रायगढ़ में धान पंजीकरण रद्दीकरण की गति तेज — बोगस खरीदी रोकने की मुहिम

समस्या के स्वरूप को समझना

धान खरीदी (Paddy Procurement) एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, खासकर उन राज्यों में जहां खेती और कृषि अधारित अर्थव्यवस्था है।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में इस प्रक्रिया में एक बड़ी समस्या सामने आई है — बोगस / नकली धान पंजीकरण और खरीदी।
इस समस्या से निपटने और अच्छी व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने इस वर्ष धान पंजीकरण रद्दीकरण की प्रक्रिया को विशेष रूप से तीव्र कर दिया है।
यह लेख इस पूरे परिदृश्य — पृष्ठभूमि, कारण, प्रशासनिक कार्रवाई, चुनौतियाँ, सुझाव और भविष्य की दिशा — को संकलित करता है।
पृष्ठभूमि — धान पंजीकरण और खरीदी की प्रक्रिया क्या है?
धान खरीदी की प्रक्रिया आमतौर पर इस तरह होती है:
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पंजीकरण (Registration):
किसान या उनका खेत “एग्रीस्टैक पोर्टल” या राज्य स्तर के अन्य पोर्टलों पर पंजीकृत होते हैं। इस पंजीकरण में किसान की पहचान, खेत का विवरण, फसल का विवरण आदि दर्ज किए जाते हैं। -
सत्यापन / वेरिफिकेशन (Verification):
पंजीकृत विवरणों की भौतिक सत्यापन किया जाता है — यह देखा जाता है कि खेत में वास्तव में धान है या नहीं, गिरदावरी रिपोर्ट सही है या नहीं। -
खरीदी (Procurement):
यदि पंजीकरण और सत्यापन सफल हो जाते हैं तो सरकारी एजेंसियाँ (खाद्य एवं आपूर्ति विभाग / सहकारिता विभाग आदि) धान खरीदती हैं — यानी किसानों से समर्थन मूल्य (MSP) पर धान लिया जाता है। -
भुगतान (Payment):
खरीद के बाद किसानों को उनका भुगतान किया जाता है, आमतौर पर बैंक के माध्यम से या अन्य सरकारी व्यवस्था से।
नवीनतम समाचार — क्या हो रहा है रायगढ़ में?

हाल ही में खबर आई है कि रायगढ़ जिले में 12,000 हेक्टेयर के पंजीकरण को निरस्त किया गया है — यानी इस रकबे का धान पंजीकरण रद्द किया गया है।
यह कदम प्रशासन ने बोगस धान खरीदी (fake paddy procurement) को रोकने की दिशा में उठाया है।
कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
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1623 खसरा (plot) संख्या के पंजीकरण को पहले ही रोका गया है क्योंकि वहाँ स्थल पर धान नहीं पाया गया।
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पहले पंजीकृत किसानों की भौतिक सत्यापन की गई और अनेक खसरे ऐसे पाए गए जहां रिपोर्ट में धान दिखाया गया, लेकिन वास्तव में फसल नहीं पाई गई। उन खसरे का पंजीकरण निरस्त किया गया।
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कुल मिलाकर 12,000 हेक्टेयर के पंजीकरण को रद्द किया गया ताकि बोगस खरीदी से बचा जा सके और समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रक्रिया पारदर्शी हो।
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इस साल, खाद्य विभाग और सहकारिता विभाग मिलकर पंजीकरण व सत्यापन प्रक्रिया में विशेष सतर्कता बरत रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार ने धान पंजीकरण की अंतिम तिथि को 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाया है ताकि अधिक किसान पंजीकरण करा सकें।
(पहले यह तिथि कुछ पहले थी, लेकिन रजिस्ट्रेशन न कर पाने वाले किसानों की समस्या को देखते हुए इसे आगे बढ़ाया गया।)
समस्या की जड़ — बोगस धान खरीदी क्यों होती है?
इस चुनौती की जड़ कई कारणों में निहित है:
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लालच और लाभ की संभावना:
यदि नकली पंजीकरण हो सके, तो किसान (या दुकानदार / दलाल) बिना फसल की खरीदी कर सकते हैं और भुगतान ले सकते हैं। -
सत्यापन की कमी / लापरवाही:
यदि पंजीकरण को अच्छे तरीके से सत्यापित न किया जाए — अर्थात् स्थल सत्यापन न हो, फसल की उपस्थिति न देखी जाए — तो नकली पंजीकरणों की गुंजाइश बनी रहती है। -
निगरानी तंत्र की कमी:
जिला या राज्य स्तर पर निगरानी तंत्र यदि कमजोर हो, तो बोगस गतिविधियों को पकड़ना मुश्किल होता है। -
अनुशासनहीन प्रशासन:
कभी-कभी स्थानीय अधिकारियों या समितियाँ पंजीकरण को अवसरवादी रूप से स्वीकार कर देती हैं, जांच को प्राथमिकता नहीं देती हैं। -
कृषि जानकारी और जागरूकता का अभाव:
बहुत से किसान यह नहीं जानते कि पंजीकरण और सत्यापन प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है, या वे समय पर नहीं कर पाते हैं।
✅ प्रशासन की कार्रवाई — कौन क्या कर रहा है?
रायगढ़ और राज्य सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और कई कदम उठाए हैं:
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भौतिक सत्यापन तेज किया गया:
अब पंजीकृत खसरे / खेतों की स्थल जाँच (physical verification) बड़े पैमाने पर हो रही है। यदि स्थल पर धान न मिले, तो पंजीकरण निरस्त करने का निर्णय लिया जा रहा है।निरस्त पंजीकरण की संख्या:
इस वर्ष 12,000 हेक्टेयर का पंजीकरण निरस्त किया गया। -
पहले से ही रोक लगाने के कदम:
1623 खसरे (plots) को खरीद प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही रोक दिया गया क्योंकि वहाँ धान नहीं पाया गया। -
नयी समय सीमा तय करना:
पंजीकरण की अंतिम तिथि को 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाया गया है, ताकि संभवतः त्रुटिपूर्ण या देर से आवेदन करने वाले किसानों को अवसर मिले। -
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग और सहकारिता विभाग की सहभागिता:
दोनों विभाग मिलकर पंजीकरण, सत्यापन और खरीदी की प्रक्रिया में निगरानी बढ़ा रहे हैं। -
डिजिटल क्रॉप सर्वे और गिरदावरी रिपोर्ट:
इस बार इस कार्य को डिजिटल रूप से नियंत्रित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 32,096 खसरे की गिरदावरी रिपोर्ट से सत्यापन किया जाना है। -
आवश्यक निर्देश और सतर्कता:
जिला कलेक्टर, खाद्य अधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इसे गंभीरता से देख रहे हैं। पंजीकरण सूची को सार्वजनिक किया जा रहा है और विवादित खसरे पर ध्यान दिया जा रहा है।
आंकड़ों की स्थिति और प्रभाव
कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े इस प्रकार हैं:
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कुल पंजीकृत किसानों की संख्या (राज्य / जिला स्तर पर) — अभी तक लाखों किसान पंजीकरण करा चुके हैं।
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पंजीकृत नहीं हुए किसानों की संख्या — कई किसान अभी भी पंजीकरण नहीं करा पाए हैं, जिनके लिए सरकार ने समय सीमा बढ़ाई है।
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पंजीकरण निरस्त किए गए क्षेत्र — 12,000 हेक्टेयर क्षेत्र को इस वर्ष रद्द किया गया।
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खसरा संख्या रद्द करने की कार्रवाई — 1623 खसरे को पहले ही रोक दिया गया।
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गिरदावरी रिपोर्ट व सत्यापन — कुल 32,096 खसरे की गिरदावरी में से कई का सत्यापन जारी है। munaadi.com+2Dainik Bhaskar+2
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि समस्या गंभीर है, और प्रभाव व्यापक हो सकता है।
चुनौतियाँ और खामियाँ जिनका सामना करना है
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सत्यापन की सीमाएँ:
भौतिक सत्यापन तो हो रहा है, लेकिन सभी खसरे की जाँच करना समय व संसाधन मांगता है। -
भौगोलिक कठिनाइयां:
दूरदराज या जंगली इलाकों में पहुंचने और सत्यापन करने में प्रशासन को भारी चुनौतियाँ आती हैं। -
विरोध एवं दबाव:
कहीं-कहीं स्थानीय दबाव, दलाल या भ्रष्ट तत्व पंजीकरण को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं। -
आधार / पहचान संबंधी त्रुटियाँ:
यदि किसान या जमीन के दस्तावेजों में गड़बड़ी हो — नाम, खसरा नंबर, भूमि सीमांकन — तो रद्दीकरण विवादों में बदलाव ला सकता है। -
नुस्खा एवं सुधार का अभाव:
यदि रद्दीकरण के बाद सुधार या पुनरावलोकन प्रक्रिया न हो, तो कई किसानों को अनावश्यक क्षति हो सकती है। -
संचार और जागरूकता की कमी:
बहुत से किसानों को यह जानकारी नहीं होती कि उनका पंजीकरण रद्द हो सकता है, या वे विवाद कर सकते हैं।
सुझाव — कैसे बेहतर किया जाए?
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मल्टी-लेवल सत्यापन:
स्थल सत्यापन + उपग्रह / ड्रोन इमेजरी + किसानों की शिकायत तंत्र को मिलाकर मिल्टी-लेवल जाँच की जाए। -
पुनरावलोकन और आपत्ति सुनवाई:
जो किसान पंजीकरण रद्द हो गया हो, उनके लिए आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया हो और पुनरावलोकन हो। -
स्रोत (data) आधारित पंजीकरण:
एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीकरण करते समय दस्तावेज (डिजिटल) अपलोड किए जाएँ — जैसे भूमि रिकॉर्ड, आधार, फोटो आदि। -
सार्वजनिक चस्पा सूची:
पंजीकरण निरस्तीकरण की सूची सार्वजनिक रूप से चस्पा हो — ताकि जनता और किसान देख सकें। -
नियंत्रण दल / निगरानी टीम:
एक स्पेशल टीम बनाई जाए जो रद्दीकरण / पंजीकरण गतिविधियों पर नियमित निगरानी रखे। -
जागरूकता अभियान:
किसानों को सूचनाएँ दें — रेडियो, मोटर साइकिल रैलियों, पंचायत सभाओं के माध्यम से — कि पंजीकरण, सत्यापन और रद्दीकरण प्रक्रिया क्या है। -
प्रौद्योगिकी उपयोग:
मोबाइल ऐप, GIS / GPS ट्रैकिंग, ड्रोन सर्वे आदि को सत्यापन में शामिल किया जाए। -
अच्छा समय प्रबंधन:
पंजीकरण, सत्यापन और खरीदी की गतिविधियों को समयबद्ध तरीके से किया जाए, ताकि देर न हो और किसानों को परेशानी न हो।
भविष्य की दिशा और महत्व
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यदि इस प्रक्रिया को समय से और अच्छे तंत्र से संचालित किया गया, तो आगे बोगस धान खरीदी की समस्या काफी हद तक नियंत्रित हो सकती है।
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इससे किसानों को निष्पक्ष लाभ मिलेगा और समर्थन मूल्य (MSP) पैकेज को वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचाया जा सकेगा।
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राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा “डिजिटल कृषि” की दिशा में यह कदम स्वागत योग्य है — एग्रीस्टैक जैसे पोर्टल इस प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाते हैं।
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रायगढ़ यदि इस मॉडल को सफलतापूर्वक लागू कर ले, तो अन्य जिलों के लिए उदाहरण बन सकता है।
रायगढ़ जिले में धान पंजीकरण रद्दीकरण की गति तेज करना साफ संकेत है कि प्रशासन ने बोगस खरीदी को रोकने का फैसला ले लिया है।
12,000 हेक्टेयर पंजीकरण रद्द करना, 1623 खसरे रोकना और सत्यापन प्रक्रिया को तेज करना — ये सभी कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
लेकिन यह पर्याप्त नहीं है — प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह बनाने के लिए उपरोक्त सुझावों को लागू करना अनिवार्य है।
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