचना चुनौतीपूर्ण होता था।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां धीरे-धीरे शांति और विकास का माहौल बन रहा है। सड़कों का निर्माण, मोबाइल नेटवर्क टावर, स्वास्थ्य केंद्र, और स्कूल खोलने जैसी पहलें शुरू हो चुकी हैं।
नई सड़क बनने से यहां के लोगों को शहरों तक बेहतर संपर्क, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच, और आर्थिक अवसरों का लाभ मिलेगा।
सड़क परियोजना के संभावित लाभ
1. आर्थिक विकास में तेजी
इस सड़क के बन जाने से नारायणपुर से महाराष्ट्र तक माल और सेवाओं का परिवहन आसान होगा। इससे स्थानीय कृषि उत्पाद, जैसे कोदो-कुटकी, तेंदूपत्ता, लाख, और वन-उत्पादों को नए बाज़ार मिलेंगे।
2. पर्यटन को बढ़ावा
अभुजमाड़ की प्राकृतिक सुंदरता, पहाड़ों, झरनों और जनजातीय संस्कृति में पर्यटन की बड़ी संभावनाएँ हैं। सड़क सुविधा से पर्यटकों की पहुंच आसान होगी, जिससे स्थानीय रोजगार बढ़ेगा।
3. शिक्षा और स्वास्थ्य तक पहुंच
अब तक इस क्षेत्र में छात्र और मरीजों को घंटों पैदल चलकर सड़क तक पहुंचना पड़ता था। नई सड़क से बच्चों को स्कूलों तक पहुंचने और बीमारों को अस्पतालों तक ले जाने में समय और जोखिम दोनों कम होंगे।
4. सुरक्षा और प्रशासनिक सुविधा
सड़क बनने के बाद प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस, और सुरक्षा बलों की पहुंच बेहतर होगी। इससे नक्सल विरोधी अभियानों को भी मदद मिलेगी और क्षेत्र में शांति बनाए रखना आसान होगा।
5. स्थानीय रोजगार के अवसर
निर्माण कार्य के दौरान सैकड़ों स्थानीय मजदूरों को काम मिलेगा। साथ ही सड़क बनने के बाद परिवहन, दुकानों, होटल, पेट्रोल पंप जैसे नए व्यवसायों का विकास होगा।
जनजातीय समाज की उम्मीदें
अभुजमाड़ के जनजातीय समुदाय ने लंबे समय से यह मांग उठाई थी कि उन्हें भी सड़क और बिजली जैसी सुविधाएँ दी जाएँ। अब जब यह मंजूरी मिल गई है, तो लोग इसे “नई सुबह की शुरुआत” कह रहे हैं।
ग्राम प्रधान भीमा माड़वी ने स्थानीय मीडिया से कहा —
“पहली बार हमें लग रहा है कि सरकार ने हमारी आवाज़ सुनी है। अब अस्पताल, स्कूल और बाज़ार तक पहुँचना आसान होगा।”
महिलाओं और युवाओं में भी इस परियोजना को लेकर उत्साह है। यह उन्हें रोज़गार, शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में मदद करेगा।
प्रशासन की भूमिका और चुनौतियाँ
हालांकि परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन भौगोलिक और सुरक्षा चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
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घने जंगल और पहाड़ी इलाका सड़क निर्माण को तकनीकी रूप से कठिन बनाता है।
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बरसात के मौसम में मिट्टी और जलभराव बड़ी बाधा साबित हो सकते हैं।
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सुरक्षा दृष्टि से निर्माण कार्य के दौरान पुलिस बलों की विशेष तैनाती की जरूरत होगी।
राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि परियोजना में किसी तरह की देरी या भ्रष्टाचार न हो और गुणवत्ता एवं पारदर्शिता बनाए रखी जाए।
मुख्यमंत्री का बयान
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा —
“यह सड़क सिर्फ कंक्रीट का रास्ता नहीं है, यह विकास, शिक्षा और विश्वास का पुल है। अभुजमाड़ को अब कोई ‘अभेद्य क्षेत्र’ नहीं कहा जाएगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले तीन वर्षों में राज्य के हर जनजातीय इलाके को पक्की सड़क से जोड़ा जाए।
केंद्र और राज्य की साझेदारी
यह परियोजना राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त वित्तीय सहयोग से पूरी की जाएगी। केंद्र की “प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना” और “विकासात्मक सड़क संपर्क योजना” के तहत यह परियोजना लाई गई है।
इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार के साथ भी समन्वय स्थापित किया गया है ताकि सड़क दोनों राज्यों की सीमा तक समान रूप से विकसित की जा सके।
सामाजिक बदलाव की शुरुआत
अभुजमाड़ जैसे क्षेत्र में सड़क बनना सिर्फ एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। अब यहां के युवाओं को रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा।
महिलाएं अपने उत्पाद — महुआ, इमली, सब्ज़ियाँ — पास के कस्बों में बेच पाएँगी। बच्चे उच्च शिक्षा के लिए शहर जा सकेंगे और बीमार व्यक्ति समय पर अस्पताल पहुँच सकेंगे।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण
सरकार ने परियोजना से पहले पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन (EIA) भी कराया है।
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सड़क निर्माण के दौरान पेड़ों की कटाई को न्यूनतम रखा जाएगा।
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जहां पेड़ काटने पड़ेंगे, वहां 5 गुना अधिक पौधरोपण किया जाएगा।
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वर्षा जल संचयन और मृदा संरक्षण की भी योजना बनाई गई है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास का संदेश
अभुजमाड़ को अक्सर “रेड जोन” कहा जाता रहा है। इस परियोजना के माध्यम से सरकार यह संदेश देना चाहती है कि विकास ही स्थायी शांति का रास्ता है।
जब सड़कें, स्कूल, अस्पताल और रोज़गार आएंगे — तो हिंसा और असंतोष अपने आप कम होंगे।
अभुजमाड़ सड़क परियोजना सिर्फ एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि यह एक भावनात्मक और ऐतिहासिक परिवर्तन की कहानी है।
यह सड़क उस इलाके को भारत की मुख्यधारा से जोड़ेगी, जो अब तक मानचित्र पर केवल जंगलों और नक्सल गतिविधियों के लिए जाना जाता था।
यह परियोजना साबित करेगी कि जब सरकार, जनता और प्रशासन मिलकर काम करते हैं, तो “अभुज” (असमझ) भी “समझ” में आ सकता है।
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