रायपुर में 25वाँ स्थापना दिवस समारोह की तैयारियाँ तेज़ प्रधानमंत्री के दौरे से पहले सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
छत्तीसगढ़ राज्य के लिए आगामी 1 नवंबर 2025 का दिन ऐतिहासिक होने वाला है। यह दिन राज्य के गठन की 25वीं वर्षगांठ यानी रजत जयंती के रूप में मनाया जाएगा। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायपुर पहुंचेंगे और राज्य की विकास यात्रा, सांस्कृतिक गौरव तथा जनकल्याण योजनाओं पर आधारित कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे। रायपुर प्रशासन, पुलिस, और खुफिया एजेंसियाँ प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बनाने में जुटी हैं। पूरे शहर में सुरक्षा का त्रिस्तरीय घेरा तैयार किया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।
रायपुर शहर में आगामी 1 नवंबर को 25वाँ स्थापना दिवस समारोह के लिए प्रधानमंत्री के दौरे से पहले सुरक्षा चक्र कड़ी। IBC24 News
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस का महत्व
1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन मध्य प्रदेश से अलग होकर हुआ था। यह दिन न सिर्फ़ प्रशासनिक दृष्टि से बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान के लिए भी अहम है। राज्य ने पिछले पच्चीस वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
रजत जयंती समारोह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य की 25 साल की विकास यात्रा का प्रतीक होगा — जहाँ राज्य की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा और आगामी 25 वर्षों के लिए नई योजनाओं का रोडमैप भी साझा किया जाएगा।
प्रधानमंत्री का दौरा – मुख्य आकर्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा न केवल एक औपचारिक उपस्थिति बल्कि एक महत्वपूर्ण संदेश भी होगा। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी इस अवसर पर कई योजनाओं की शुरुआत करेंगे और राज्य के विकास कार्यों की सराहना करते हुए नई घोषणाएँ भी कर सकते हैं।
संभावित कार्यक्रमों में शामिल हैं
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रायपुर में आयोजित ‘छत्तीसगढ़ गौरव समारोह’ का उद्घाटन।
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नया ‘राज्य संग्रहालय परिसर’ का उद्घाटन या शिलान्यास।
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राज्य के ‘Nalanda Parisar’ लाइब्रेरी नेटवर्क जैसी शैक्षणिक पहल का लोकार्पण।
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कृषि, MSME और खनन क्षेत्रों से जुड़े नए प्रोजेक्ट्स की घोषणा।
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राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों और लोक कलाकारों को सम्मानित करने का कार्यक्रम।
सुरक्षा व्यवस्था: रायपुर बना किला
प्रधानमंत्री की यात्रा के मद्देनज़र रायपुर शहर को सुरक्षा के घेरे में तब्दील कर दिया गया है। जिला पुलिस, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG), इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और केंद्रीय सुरक्षा बलों के लगभग 5000 से अधिक जवानों की तैनाती की गई है।
1. त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा
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पहला स्तर: एयरपोर्ट और वीआईपी मार्गों पर एनएसजी एवं एसपीजी का कवच।
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दूसरा स्तर: कार्यक्रम स्थल – साइंस कॉलेज मैदान, सिविल लाइंस, और राजधानी परिसर में रायपुर पुलिस की निगरानी।
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तीसरा स्तर: ड्रोन, सीसीटीवी और चेहरे की पहचान प्रणाली से निगरानी।
2. यातायात व्यवस्था में बदलाव
रायपुर ट्रैफिक पुलिस ने 31 अक्टूबर से ही कई मार्गों पर डायवर्जन लागू किया है।
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जयस्तंभ चौक से सिविल लाइंस जाने वाले मार्ग बंद रहेंगे।
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वीआईपी मूवमेंट के दौरान आम जनता के वाहनों की आवाजाही सीमित की जाएगी।
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कुछ पार्किंग स्थल अस्थायी रूप से स्थानांतरित किए गए हैं ताकि सुरक्षा एजेंसियों को सुगमता हो।
3. ड्रोन और स्निफर डॉग स्क्वॉड की निगरानी
रायपुर एयरपोर्ट से लेकर साइंस कॉलेज मैदान तक के सभी इलाकों में एंटी-ड्रोन टीमों को तैनात किया गया है। सभी प्रवेश बिंदुओं पर बम डिटेक्टर और मेटल स्कैनर लगाए गए हैं। पुलिस के अनुसार, डॉग स्क्वॉड और बम डिस्पोज़ल यूनिट लगातार सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं।
प्रशासन की तैयारियाँ
रायपुर नगर निगम और जिला प्रशासन ने पूरे शहर को उत्सवमय रूप देने के लिए विशेष योजना बनाई है।
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स्मार्ट सिटी क्षेत्र में रंगीन LED लाइटें और झंडे लगाए जा रहे हैं।
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मुख्य चौक-चौराहों पर ‘25 वर्ष – छत्तीसगढ़ गौरव यात्रा’ थीम वाले होर्डिंग्स और पोस्टर लगाए गए हैं।
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स्कूली बच्चों और कॉलेज विद्यार्थियों को सांस्कृतिक झांकी प्रदर्शन में शामिल किया गया है।
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मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ-साथ कई केंद्रीय मंत्री और अन्य राज्यों के गणमान्य लोग समारोह में मौजूद रहेंगे।
संभावित योजनाएँ और घोषणाएँ
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री इस दौरे के दौरान छत्तीसगढ़ में विकास की नई रफ्तार देने के लिए कुछ बड़ी घोषणाएँ कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं –
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“नया रायपुर विकास पैकेज” — 5000 करोड़ रुपए की नई औद्योगिक और शहरी परियोजनाएँ।
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छत्तीसगढ़ MSME निवेश मिशन — स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन देने हेतु नई नीति।
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ग्रामीण इंटरनेट कनेक्टिविटी योजना — राज्य के हर ब्लॉक में हाई-स्पीड नेटवर्क उपलब्ध कराने का लक्ष्य।
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“हर खेत तक पानी” परियोजना — सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए नई पहल।
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सांस्कृतिक विरासत केंद्र — छत्तीसगढ़ी कला, नृत्य और लोकसंगीत को सहेजने के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र।
स्थानीय नागरिकों की उत्सुकता
रायपुर के नागरिकों में इस समारोह को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। बाजारों और संस्थानों में विशेष सजावट की जा रही है। शहर की सड़कों पर रंगोली, बैनर और झंडों से राज्य की पहचान झलक रही है।
छात्रों के बीच भी जोश देखने को मिल रहा है — कई स्कूलों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, भाषा और इतिहास पर प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा रही हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और झांकियाँ
1 नवंबर को शाम के मुख्य समारोह में प्रदेश की विविध लोकसंस्कृतियों का भव्य प्रदर्शन होगा —
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पंथी नृत्य, राउत नाचा, और सुआ नृत्य प्रमुख आकर्षण रहेंगे।
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राज्य के हर जिले की संस्कृति, हस्तशिल्प और खान-पान को प्रदर्शित करने के लिए अलग-अलग झाँकियाँ तैयार की जा रही हैं।
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रायपुर के सिविल लाइंस और तेलीबांधा झील परिसर में विशेष “छत्तीसगढ़ महोत्सव मेला” आयोजित किया जाएगा।
राजनीतिक और आर्थिक संकेत
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री का यह दौरा सिर्फ़ उत्सव नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से भी अहम संकेत देगा। राज्य में अगले वर्ष होने वाले शहरी निकाय चुनावों से पहले यह कार्यक्रम विकास और उपलब्धियों को केंद्र में रखकर जनता को जोड़ने का प्रयास भी माना जा रहा है।
आर्थिक दृष्टि से भी यह समारोह महत्वपूर्ण है — क्योंकि इस मंच से राज्य को नए निवेश और उद्योगों के लिए आकर्षक गंतव्य के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
सुरक्षा एजेंसियों की अपील
पुलिस और प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति की जानकारी तुरंत हेल्पलाइन नंबर पर दें। साथ ही, सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने से बचने की चेतावनी भी दी गई है।
राज्य सरकार चाहती है कि यह आयोजन “शांतिपूर्ण, सुव्यवस्थित और गरिमामय” माहौल में संपन्न हो ताकि छत्तीसगढ़ की छवि राष्ट्रीय स्तर पर और सशक्त बने।
छत्तीसगढ़ की 25वीं वर्षगांठ राज्य के इतिहास का एक मील का पत्थर साबित होने जा रही है। रायपुर का यह आयोजन न केवल पिछले पच्चीस वर्षों की उपलब्धियों का उत्सव होगा, बल्कि यह आने वाले वर्षों के नए विकास-संकल्पों का आरंभ भी है।
प्रधानमंत्री का आगमन इस समारोह को राष्ट्रीय पहचान देगा, वहीं राज्य की प्रशासनिक और सांस्कृतिक पहचान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएगा।
छत्तीसगढ़ की इस रजत जयंती पर पूरा प्रदेश एक स्वर में यही कह रहा है —
“गर्व है हमें, हम छत्तीसगढ़िया हैं!”
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