छत्तीसगढ़ के सुकमा में 27 नक्सलियों का आत्मसमर्पण एक ऐतिहासिक मोड़

15 अक्टूबर 2025 को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब 27 नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इनमें से 16 नक्सलियों पर कुल ₹50 लाख का इनाम घोषित था। इस आत्मसमर्पण ने राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को एक नई दिशा दी है। इस लेख में हम इस घटना के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।
27 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
सुकमा जिले में 27 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 10 महिलाएं भी शामिल हैं। उन्होंने माओवादी विचारधारा से निराश होकर आत्मसमर्पण किया। Hindustan Times
आत्मसमर्पण की पृष्ठभूमि

सुकमा जिला, जो कभी नक्सलवाद के गढ़ के रूप में जाना जाता था, अब शांति की ओर अग्रसर है। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और सरकार की पुनर्वास नीति ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में 10 महिलाएं भी शामिल हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि नक्सलवाद में महिलाओं की भागीदारी भी महत्वपूर्ण रही है।
आत्मसमर्पण करने वालों की प्रोफ़ाइल

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में से अधिकांश पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के सदस्य थे। इन नक्सलियों पर विभिन्न अपराधों में संलिप्तता के आरोप थे, और उनके खिलाफ इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वालों में से कई ने बताया कि वे नक्सलवादी विचारधारा से निराश हो चुके थे और स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ हो रही हिंसा से दुखी थे।
सरकार की पुनर्वास नीति
छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए एक व्यापक पुनर्वास नीति तैयार की है। इस नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ, रोजगार, आवास, और शिक्षा जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। यह नीति नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए एक सकारात्मक कदम है।
सुरक्षा बलों की भूमिका
सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की है, जिससे नक्सलियों की गतिविधियों में कमी आई है। ऑपरेशन ‘ब्लैक फॉरेस्ट’ जैसी कार्रवाइयों ने नक्सलियों के मनोबल को तोड़ा है। इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर विश्वास स्थापित किया है, जिससे आत्मसमर्पण की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
लगातार अभियान और निगरानी
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CRPF, CoBRA और STF जैसी विशेष इकाइयों ने लगातार नक्सलियों की गतिविधियों पर निगरानी रखी।
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जंगलों और दुर्गम क्षेत्रों में ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट जैसे अभियान चलाए गए, जिसमें नक्सलियों के ठिकानों और हथियार भंडारों की पहचान की गई।
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इन कार्रवाइयों से नक्सलियों का मनोबल टूटता गया और आत्मसमर्पण की संभावना बढ़ी।
रणनीतिक दबाव
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सुरक्षा बलों ने सुरक्षित और नियंत्रित क्षेत्रों में नक्सलियों पर दबाव बनाया, जिससे उनके लिए हिंसा जारी रखना कठिन हो गया।
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सुरक्षा बलों ने लक्षित अभियानों और छापों के माध्यम से प्रमुख नक्सली कमांडरों को अलग किया, जिससे संगठन कमजोर हुआ।
विश्वास निर्माण और स्थानीय सहभागिता
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नक्सलियों के आत्मसमर्पण में स्थानीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
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सुरक्षा बलों ने आदिवासी क्षेत्रों में लोगों के साथ संवाद बढ़ाया और यह स्पष्ट किया कि आत्मसमर्पण करने वालों को कानूनी सुरक्षा और पुनर्वास मिलेगा।
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समुदाय के सहयोग से नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का भरोसा मिला।
पुनर्वास और सुरक्षा का आश्वासन
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आत्मसमर्पण प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को सुरक्षित मार्ग और कानूनी सहायता प्रदान की।
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उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान न पहुँचें, जिससे लोग आत्मसमर्पण के लिए अधिक प्रेरित हुए।
सुरक्षा बलों ने न केवल हिंसा के माध्यम से दबाव बनाया, बल्कि सकारात्मक प्रोत्साहन और विश्वास निर्माण की रणनीति अपनाई। यही कारण है कि 27 नक्सलियों का आत्मसमर्पण संभव हुआ। यह दिखाता है कि न केवल बल बल्कि समझ और रणनीति भी नक्सलवाद को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
नक्सलियों का आत्मसमर्पण न केवल सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल करने से स्थानीय समुदायों में शांति और विकास की संभावनाएं बढ़ी हैं। इसके अलावा, सरकार की पुनर्वास नीति से इन नक्सलियों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
सुकमा में 27 नक्सलियों का आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की सफलता का प्रतीक है। यह घटना दर्शाती है कि सरकार की नीति, सुरक्षा बलों की कार्रवाई, और स्थानीय समुदायों की सहभागिता से नक्सलवाद को समाप्त किया जा सकता है। यह आत्मसमर्पण न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संदेश है कि शांति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं।
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