छत्तीसगढ़ सरकार के विकास निर्णय चावल खरीद-प्रक्रिया और सड़क निर्माण से ग्रामीण विकास

छत्तीसगढ़ राज्य हमेशा से ही कृषि प्रधान राज्य रहा है, जहां की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार खेती-किसानी और ग्रामीण संसाधन हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में दो बड़े विकास निर्णय लिए हैं — पहला चावल खरीद-प्रक्रिया में सुधार और दूसरा ग्रामीण व नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण परियोजनाओं की शुरुआत।

इन दोनों योजनाओं का उद्देश्य न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है, बल्कि ग्रामीण विकास, रोजगार सृजन और किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
चावल खरीद-प्रक्रिया व सड़क निर्माण जैसे विकास निर्णय – राज्य सरकार ने ख़रीफ फसल की खरीद-प्रक्रिया व नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कें बनाने जैसे नए निर्णय लिए हैं। Drishti IAS+1
चावल खरीद-प्रक्रिया में सुधार और नई नीतियाँ

छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में से एक है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए सबसे अधिक धान की आपूर्ति करता है। हर साल खरीफ मौसम में लाखों किसान अपनी उपज सरकारी मंडियों में बेचते हैं। सरकार ने इस बार कई नए सुधार लागू किए हैं —
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ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली में पारदर्शिता
किसानों के लिए चावल खरीद में अब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन की जा रही है। इससे फर्जी पंजीकरण और बिचौलियों की भूमिका को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। -
समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने की नीति
किसानों को उपज का मूल्य अब 72 घंटे के भीतर सीधे बैंक खाते में भेजा जाएगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक असर पड़ेगा। -
धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि
केंद्र सरकार द्वारा घोषित एमएसपी के अलावा, राज्य सरकार ने अतिरिक्त बोनस देने का फैसला किया है, जिससे प्रति क्विंटल धान का दाम किसानों के लिए और लाभदायक बन गया है। -
नमी और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार
अब मंडियों में नई तकनीक के माध्यम से धान की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाएगा, ताकि किसी भी किसान को अनुचित कटौती का सामना न करना पड़े। -
महिला स्व-सहायता समूहों की भागीदारी
चावल की खरीदी और वितरण प्रक्रिया में महिला समूहों को शामिल किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता मिलेगी।
किसानों की प्रतिक्रिया और लाभ
किसानों ने इस नई नीति का स्वागत किया है। बिलासपुर, रायगढ़, धमतरी और बस्तर जैसे जिलों के किसान बताते हैं कि अब मंडियों में कम भीड़भाड़ है और भुगतान प्रणाली तेज हो गई है।
किसान संघ के अध्यक्ष रामलाल साहू ने कहा,
“पहले भुगतान आने में 10–15 दिन लग जाते थे, लेकिन अब तीन दिनों में पैसा खाते में आ जाता है। इससे कर्ज चुकाने और अगली फसल की तैयारी आसान हो गई है।”
सड़क निर्माण परियोजनाएँ — विकास की रफ्तार को नई दिशा
छत्तीसगढ़ सरकार ने सड़क निर्माण को भी अपनी प्राथमिक योजनाओं में रखा है। विशेष रूप से नक्सल प्रभावित और दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कई नई सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
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नक्सल प्रभावित जिलों में सड़क परियोजनाएँ
बस्तर, सुकमा, कांकेर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों में ₹1,200 करोड़ की लागत से 800 किमी से अधिक सड़कों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
इससे सुरक्षा बलों की आवाजाही के साथ-साथ व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। -
ग्रामीण सड़कों का चौड़ीकरण
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत ग्रामीण सड़कों को डामरीकरण किया जा रहा है, ताकि गांव से ब्लॉक मुख्यालय तक संपर्क सुगम हो सके। -
औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़कें
रायगढ़, कोरबा और दुर्ग जिलों में औद्योगिक क्षेत्रों तक नई सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी और निवेश आकर्षित होगा। -
पर्यावरण-अनुकूल सड़क निर्माण तकनीक
सरकार ने फ्लाई ऐश, कोल वेस्ट और प्लास्टिक वेस्ट के उपयोग से सड़क निर्माण की नीति अपनाई है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा।
सड़क निर्माण से रोजगार के अवसर
इन परियोजनाओं से राज्य में 20,000 से अधिक स्थानीय लोगों को अस्थायी और स्थायी रोजगार मिलने की संभावना है।
ग्रामीण युवाओं को सड़क निर्माण, रखरखाव और मशीनरी संचालन में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
यह पहल “गरीबी उन्मूलन” और “स्थानीय आत्मनिर्भरता” की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
आर्थिक प्रभाव और राज्य की विकास दर
राज्य योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, इन विकास निर्णयों से छत्तीसगढ़ की GDP में 1.5% तक की वृद्धि हो सकती है।
कृषि और निर्माण क्षेत्र मिलकर राज्य की कुल अर्थव्यवस्था का लगभग 60% हिस्सा योगदान करते हैं।
इन दोनों क्षेत्रों को एक साथ सशक्त बनाने से ग्रामीण विकास का चक्र और तेज़ होगा।
सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ
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ग्रामीण सड़कों से स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा तक पहुँच आसान होगी।
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मंडियों तक तेज़ संपर्क से किसानों को बेहतर बाजार मूल्य मिलेगा।
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नई सड़कें आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में भी सहायक होंगी।
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पर्यावरण-अनुकूल निर्माण से ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा।
विशेषज्ञों की राय
रायपुर के अर्थशास्त्री डॉ. सुनील वर्मा कहते हैं —
“चावल खरीद-प्रक्रिया और सड़क निर्माण दोनों ही पहलें राज्य के ग्रामीण अर्थतंत्र को स्थिर करने में मील का पत्थर साबित होंगी। अगर ये योजनाएँ समय पर पूरी होती हैं तो आने वाले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी विकासशील राज्यों में गिना जाएगा।”
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता मीना देवांगन का कहना है —
“सड़कें सिर्फ विकास का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का माध्यम हैं। जब गांव से शहर तक जुड़ाव बढ़ेगा, तो शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण में भी तेजी आएगी।”
सरकार की भविष्य की योजनाएँ
छत्तीसगढ़ सरकार आने वाले समय में निम्नलिखित योजनाएँ शुरू करने की तैयारी कर रही है:
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धान भंडारण क्षमता में वृद्धि – आधुनिक वेयरहाउस निर्माण।
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ई-खरीद प्लेटफॉर्म का विस्तार – हर किसान को डिजिटल कार्ड से जोड़ा जाएगा।
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राजमार्ग परियोजना – रायपुर से बस्तर तक 6-लेन हाइवे का प्रस्ताव।
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स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता – रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार के हालिया निर्णय — चावल खरीद-प्रक्रिया में पारदर्शिता और सड़क निर्माण की तेज़ी — राज्य के ग्रामीण और आर्थिक विकास को नई दिशा दे रहे हैं।
इन कदमों से जहां किसानों की आय में स्थिरता आएगी, वहीं रोजगार और व्यापार के अवसर भी बढ़ेंगे।
यह कहना गलत नहीं होगा कि ये निर्णय आने वाले वर्षों में “नया छत्तीसगढ़ – समृद्ध छत्तीसगढ़” के विज़न को साकार करने की ओर एक मजबूत कदम हैं।
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