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17 नवंबर से ठंड में हल्की राहत रायगढ़ में शीतलहर अलर्ट जारी

हवा में नमी आने के बाद 17 से मिलेगी ठंड से हल्की राहत, लेकिन रायगढ़ संभाग में शीतलहर की चेतावनी—मौसम विभाग की बड़ी अपडेट

छत्तीसगढ़ में मौसम ने करवट लेना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ दिनों से लगातार गिर रहे तापमान ने लोगों को ठंड का तीखा अहसास कराया है। कई जिलों में रात का तापमान सामान्य से काफी नीचे पहुंच गया है, जबकि सुबह सर्द हवाओं ने ठंड को और बढ़ा दिया है।
मौसम विभाग की ताज़ा भविष्यवाणी के अनुसार 17 नवंबर से हवा में नमी बढ़ने के कारण प्रदेश के कई इलाकों में हल्की राहत मिल सकती है। लेकिन दूसरी ओर रायगढ़ संभाग समेत कुछ जिलों में शीतलहर की चेतावनी जारी की गई है, जिससे साफ है कि कुछ क्षेत्रों में ठंड और अधिक तीखी हो सकती है।

इस विस्तृत रिपोर्ट में हम जानेंगे—मौसम क्यों बदल रहा है? किन जिलों में शीतलहर का खतरा है? लोगों पर इसका क्या असर होगा? और प्रशासन ने क्या तैयारियाँ की हैं?

The Times of India


 नवंबर की शुरुआत से ही बढ़ी कड़ाके की ठंड — प्रदेशभर में असर

नवंबर के पहले सप्ताह से ही छत्तीसगढ़ में ठंड का प्रभाव सामान्य से अधिक देखा जा रहा है।

इन सबने मिलकर पूरे प्रदेश में ठंड का असर बढ़ा दिया है।
विशेषकर रायगढ़, जशपुर, सरगुजा, कोरिया और मनेंद्रगढ़ जैसे जिलों में रात का तापमान 10°C से नीचे जा रहा है।

रायगढ़ संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह खेतों पर जमी ओस और हल्की धुंध यह संकेत देती है कि शीतलहर की शुरुआत हो चुकी है। Kelo Pravah


 17 नवंबर से क्यों मिलेगी राहत? हवा में नमी का वैज्ञानिक कारण

मौसम विभाग का कहना है कि 17 नवंबर से प्रदेश की ओर से आने वाली हवाओं में परिवर्तन होगा।
अभी तक उत्तर भारत की सूखी व ठंडी हवाएँ छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर रही थीं, जिससे तापमान तेजी से गिर रहा था।

अब—

नमी वातावरण में गर्मी को थोड़ी देर तक रोककर रखती है। इसी कारण से मैदानी इलाकों जैसे रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जांजगीर और कोरबा में ठंड से हल्की राहत मिलने के आसार हैं।

लेकिन ध्यान रहे—यह राहत सिर्फ हल्की होगी, क्योंकि नवंबर का दूसरा पखवाड़ा वैसे भी ठंड के बढ़ने का समय है।


 रायगढ़ संभाग में शीतलहर का खतरा क्यों ज्यादा?

रायगढ़ संभाग प्राकृतिक रूप से ऐसा क्षेत्र है जहाँ सर्दी सामान्य से अधिक महसूस होती है। इसके पीछे कई कारण हैं:

1. भूगोल और ऊँचाई

रायगढ़, जशपुर, धरमजयगढ़, घरघोड़ा, खरसिया और लैलूंगा जैसे क्षेत्रों की ऊँचाई और पहाड़ी संरचना तापमान को तेजी से गिराती है।

2. जंगल और ऊँची-नीची भूमि

जंगलों की अधिकता और घाटी वाले क्षेत्रों में रात के समय गर्मी तेजी से निकल जाती है।

3. उत्तर-पूर्वी हवाओं का सीधा प्रभाव

ठंडी हवा सीधे इन क्षेत्रों में प्रवेश करती है, जिससे शीतलहर के हालात बनते हैं।

इसी वजह से रायगढ़ संभाग में शीतलहर की चेतावनी जारी की गई है।


 शीतलहर क्या होती है? इसे क्यों गंभीर माना जाता है?

शीतलहर सिर्फ ठंड नहीं है, बल्कि एक चेतावनी की स्थिति है।
मौसम विभाग शीतलहर तभी घोषित करता है जब:

या फिर

इस दौरान हवा की गति भी तेज होती है, जिससे वास्तविक महसूस होने वाला तापमान (Real Feel) और भी कम लगता है।

रायगढ़ संभाग में यही हालात बन रहे हैं।


 कौन-कौन से जिले सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?

1. रायगढ़ जिला

धरमजयगढ़, घरघोड़ा, खरसिया, पत्थलगांव मार्ग और ग्रामीण अंचल में शीतलहर का प्रभाव तेजी से महसूस हो रहा है।

2. जशपुर जिला

पठारी क्षेत्र होने के कारण रात का तापमान 7–8°C तक गिरने की संभावना है। यहाँ शीतलहर सबसे अधिक असर करेगी।

3. कोरिया और मनेंद्रगढ़

पहाड़ी क्षेत्र होने से यह जिला हर साल सबसे ठंडा रहता है। इस बार भी तापमान में भारी गिरावट जारी है।

4. बलरामपुर-रामानुजगंज

रात का तापमान लगातार गिर रहा है और आगामी दिनों में ठंड और बढ़ सकती है।


 किसानों के लिए मौसम का प्रभाव — लाभ और नुकसान

रायगढ़ संभाग के किसान इस मौसम को ज्यादा गंभीरता से देखते हैं। ठंड का असर फसलों पर सीधा पड़ता है।

लाभ

नुकसान

कृषि विभाग किसानों को सलाह दे रहा है कि—


 स्वास्थ्य पर असर — आम लोगों के लिए सावधानी बेहद जरूरी

शीतलहर के दौरान स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।
बच्चे, बुजुर्ग और हृदय रोगी सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

संभावित समस्याएँ

क्या सावधानी रखें?


 प्रशासन और स्थानीय निकायों की तैयारियाँ

रायगढ़, जशपुर और कोरिया जिलों में प्रशासन ने शीतलहर अलर्ट को गंभीरता से लिया है।

की जा रही व्यवस्थाएँ:


 आने वाले दिनों का मौसम — आगे क्या?

मौसम विभाग का अनुमान—

इससे साफ है कि आने वाले दिनों में ठंड का प्रभाव और गहरा सकता है।


 राहत और खतरा दोनों साथ

जहाँ एक ओर हवा में नमी बढ़ने से प्रदेश के कुछ जिलों में 17 नवंबर से ठंड की तीव्रता कम होगी, वहीं रायगढ़ संभाग में शीतलहर का खतरा टलने वाला नहीं है।
यह क्षेत्र भूगोल और जलवायु की वजह से हर साल ठंड में सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।

लोगों से अपील है कि—

मौसम बदल रहा है, सतर्क रहना जरूरी है।
ठंड भले ही राहत दे, लेकिन शीतलहर हमेशा सावधानी की मांग करती है।

हवा में नमी आने के पीछे बड़े मौसम तंत्र (Weather Systems) का योगदान

राज्य में बदलाव केवल स्थानीय हवाओं से नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर सक्रिय मौसमी तंत्र से भी प्रभावित होता है।

A. बंगाल की खाड़ी में निम्न दाब का असर

बंगाल की खाड़ी के ऊपर हल्की निम्न दाब (Low Pressure) स्थिति विकसित हुई है।
इसका परिणाम—

B. पश्चिमी विक्षोभ का अप्रत्यक्ष प्रभाव

उत्तर भारत में सक्रिय Western Disturbance की वजह से मध्य भारत में ठंडी हवा का बहाव कुछ धीमा पड़ा है।
इसी वजह से छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों को राहत दिखेगी।


 रायगढ़ संभाग में शीतलहर का स्थानीय स्तर पर प्रभाव

रायगढ़, जशपुर और धरमजयगढ़ के लोगों के लिए शीतलहर सिर्फ ठंड नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में कई चुनौतियाँ लाती है:

1. सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों पर असर

सर्द हवाओं के कारण—

2. मजदूर वर्ग पर प्रभाव

3. वाहनों में परेशानी


 स्वास्थ्य विभाग ने जारी की नई सलाह

स्वास्थ्य विभाग ने शीतलहर को ध्यान में रखते हुए ऐसे निर्देश दिए हैं:

A. कमजोर वर्ग के लिए विशेष निर्देश

B. भोजन में बदलाव

C. अलाव से सावधानी

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