भारत ने LPG आयात टेंडर की समयसीमा बढ़ाई 2026 के लिए ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति की दिशा में कदम

भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता और तेल आयातक देश, हर साल अपनी एलपीजी (Liquefied Petroleum Gas) जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी आपूर्ति पर निर्भर रहता है। घरेलू उत्पादन पर्याप्त नहीं होने के कारण, देश को विभिन्न देशों से एलपीजी आयात करना पड़ता है।
हाल ही में भारत ने 2026 के लिए एलपीजी आयात टेंडर की समयसीमा 17 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी है। यह कदम न केवल ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करता है, बल्कि घरेलू उपभोक्ताओं के लिए कीमतों और उपलब्धता में संतुलन बनाने में भी मदद करेगा।
भारत ने 2026 की डिलीवरी के लिए संयुक्त LPG (liquefied petroleum gas) आयात की पहली वार्षिक निविदा की समय सीमा 17 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी है। Reuters
एलपीजी टेंडर क्या है?
एलपीजी टेंडर एक सार्वजनिक निविदा प्रक्रिया है जिसके माध्यम से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) जैसी राज्य-स्वामित्व वाली रिफाइनरी कंपनियाँ एलपीजी की खरीद के लिए अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं से बोली मंगाती हैं।
इस टेंडर का उद्देश्य है
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अगले साल के लिए पर्याप्त मात्रा में एलपीजी सुनिश्चित करना।
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वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना।
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कीमतों में स्थिरता बनाए रखना।
2026 के लिए यह टेंडर लगभग 2 मिलियन मीट्रिक टन एलपीजी के आयात के लिए है। इसके तहत संयुक्त रूप से लगभग 48 VLGCs (Very Large Gas Carriers) का उपयोग किया जाएगा।

भारत ने समयसीमा क्यों बढ़ाई?
समयसीमा बढ़ाने के पीछे कई कारण हैं
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वैश्विक आपूर्ति में अनिश्चितता
एलपीजी की वैश्विक आपूर्ति में हाल के महीनों में उतार-चढ़ाव देखा गया है। मध्य-पूर्व और अमेरिका में उत्पादन में बदलाव, मौसमीय घटनाएँ और समुद्री परिवहन की बाधाएँ इसका मुख्य कारण हैं। -
बेहतर मूल्य सुनिश्चित करना
अतिरिक्त समय देने से कंपनियाँ बेहतर मूल्य प्रस्ताव प्राप्त कर सकती हैं। इससे सरकारी रिफाइनरियों को एलपीजी की खरीद में लागत-कुशल विकल्प मिलेंगे और उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में स्थिरता आएगी। -
आपूर्तिकर्ताओं से समन्वय
समय बढ़ाने से अमेरिका और अन्य देशों के आपूर्तिकर्ताओं के साथ समन्वय करना आसान होगा। इससे लॉजिस्टिक और कॉन्ट्रैक्ट संबंधी मुद्दों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
अमेरिका से एलपीजी आयात की रणनीति
भारत की योजना है कि वह अगले वर्ष एलपीजी का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से आयात करे। यह निर्णय कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
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ऊर्जा आपूर्ति में विविधता पहले भारत मध्य-पूर्वी देशों पर अधिक निर्भर था। अब अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं के माध्यम से आपूर्ति में विविधता आएगी।
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व्यापारिक संबंध यह भारत-अमेरिका के ऊर्जा और व्यापार संबंधों को मजबूत करता है।
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दीर्घकालिक सहयोग अमेरिका के साथ ऊर्जा आपूर्ति समझौते लंबी अवधि में स्थिरता और भरोसेमंद आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।

वैश्विक ऊर्जा बाजार पर प्रभाव
इस टेंडर और समयसीमा बढ़ाने के कदम का वैश्विक ऊर्जा बाजार पर भी असर पड़ेगा।
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मध्य-पूर्व की आपूर्ति पर दबाव
सऊदी अरब और अन्य तेल उत्पादक देशों को अब प्रतिस्पर्धा में मूल्य निर्धारण में लचीलापन रखना पड़ेगा। -
एलपीजी की कीमतों में स्थिरता
वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव से भारत में घरेलू कीमतों पर असर पड़ सकता है। समयसीमा बढ़ाने से कंपनियों को बाजार का विश्लेषण करने का समय मिलेगा और कीमतों को नियंत्रित किया जा सकेगा। -
लॉजिस्टिक और ट्रांसपोर्टेशन
VLGCs और अन्य पोतों के संचालन में वैश्विक मांग और मौसमीय कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समयसीमा बढ़ाने से सुरक्षित और कुशल आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए महत्व
इस टेंडर का सबसे बड़ा लाभ देश के एलपीजी उपभोक्ताओं को मिलेगा।
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कीमतों में स्थिरता
बेहतर मूल्य निर्धारण और आपूर्ति विविधता से घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में उतार-चढ़ाव कम होगा। -
सुरक्षित आपूर्ति
मौसमी और वैश्विक कारणों से गैस की कमी की संभावना कम होगी। -
आवश्यक वस्तु सुरक्षा
एलपीजी को आवश्यक वस्तु के रूप में माना जाता है। यह कदम सुनिश्चित करता है कि हर घर तक गैस समय पर पहुंचे।
सरकार और रिफाइनरी कंपनियों की भूमिका
भारत सरकार ने यह कदम ऊर्जा सुरक्षा रणनीति के तहत उठाया है। रिफाइनरी कंपनियाँ इस प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।
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IOC एलपीजी उत्पादन और वितरण का सबसे बड़ा नेटवर्क रखती है।
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BPCL और HPCL इनकी नेटवर्क क्षमता और लॉजिस्टिक दक्षता इस योजना को सफल बनाने में मदद करेगी।
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सहयोग सरकार और कंपनियों का संयुक्त प्रयास वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बोली सुनिश्चित करता है।
टेंडर की प्रक्रिया और पारदर्शिता
एलपीजी टेंडर पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के तहत किया जाता है।
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प्रारंभिक सूचना सभी आपूर्तिकर्ताओं को निविदा की जानकारी दी जाती है।
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बोली की प्रक्रिया आपूर्तिकर्ता मूल्य और शर्तें प्रस्तुत करते हैं।
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चयन और अनुबंध सबसे प्रतिस्पर्धी बोली और विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता को अनुबंध दिया जाता है।
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निगरानी सरकार और कंपनियाँ आपूर्ति की निगरानी करती हैं ताकि समय पर डिलीवरी सुनिश्चित हो।
भविष्य की योजना
इस कदम से भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होगा। भविष्य में भारत
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अमेरिकी और मध्य-पूर्वी आपूर्तिकर्ताओं के बीच संतुलन बनाए रखेगा।
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घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान देगा
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ऊर्जा आपूर्ति में दीर्घकालिक स्थिरता और कीमत नियंत्रण सुनिश्चित करेगा।
भारत ने एलपीजी आयात टेंडर की समयसीमा बढ़ाकर ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता सुनिश्चित की है।
यह कदम न केवल घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी होगा, बल्कि भारत की वैश्विक ऊर्जा स्थिति को मजबूत करने में भी मदद करेगा।
इस तरह की रणनीतियाँ यह दर्शाती हैं कि भारत ऊर्जा आपूर्ति में आत्मनिर्भरता की दिशा में स्थिर कदम उठा रहा है, जिससे घरेलू कीमतों में स्थिरता और आपूर्ति में सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
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