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रायगढ़ में स्मार्ट मीटर से बिजली बिलों में बढ़ोतरी, कांग्रेस का विरोध तेज

 रायगढ़ में स्मार्ट मीटर लगाने के बाद 90% घरों में बिजली बिल बढ़े, कांग्रेस ने किया विरोध

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में बिजली उपभोक्ताओं के बीच इन दिनों असंतोष का माहौल है। हाल ही में लगाए गए स्मार्ट मीटर के बाद अधिकांश घरों में बिजली बिल में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उपभोक्ताओं का कहना है कि पहले जहाँ उनका मासिक बिल ₹300 से ₹500 के बीच आता था, वहीं अब ₹800 से ₹1500 तक पहुँच गया है।

इस मुद्दे ने अब राजनीतिक रूप भी ले लिया है, क्योंकि कांग्रेस ने इस बढ़ोतरी को “स्मार्ट मीटर घोटाला” बताते हुए राज्य सरकार और बिजली विभाग पर निशाना साधा है।

स्मार्ट मीटर लगने के बाद 90% से अधिक घरों में बिजली बिलों में बढ़ोतरी देखी गई; कांग्रेस में विरोध। Patrika


क्या है पूरा मामला

रायगढ़ और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ महीनों से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। इन मीटरों को लगाने का उद्देश्य था —

लेकिन स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं ने दावा किया कि बिजली बिल अचानक दो से तीन गुना बढ़ गए हैं।
कई उपभोक्ताओं का कहना है कि मीटर की रीडिंग वास्तविक खपत से कहीं अधिक दिखा रही है, जिससे सामान्य परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है।


 रायगढ़ में लोगों की प्रतिक्रियाएँ

रायगढ़ शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने इस बढ़ोतरी के खिलाफ जोरदार विरोध शुरू किया है।
कुछ उपभोक्ताओं ने कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि बिल इतना कैसे बढ़ गया, जबकि उनके घर में बिजली खपत लगभग समान है।

एक उपभोक्ता ने बताया,

“पहले मेरा बिल ₹400 आता था, अब वही खपत दिखाने पर ₹1100 का बिल आया है। ये स्मार्ट मीटर नहीं, पैसा खाने की मशीन लगाई गई है।”

वहीं, कई लोगों का कहना है कि मीटर तेज़ चल रहा है या फिर सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी है।


 कांग्रेस का विरोध और आरोप

रायगढ़ जिला कांग्रेस कमेटी ने इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी ने बिजली विभाग के कार्यालय के बाहर नारेबाज़ी की और स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट को तुरंत रोकने की मांग की।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह “स्मार्ट नहीं, बल्कि ‘शॉक मीटर योजना’” है।
उनका आरोप है कि बिजली विभाग बिना उपभोक्ता की सहमति के मीटर बदल रहा है, और बिल में अनुचित राशि जोड़कर जनता से वसूली कर रहा है।

कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि विभाग ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे जिला स्तर पर आंदोलन करेंगे।


 बिजली विभाग की सफाई

बिजली विभाग ने इन आरोपों को खारिज किया है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्मार्ट मीटर में कोई तकनीकी त्रुटि नहीं है।

विभाग ने यह भी बताया कि अब उपभोक्ता अपनी खपत का रीयल-टाइम डाटा मोबाइल ऐप या पोर्टल के माध्यम से देख सकते हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है।

एक अधिकारी ने कहा —

“कई बार लोग अपने कनेक्शन में अतिरिक्त उपकरण जोड़ लेते हैं, जिससे खपत बढ़ जाती है। पुराने मीटरों में यह रीडिंग सही नहीं आती थी, लेकिन स्मार्ट मीटर सबकुछ सटीक दिखाता है।”

हालाँकि, विभाग ने यह भी माना कि कुछ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी समस्या के कारण बिलिंग में देरी या ग़लत रीडिंग दर्ज हो सकती है। इसके समाधान के लिए तकनीकी टीम गठित की गई है।


आंकड़ों में हकीकत

रायगढ़ जिले के बिजली उपभोक्ताओं में लगभग 1.25 लाख घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।
इनमें से लगभग 90% उपभोक्ताओं ने अपने बिल बढ़ने की शिकायत दर्ज की है।
बिजली विभाग को अब तक 5000 से अधिक शिकायतें ऑनलाइन और ऑफलाइन प्राप्त हुई हैं।

रायगढ़ शहर के साथ-साथ खरसिया, सरिया, बरमकेला और धरमजयगढ़ क्षेत्रों में भी यही स्थिति देखी गई है।


 उपभोक्ताओं की मांगें

  1. स्मार्ट मीटर की जांच और पारदर्शी रिपोर्ट जारी की जाए।

  2. जिन उपभोक्ताओं के बिल अचानक बढ़े हैं, उनके लिए बिल एडजस्टमेंट या रिव्यू किया जाए।

  3. बिजली विभाग मीटर बदलने से पहले उपभोक्ता की सहमति ले।

  4. तकनीकी खराबी या सर्वर फेल होने पर उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त शुल्क न लगाया जाए।

  5. अगर गड़बड़ी साबित होती है, तो मीटर सप्लायर कंपनी पर कार्रवाई की जाए।


विपक्ष का दबाव और सियासी रंग

यह मामला अब धीरे-धीरे राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है।
कांग्रेस ने इस योजना को “जनविरोधी कदम” बताते हुए इसे निजी कंपनियों को फायदा पहुँचाने का तरीका कहा है।

दूसरी ओर, भाजपा के कुछ नेताओं ने भी स्वीकार किया कि “जनता की परेशानी वास्तविक है” और विभाग को तुरंत समाधान देना चाहिए।

इससे यह स्पष्ट है कि यह विवाद अब सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी गूंजने लगा है।


 विशेषज्ञों की राय

ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्ट मीटर की तकनीक अच्छी है, लेकिन इसके लागू करने में पारदर्शिता और जन-जागरूकता की कमी सबसे बड़ी समस्या बन रही है।

स्मार्ट मीटर खपत के आधार पर सटीक बिल बनाता है, लेकिन यदि मीटर का कैलीब्रेशन गलत है या डेटा ट्रांसमिशन अस्थिर है, तो उपभोक्ता को ज़्यादा बिल दिख सकता है।

इसके अलावा, “प्रीपेड सिस्टम” में फिक्स चार्ज और टैक्स पहले से जोड़ दिए जाते हैं, जिससे कुल राशि बढ़ी हुई लगती है।


 संभावित समाधान

  1. स्वतंत्र तकनीकी ऑडिट कराया जाए ताकि मीटर की सटीकता की पुष्टि हो सके।

  2. ग्राहक सहायता केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए जहाँ शिकायतों का तुरंत निपटारा हो।

  3. उपभोक्ताओं को मोबाइल ऐप पर खपत का पारदर्शी डाटा दिखाया जाए।

  4. यदि किसी उपभोक्ता का बिल पिछले तीन महीनों की औसत से 25% से अधिक बढ़ा है, तो स्वचालित जांच प्रणाली शुरू की जाए।

  5. राज्य स्तर पर एक “स्मार्ट मीटर मॉनिटरिंग कमेटी” बनाई जाए।


 रायगढ़ में बढ़ती असंतुष्टि

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अब लोगों का गुस्सा खुलकर सामने आने लगा है।
कई उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर हटाने की मांग करते हुए आवेदन दिए हैं।
कुछ स्थानों पर प्रदर्शन भी हुए हैं, जहाँ महिलाओं ने “स्मार्ट मीटर वापस लो” के नारे लगाए।

रायगढ़ जैसे औद्योगिक जिले में जहां पहले से बिजली खपत अधिक है, वहाँ बढ़े हुए बिलों का असर छोटे व्यापारियों और किसानों पर भी पड़ा है।

रायगढ़ में स्मार्ट मीटर परियोजना का उद्देश्य था बिजली बिलिंग को पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाना।
लेकिन जनता का अनुभव इसके ठीक विपरीत रहा — बढ़े हुए बिल, तकनीकी भ्रम, और असंतोष

अब प्रशासन और बिजली विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती है —
जनता का विश्वास फिर से जीतना,
 और यह साबित करना कि “स्मार्ट मीटर” वास्तव में “स्मार्ट समाधान” है, न कि “महंगा जाल।”

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