“चाय-नाश्ता दुकान में चोरी के आरोप में नाबालिग को खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा गया

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। चोरी के एक मामूली आरोप में एक नाबालिग बच्चे को खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे पूरे क्षेत्र में आक्रोश और गुस्से का माहौल है। यह मामला सिर्फ एक बच्चे की पिटाई नहीं, बल्कि समाज में मौजूद भीड़ मानसिकता और न्याय प्रणाली पर सवाल उठाने वाला बन गया है।

चाय-नाश्ता दुकान में चोरी के आरोप में नाबालिग को खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा गया, वीडियो वायरल। Amar Ujala+2Amar Ujala+2
घटना कहाँ और कब हुई?

यह घटना रायगढ़ जिले के खरसिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक छोटे कस्बे की है। यह मामला 28 अक्टूबर 2025 (सोमवार) की रात का बताया जा रहा है, जब एक स्थानीय चाय-नाश्ता दुकान में चोरी की घटना की अफवाह फैली। दुकान मालिक ने अपने आस-पास के कुछ लोगों के साथ मिलकर एक नाबालिग लड़के को पकड़ लिया और बिना किसी जांच या पुलिस को सूचना दिए, उसे खंभे से बांधकर बेरहमी से पीट दिया।
पीड़ित कौन है?
पीड़ित बच्चा लगभग 14 साल का नाबालिग बताया जा रहा है, जो आसपास के इलाके का ही निवासी है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, वह गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है और कभी-कभी छोटी-मोटी मजदूरी या होटल में बर्तन साफ करने का काम करता था।
जब उसे चोरी के शक में पकड़ा गया, तब भी उसके पास से कोई सामान बरामद नहीं हुआ। इसके बावजूद, दुकान मालिक और कुछ अन्य लोगों ने उसे न केवल पीटा, बल्कि इस पूरी अमानवीय हरकत का वीडियो भी बनाया।
वीडियो वायरल और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसमें साफ दिखाई देता है कि बच्चा खंभे से बंधा हुआ है और उसे डंडों व बेल्ट से मारा जा रहा है। आसपास मौजूद लोग हँसते हुए यह सब देख रहे हैं। वीडियो के सामने आने के बाद लोगों में भारी आक्रोश फैल गया।
“एक नाबालिग के साथ इस तरह का बर्ताव बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह कानून अपने हाथ में लेने की पराकाष्ठा है।” — ऐसा बयान कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दिया।
पुलिस की कार्रवाई
वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद रायगढ़ पुलिस हरकत में आई।
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खरसिया थाना पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया।
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दुकान मालिक और दो अन्य लोगों के खिलाफ धारा 323, 342, 506, 75 (जेजे एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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मुख्य आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अन्य दो आरोपी फरार बताए जा रहे हैं। उनकी तलाश जारी है।
रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक (SP) ने बयान जारी करते हुए कहा
“कानून को अपने हाथ में लेने की अनुमति किसी को नहीं है। यह नाबालिग से जुड़ा मामला है, इसलिए अपराध की गंभीरता को देखते हुए कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
कानून क्या कहता है?
भारतीय दंड संहिता (IPC) और जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट, 2015 के तहत —
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किसी भी नाबालिग को प्रताड़ित करना, पीटना या सार्वजनिक रूप से अपमानित करना दंडनीय अपराध है।
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आरोपी को तीन वर्ष तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
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नाबालिग को अपराधी नहीं बल्कि “सुधार योग्य बालक” मानकर बाल कल्याण समिति (CWC) के तहत संरक्षण दिया जाना चाहिए।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद क्षेत्र में लोगों में गुस्सा है। कई सामाजिक संगठनों ने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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स्थानीय महिला मंडल की अध्यक्ष ने कहा, “गरीबी या गलती की सजा इस तरह देना अमानवीय है। हमें बच्चों को सुधारना चाहिए, न कि उन्हें डराना।”
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वहीं, कुछ ग्रामीणों का कहना है कि चोरी की घटनाओं से परेशान लोग गुस्से में ऐसा कदम उठा लेते हैं, लेकिन कानून को अपने हाथ में लेना गलत है।
सामाजिक पहलू और सीख
यह घटना समाज के उस हिस्से को उजागर करती है जो “स्वयंभू न्याय” में विश्वास करने लगा है।
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एक छोटे बच्चे पर संदेह के आधार पर हिंसा करना हमारी सामाजिक सोच पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
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यह जरूरी है कि हम कानूनी प्रक्रिया में विश्वास करें, न कि गुस्से या अफवाह के आधार पर किसी को सजा दें।
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समाज में “बाल अधिकारों” की समझ और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
रायगढ़ की यह घटना सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। हमें यह समझना होगा कि न्याय का अधिकार केवल न्यायपालिका को है, भीड़ को नहीं। नाबालिगों के साथ इस तरह का बर्ताव न केवल अमानवीय है, बल्कि देश के कानून और नैतिकता के खिलाफ भी है।
यदि समाज समय रहते ऐसी घटनाओं से सीख नहीं लेता, तो भविष्य में इससे भी भयावह परिणाम देखने पड़ सकते हैं।
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