रायगढ़ खबर भारी बारिश के चलते बांधों से पानी छोड़ा गया, सावधानी जारी

भारी बारिश से जलस्तर में तेजी से वृद्धि

पिछले कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। रायगढ़, कोरबा, जांजगीर-चांपा और बिलासपुर जिलों में 24 घंटे में 100 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
इस भारी वर्षा के कारण प्रदेश के प्रमुख जलाशयों — गंगरेल, मिरोली, मांड, और खैरागढ़ बांध — में जलस्तर तेज़ी से बढ़ गया।
जलग्रहण क्षेत्रों में पानी की आवक इतनी बढ़ गई कि बांधों के स्लुइस गेट खोलने पड़े, ताकि बांध की सुरक्षा बनी रहे और संभावित बाढ़ से बचाव किया जा सके।
भारी बारिश के चलते बांधों से पानी छोड़ा गया, सावधानी जारी
लगातार बारिश के कारण चक्रों में कई जलाशय भर गए हैं, और Gangrel बांध से 55,000 क्यूसक (cusecs) पानी छोड़ा गया है। इस वजह से निचले इलाकों में बाढ़ की संभावना को देखते हुए सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया है। The Times of India
बांधों से पानी छोड़े जाने का निर्णय

राज्य जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार,
“लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण गंगरेल बांध से लगभग 55,000 क्यूसक (cusecs) पानी छोड़ा गया है। इसके अलावा मांड और मिनीमाता बांगो बांध से भी नियंत्रित मात्रा में पानी छोड़ा गया है।”
इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य है —
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बांध की संरचना की सुरक्षा बनाए रखना।
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अतिरिक्त जल प्रवाह को नियंत्रित तरीके से नदियों में प्रवाहित करना।
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निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा कम करना।
प्रशासन ने जारी की चेतावनी और सावधानी निर्देश
रायगढ़ जिला प्रशासन ने निचले इलाकों के लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
कलेक्टर ने सभी तहसीलों को अलर्ट जारी किया है और आपदा प्रबंधन दलों को तैयार रहने का निर्देश दिया गया है।
प्रमुख सावधानियाँ
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नदी किनारे और निचले इलाकों के लोग अपने घरों से बाहर न निकलें।
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बच्चों को नालों और जलधाराओं के पास खेलने से रोकें।
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मछुआरे और नाविक अगले 48 घंटे तक नदी में न जाएँ।
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पशुपालक अपने पशुओं को ऊँचे स्थानों पर ले जाएँ।
कौन-कौन से बांधों से छोड़ा गया पानी?
| बांध का नाम | छोड़ा गया पानी (क्यूसक) | प्रभावित क्षेत्र |
|---|---|---|
| गंगरेल बांध | 55,000 cusecs | रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार |
| मांड बांध | 18,000 cusecs | रायगढ़, सारंगढ़ |
| बांगो बांध | 42,000 cusecs | कोरबा, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा |
| मिनीमाता बांध | 25,000 cusecs | जशपुर, रायगढ़ के दक्षिण क्षेत्र |
इन जलधाराओं से निकलने वाला पानी धीरे-धीरे महानदी और उसकी सहायक नदियों में मिल रहा है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
कई ग्रामीणों ने बताया कि सुबह से ही नदी किनारे जलस्तर बढ़ता जा रहा है। कुछ जगहों पर खेतों में पानी घुसने लगा है, लेकिन फिलहाल किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।
एक किसान ने बताया —
“हम हर साल मानसून में ऐसा देखते हैं, लेकिन इस बार पानी बहुत तेजी से बढ़ा है। प्रशासन की चेतावनी सही समय पर मिली, इसलिए हम लोग तैयार हैं।”
मौसम विभाग का पूर्वानुमान
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान लगाया है कि अगले 48 घंटे तक प्रदेश में मूसलाधार बारिश की संभावना बनी हुई है।
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रायगढ़, कोरबा और अंबिकापुर जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी है।
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वहीं बिलासपुर और जांजगीर में येलो अलर्ट लागू किया गया है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र के कारण यह भारी वर्षा हो रही है।
आपदा प्रबंधन दल तैनात
रायगढ़ जिला प्रशासन ने NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और SDRF (राज्य आपदा मोचन बल) की टीमें तैनात कर दी हैं।
सभी राहत शिविरों में आवश्यक सामग्री — भोजन, दवाइयाँ, पीने का पानी और टेंट — उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
राहत की तैयारी
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12 स्कूल भवनों को अस्थायी राहत शिविर में बदला गया।
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24×7 कंट्रोल रूम शुरू किया गया (फोन नंबर: 1077)।
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नदी किनारे गश्त बढ़ाई गई है।
बांधों की सुरक्षा पर नजर
जल संसाधन विभाग ने बताया कि सभी बांध पूरी तरह सुरक्षित हैं।
तकनीकी दल लगातार जलस्तर और बांध की स्थिति पर निगरानी रख रहे हैं।
यदि बारिश का दौर और तेज़ होता है, तो गेट्स को और खोला जा सकता है।
विशेष रूप से गंगरेल बांध पर स्वचालित अलर्ट सिस्टम सक्रिय कर दिया गया है जो जलस्तर बढ़ने पर रियल टाइम सूचना प्रशासन को देता है।
कृषि और जनजीवन पर असर
भारी बारिश से फसलों पर भी असर देखा जा रहा है।
धान की फसल जलमग्न हो गई है, जिससे कटाई में देरी की संभावना है।
हालांकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि —
“अगर पानी कुछ दिनों में उतर गया तो नुकसान सीमित रहेगा। लेकिन अगर जलभराव बढ़ा तो फसल की जड़ों को सड़न का खतरा है।”
शहरों में जलभराव, ट्रैफिक जाम और बिजली कटौती जैसी समस्याएँ भी देखने को मिल रही हैं।
जल प्रबंधन के दृष्टिकोण से क्या सीख मिली?
यह घटना हमें याद दिलाती है कि जल संसाधन प्रबंधन कितना महत्वपूर्ण है।
यदि बांधों का रखरखाव और जल निकासी प्रणाली बेहतर ढंग से की जाए, तो कई आपदाओं से बचा जा सकता है।
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स्वचालित जल निगरानी सेंसरों की संख्या बढ़ाई जाए।
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नदी किनारे अतिक्रमण हटाया जाए ताकि जल प्रवाह बाधित न हो।
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जनता को समय से चेतावनी देने के सिस्टम को और मजबूत किया जाए।
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ग्रामीण स्तर पर आपदा तैयारी प्रशिक्षण दिया जाए।
निचले इलाकों के गाँवों में हालात
सारंगढ़, धरमजयगढ़ और खरसिया के कुछ गाँवों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है।
ग्रामीण प्रशासन की मदद से राहत सामग्री और दवाइयाँ पहुँचाई जा रही हैं।
स्थानीय पंचायतों को निर्देश दिया गया है कि वे लोगों की उच्च स्थानों पर सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करें।
पर्यावरणविदों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की स्थिति जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का परिणाम भी हो सकती है।
“बारिश का पैटर्न अनियमित हो गया है — कभी सूखा, कभी अत्यधिक वर्षा। हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाना सीखना होगा।”
वे यह भी सलाह देते हैं कि हर साल मानसून से पहले जल निकासी चैनल्स की सफाई और नदी तट संरक्षण कार्य समय पर पूरे किए जाएँ।
जनता के लिए सुझाव
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अनावश्यक रूप से नदियों या तालाबों के पास न जाएँ।
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बिजली के उपकरणों को सूखे स्थान पर रखें।
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पेयजल को उबालकर या फिल्टर कर ही पिएँ।
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प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और अफवाहों पर ध्यान न दें।
सावधानी ही सुरक्षा है
“भारी बारिश के चलते बांधों से पानी छोड़ा गया, सावधानी जारी” — यह केवल मौसम अपडेट नहीं, बल्कि जनता के लिए चेतावनी और तैयारी का संदेश है।
प्रशासन अपनी भूमिका निभा रहा है, लेकिन नागरिकों की सतर्कता भी उतनी ही आवश्यक है।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि —
“प्रकृति से मुकाबला नहीं, सामंजस्य ही समाधान है।”
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