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2025 में मौसम और प्राकृतिक घटनाएँ जलवायु परिवर्तन, भूकंप और चक्रवात की पूरी जानकारी

मौसम और प्राकृतिक घटनाएँ धरती के बदलते स्वरूप की पूरी कहानी (2025)

पृथ्वी एक जीवित ग्रह है — इसकी हर परत, हर वातावरण और हर महासागर निरंतर परिवर्तनशील हैं। ये परिवर्तन कभी मौसम के रूप में दिखाई देते हैं, तो कभी प्राकृतिक घटनाओं जैसे भूकंप, सुनामी, चक्रवात, या ज्वालामुखी विस्फोट के रूप में।
वर्ष 2025 में भी दुनिया इन घटनाओं से अछूती नहीं रही — फिलीपींस में 7.4 तीव्रता का भूकंप, भारत में मानसूनी बदलाव, यूरोप में सूखा, और अमेरिका में बर्फ़ीले तूफ़ान ने मानवता को एक बार फिर यह याद दिलाया कि प्रकृति ही सबसे बड़ी शक्ति है

फिलीपीन के मिंडानाओ क्षेत्र में ज़मीन खिसकने की घटना के बाद 7.4 तीव्रता का भूकंप आया और सुनामी की चेतावनी दी गई है। The Indian Express

मौसम और प्राकृतिक घटनाएँ केवल पर्यावरणीय मसला नहीं हैं, बल्कि ये आर्थिक, सामाजिक और मानवीय विकास से भी गहराई से जुड़ी हुई हैं। आइए समझते हैं कि कैसे ये घटनाएँ हमारी धरती और जीवन को प्रभावित करती हैं।

मौसम क्या है?

मौसम किसी क्षेत्र में एक निश्चित समय अवधि के लिए वायुमंडलीय स्थिति को दर्शाता है — जैसे तापमान, वायु दाब, आर्द्रता, वर्षा, और हवा की दिशा।
यह मिनटों या घंटों में बदल सकता है, जबकि जलवायु (Climate) किसी क्षेत्र की लंबी अवधि की औसत वायुमंडलीय स्थिति को बताती है।

 मौसम को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व

  1. सूर्य का विकिरण (Solar Radiation): पृथ्वी का तापमान सूर्य की ऊर्जा पर निर्भर करता है।

  2. वायुदाब और पवन (Air Pressure & Wind): दाब में अंतर के कारण हवा चलती है, जिससे वर्षा या तूफ़ान बनते हैं।

  3. नमी और आर्द्रता (Humidity): अधिक नमी बादल और बारिश का कारण बनती है।

  4. महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents): ये वैश्विक तापमान और जलवायु को प्रभावित करती हैं।


प्राकृतिक घटनाएँ क्या हैं?

प्राकृतिक घटनाएँ (Natural Phenomena) वे घटनाएँ हैं जो मानव नियंत्रण से बाहर होती हैं और पृथ्वी की आंतरिक या बाहरी प्रक्रियाओं से उत्पन्न होती हैं।
इन्हें दो प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

1.  भूवैज्ञानिक घटनाएँ (Geological Events):

2.  वायुमंडलीय घटनाएँ (Atmospheric Events):


 2025 की प्रमुख प्राकृतिक घटनाएँ

1. फिलीपींस में भूकंप और सुनामी (अक्टूबर 2025)

10 अक्टूबर 2025 को फिलीपींस के मिंडानाओ क्षेत्र में 7.4 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके बाद सुनामी की चेतावनी दी गई।


2. भारत में मानसूनी बदलाव (जून–सितंबर 2025)

भारत में इस साल का मानसून अपेक्षा से देरी से आया और असमान वर्षा का कारण बना।

परिणाम


3. यूरोप में भीषण सूखा

2025 की गर्मियों में यूरोप के कई देशों — स्पेन, फ्रांस, और इटली — में ऐतिहासिक सूखा पड़ा।

यह घटना जलवायु परिवर्तन की एक बड़ी चेतावनी मानी जा रही है।


4. अमेरिका में बर्फीले तूफ़ान

जनवरी 2025 में अमेरिका के उत्तरी भागों में भारी बर्फबारी और “आर्कटिक ब्लास्ट” के कारण जनजीवन ठप हो गया।

यह घटना “पोलर वोर्टेक्स” नामक वायुमंडलीय अस्थिरता के कारण हुई, जो अब पहले की तुलना में अधिक बार हो रही है।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ती आपदाएँ

वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) ने प्राकृतिक घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति दोनों को बढ़ा दिया है।

उदाहरण

मुख्य कारण

भारत में मौसम और आपदा प्रबंधन

भारत एक विविध जलवायु वाला देश है — यहाँ हिमालय से लेकर तटीय क्षेत्र, रेगिस्तान से लेकर उष्णकटिबंधीय वन तक सभी प्रकार के मौसम पाए जाते हैं।
इसी कारण भारत में प्राकृतिक आपदाओं की संभावना भी अधिक रहती है।

भारत सरकार के प्रमुख कदम

  1. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
    यह संस्था भूकंप, बाढ़, चक्रवात और अन्य प्राकृतिक घटनाओं के समय समन्वय करती है।

  2. IMD का डॉपलर रडार नेटवर्क
    अब लगभग सभी राज्यों में आधुनिक मौसम पूर्वानुमान रडार लगाए जा रहे हैं।

  3. चक्रवात पूर्व चेतावनी प्रणाली
    तटीय राज्यों में पहले से चेतावनी देने की क्षमता बढ़ी है, जिससे जानमाल की हानि में 70% तक कमी आई है।

  4. “मिशन अमृतसर” और “ग्रीन इंडिया प्रोग्राम”
    ये योजनाएँ जलवायु संतुलन और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती हैं।

 मौसम परिवर्तन के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

  1. कृषि पर असर

    • अनियमित वर्षा से फसलों की उत्पादकता घटती है।

    • गेहूँ, चावल, गन्ना जैसी फसलें जलवायु संवेदनशील हैं।

  2. स्वास्थ्य पर प्रभाव

    • गर्मी और नमी से मलेरिया, डेंगू, और श्वसन रोग बढ़ते हैं।

    • ठंड में हार्ट अटैक और फ्लू जैसी बीमारियाँ बढ़ जाती हैं।

  3. आर्थिक नुकसान

    • प्राकृतिक आपदाओं से हर साल भारत को ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक का आर्थिक नुकसान होता है।

  4. प्रवासन और पलायन

    • सूखा या बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं।

 विज्ञान और तकनीक की भूमिका

आधुनिक तकनीक ने मौसम और प्राकृतिक घटनाओं की निगरानी को पहले से अधिक सटीक बना दिया है।

प्रमुख तकनीकी प्रगति

भविष्य की दिशा

आने वाले दशकों में मौसम और प्राकृतिक घटनाएँ और भी अप्रत्याशित हो सकती हैं।
परंतु अगर वैश्विक समुदाय ने संयुक्त रूप से कदम उठाए — जैसे कि

मौसम और प्राकृतिक घटनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि प्रकृति के साथ सामंजस्य ही स्थायी विकास की कुंजी है।
2025 में जो कुछ भी दुनिया ने देखा — भूकंप, बाढ़, सूखा, या तूफ़ान — वह केवल चेतावनी नहीं, बल्कि अवसर भी है।

अगर हम विज्ञान, नीति और जनसहयोग के संतुलन से आगे बढ़ें, तो हम न केवल आपदाओं से बच सकते हैं बल्कि एक सुरक्षित, हरित और स्थायी पृथ्वी का निर्माण भी कर सकते हैं।

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