छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू किसानों के लिए खुशखबरी
छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए एक बार फिर राहत की खबर आई है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि धान खरीदी 15 नवंबर 2025 से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू होगी।
धान छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और यह राज्य देश के शीर्ष धान उत्पादक राज्यों में से एक है।
इस बार खरीदी सीजन को लेकर न केवल किसान बल्कि सहकारी समितियाँ और प्रशासन भी पूरी तरह तैयार हैं।

धान खरीदी की तारीख और समय-सारणी
राज्य सरकार ने जारी अधिसूचना में कहा है कि:
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धान खरीदी की शुरुआत: 15 नवंबर 2025
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समाप्ति की संभावित तिथि: 31 जनवरी 2026
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खरीदी का समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक (सोमवार से शनिवार)
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रविवार: अवकाश रहेगा
धान की खरीदी सहकारी समितियों, प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) और मार्कफेड (MARKFED) केंद्रों के माध्यम से की जाएगी।
धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2025–26
केंद्र सरकार द्वारा तय MSP दरें 2025-26 के लिए इस प्रकार हैं:
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सामान्य धान (Common Grade): ₹2,330 प्रति क्विंटल
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उत्तम धान (Grade A): ₹2,350 प्रति क्विंटल
राज्य सरकार ने पहले की तरह किसानों को अतिरिक्त बोनस देने पर विचार करने की घोषणा की है, हालांकि बोनस की राशि का निर्धारण अभी कैबिनेट की मंजूरी के बाद होगा।
धान खरीदी के लिए किसान पंजीयन प्रक्रिया
धान बेचने के लिए किसानों को राज्य सरकार की “धान खरीदी पोर्टल” (https://paddy.cg.nic.in) या अपने PACS केंद्र में पंजीयन कराना अनिवार्य है।
पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज़:
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किसान का आधार कार्ड
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भूमि रिकॉर्ड (खसरा-खतौनी)
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बैंक पासबुक की प्रति
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मोबाइल नंबर
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निवास प्रमाण पत्र
इस वर्ष पंजीकरण की अंतिम तिथि 5 नवंबर 2025 रखी गई थी।
पंजीकृत किसान ही MSP पर धान बेच सकेंगे।

धान खरीदी केंद्रों की तैयारी
राज्य के लगभग 2,600 से अधिक खरीदी केंद्रों पर व्यवस्थाएँ पूरी कर ली गई हैं।
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सभी केंद्रों पर CCTV कैमरे, इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीनें, और ऑनलाइन रजिस्टर लगाए गए हैं।
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धान की गुणवत्ता जाँच टीम (Quality Testers) को प्रशिक्षित किया गया है।
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खरीदी केंद्रों पर पेयजल, छाया और शौचालय की सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं।
धान खरीदी में किसानों की भूमिका और सावधानियाँ
किसानों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना होगा:
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केवल पंजीकृत किसान ही धान बेच सकेंगे।
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धान की नमी 17% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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अधिक नमी या मिलावटी धान को अस्वीकृत किया जाएगा।
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धान की एक किस्म ही एक दिन में बेचने की अनुमति होगी।
किसान अपने मोबाइल नंबर के माध्यम से खरीदी का SMS अलर्ट प्राप्त कर सकते हैं। इससे उन्हें भुगतान और स्टॉक की स्थिति की जानकारी मिलेगी।
भुगतान प्रणाली: 72 घंटे में राशि खाते में
राज्य सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि:
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धान खरीदी के 72 घंटे (3 दिन) के भीतर भुगतान उनके बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
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सभी भुगतान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से होंगे।
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किसी भी प्रकार की देरी या गड़बड़ी पर जिला अधिकारी जवाबदेह होंगे।
धान खरीदी में पारदर्शिता के लिए डिजिटल सिस्टम
इस वर्ष सरकार ने खरीदी प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाया है:
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ऑनलाइन पंजीयन व सत्यापन
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ई-तौल प्रणाली
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धान की वास्तविक समय मॉनिटरिंग (Real-time Monitoring)
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SMS आधारित ट्रैकिंग सिस्टम
इससे बिचौलियों पर रोक लगेगी और किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
राज्य में धान उत्पादन की स्थिति
छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है।
वर्तमान सीजन (2025) में:
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कुल धान क्षेत्रफल: लगभग 39 लाख हेक्टेयर
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अनुमानित उत्पादन: 90 लाख मीट्रिक टन
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पंजीकृत किसान: लगभग 27 लाख
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सरकारी खरीदी का लक्ष्य: 108 लाख मीट्रिक टन तक
सरकार का लक्ष्य है कि हर पात्र किसान को खरीदी केंद्र में उचित दर मिले और कोई बिचौलिया लाभ न उठा सके।

सरकार की पहल और निगरानी व्यवस्था
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने समीक्षा बैठक में सभी जिलों के कलेक्टरों को सख्त निर्देश दिए हैं:
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किसी भी केंद्र पर अव्यवस्था या दलालों की गतिविधि बर्दाश्त नहीं होगी।
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खरीदी केंद्रों पर कलेक्टर और तहसीलदार की टीम नियमित निरीक्षण करेगी।
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किसान शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर 155210 और जिला नियंत्रण कक्ष स्थापित।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा:
“हमारी सरकार किसानों की मेहनत का पूरा मूल्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हर किसान का एक-एक दाना खरीदा जाएगा। खरीदी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य को केंद्र से 60,800 मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन भी मिल चुका है ताकि किसानों को खाद की कोई कमी न हो।
धान से राज्य की अर्थव्यवस्था को बल
छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में धान खरीदी का बड़ा योगदान है।
हर साल करोड़ों रुपये सीधे किसानों के खातों में पहुंचते हैं।
इससे:
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ग्रामीण बाजारों में नकदी प्रवाह बढ़ता है
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कृषि यंत्रों और बीजों की बिक्री में वृद्धि होती है
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ग्राम पंचायतों की आय में सुधार होता है
धान खरीदी का यह सीजन प्रदेश के आर्थिक चक्र को फिर से गति देता है।
संभावित चुनौतियाँ
हालांकि सरकार ने पुख्ता इंतजाम किए हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ सामने हैं:
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भंडारण क्षमता की कमी: कई जगह गोदामों में जगह सीमित।
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बारिश से नुकसान: देर से हुई वर्षा से कई इलाकों में धान का उत्पादन प्रभावित।
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नमी नियंत्रण: किसानों को सुखाने की सुविधाएँ नहीं होने से नमी अधिक।
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भ्रष्टाचार की शिकायतें: पूर्व में दलालों के जरिए गलत वजन या नाम पर खरीदी के मामले सामने आए थे।
इन समस्याओं से निपटने के लिए इस बार निगरानी को कड़ा किया गया है।
धान खरीदी की जानकारी मोबाइल पर
किसानों के लिए मोबाइल एप “CG किसान सुविधा ऐप” में खरीदी केंद्र की पूरी जानकारी उपलब्ध है —
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खरीदी की तारीख
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भुगतान की स्थिति
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केंद्र की सूची
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शिकायत दर्ज करने का विकल्प
इससे किसानों को केंद्रों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
किसानों की उम्मीदें और आवाज़
रायगढ़ के किसान महेश पटेल कहते हैं:
“पिछले साल भुगतान में थोड़ी देरी हुई थी, लेकिन इस बार सरकार ने व्यवस्था बेहतर की है। अगर समय पर भुगतान होता है तो हमारी मेहनत सार्थक होगी।”
बिलासपुर की किसान सावित्री बाई साहू का कहना है:
“धान खरीदी हमारे लिए त्योहार जैसी होती है। पूरे परिवार की आय इसी पर निर्भर करती है। सरकार बोनस भी दे तो अच्छा रहेगा।”
आंकड़ों में धान खरीदी (पिछले वर्ष का तुलना)
| वर्ष | खरीदी गई मात्रा (लाख मी. टन) | किसानों की संख्या (लाख) | MSP दर (₹/क्विंटल) | बोनस (₹) |
|---|---|---|---|---|
| 2023–24 | 107.2 | 26.5 | ₹2,203 | ₹250 |
| 2024–25 | 108.4 | 26.9 | ₹2,250 | ₹300 |
| 2025–26 | लक्ष्य: 110 | अनुमानित: 27.2 | ₹2,330 | निर्णय लंबित |
किसानों के विश्वास का मौसम
धान खरीदी केवल एक आर्थिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण आत्मा का उत्सव है।
हर खरीदी केंद्र पर किसान अपनी मेहनत का मूल्य पाता है, और यही राज्य की असली ताकत है।
सरकार की ओर से डिजिटल व्यवस्था, पारदर्शी भुगतान और नमी नियंत्रण जैसी नई पहलें किसानों में भरोसा जगा रही हैं।
इस बार की खरीदी से न केवल लाखों किसानों की आजीविका मजबूत होगी बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी।
“जब धरती मुस्कुराती है, तो किसान की आँखों में उम्मीद झिलमिलाती है।”
छत्तीसगढ़ की मिट्टी में एक खास खुशबू है — मेहनत, आशा और विश्वास की। हर साल जब धान की फसल लहराती है, तो यह केवल अन्न का उत्पादन नहीं, बल्कि किसानों के जीवन की नई कहानी होती है।
15 नवंबर से शुरू होने वाली धान खरीदी को लेकर इस बार भी वही उत्साह, वही उम्मीद है — यह सिर्फ धान का मौसम नहीं, बल्कि “किसानों के विश्वास का मौसम” है।
धान — छत्तीसगढ़ की आत्मा
छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” (Rice Bowl of India) कहा जाता है।
राज्य की लगभग 75% आबादी कृषि पर निर्भर है, और धान इसका सबसे प्रमुख फसल है।
गाँवों में यह सिर्फ खेती नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा है —
जहाँ धान का बोना, कटना, गहाई और मंडी ले जाना, सब एक सांस्कृतिक उत्सव की तरह मनाया जाता है।
सरकार का वादा — मेहनत का उचित मूल्य
इस वर्ष सरकार ने घोषणा की है कि धान खरीदी 15 नवंबर 2025 से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू होगी।
धान का MSP इस वर्ष ₹2,330 (सामान्य) और ₹2,350 (ग्रेड-A) तय किया गया है।
सरकार का दावा है कि किसानों को भुगतान 72 घंटे के भीतर बैंक खाते में मिलेगा।
“हर किसान का एक-एक दाना खरीदा जाएगा” —
यह मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का वादा है, जो किसानों में भरोसा जगाता है।गाँवों में उम्मीद की हलचल
धान खरीदी शुरू होने से पहले गाँवों में नई हलचल रहती है।
हर किसान अपने खेत से उपज तौलता है, बोरे सील करता है, और मंडी केंद्र की तारीख का इंतज़ार करता है।
गाँव के चौक में चर्चा होती है —
“इस बार भाव कैसा रहेगा?”,
“भुगतान जल्दी होगा या देर से?”,
“धान सूख गया या अभी नमी ज़्यादा है?”यह संवाद किसानों की रोज़मर्रा की चिंता और उम्मीदों का मिश्रण है।
प्रकृति पर निर्भर जीवन
कृषि हमेशा से प्रकृति पर निर्भर रही है।
कभी बारिश कम होती है, कभी बाढ़ खेत डुबा देती है, कभी कीट रोग फसल को नुकसान पहुँचा देते हैं।
फिर भी किसान विश्वास नहीं खोता।
उसे पता है — अगला मौसम फिर आएगा, धरती फिर हरेगी।
यह विश्वास ही है जो उसे कठिनाइयों में भी अडिग रखता है।समस्याएँ अब भी बाकी हैं
हालांकि प्रगति हो रही है, लेकिन चुनौतियाँ अब भी हैं:
भंडारण की कमी — गोदामों में जगह कम पड़ जाती है।
नमी की समस्या — सुखाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं।
दलालों की दखलअंदाज़ी — कई बार बिचौलियों के कारण किसान को पूरा मूल्य नहीं मिलता।
कृषि ऋण चुकौती का दबाव — कई किसान कर्ज़ तले दबे हैं।
इन समस्याओं से उबरना ही असली विकास की राह है।
“धान खरीदी 2025 — मेहनतकश किसान का सम्मान”
“किसान का पसीना जब दाने में बदलता है,
तब प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुस्कुराती है।”Next-
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