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“रायगढ़ प्लांट में धमाका तीन मजदूर झुलसे, एक की हालत गंभीर सुरक्षा लापरवाही पर जांच के आदेश”

रायगढ़ के प्लांट में धमाका  तीन मजदूर झुलसे, एक की हालत गंभीर

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला राज्य का एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है, जहाँ बड़ी संख्या में इस्पात (Steel), फेरो एलॉय (Ferro Alloys) और पावर प्लांट स्थित हैं। यही औद्योगिक पहचान कभी-कभी हादसों का कारण भी बन जाती है।
ताज़ा घटना में रायगढ़ के एक निजी औद्योगिक संयंत्र (प्लांट) में जोरदार धमाका हुआ, जिसमें तीन मजदूर बुरी तरह झुलस गए और एक की हालत गंभीर बताई जा रही है। यह हादसा न केवल फैक्ट्री प्रबंधन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि औद्योगिक सुरक्षा मानकों की स्थिति पर भी चिंता जताता है।

प्लांट में धमाका – तीन मजदूर झुलसे
— रायगढ़ में किसी औद्योगिक प्लांट (blast furnace) में धमाका हुआ, जिसमें तीन मजदूर झुलसे और एक की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। kelopravah.news


 घटना का विवरण

सूत्रों के अनुसार, यह हादसा रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र स्थित एक फेरो अलॉय (Ferro Alloy) निर्माण प्लांट में मंगलवार देर रात हुआ।
रात करीब 11:30 बजे जब मजदूर भट्ठी (Furnace) के पास काम कर रहे थे, तभी अचानक तेज़ आवाज़ के साथ ब्लास्ट हुआ।
धमाके के बाद प्लांट के अंदर अफरातफरी मच गई, और सभी कर्मचारी अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।

घटना में झुलसे मजदूरों के नाम

  1. राजेश कुमार (35 वर्ष, झुलसे — 70%)

  2. पवन साहू (29 वर्ष, झुलसे — 40%)

  3. संतोष विश्वकर्मा (32 वर्ष, झुलसे — 60%)

सभी घायलों को तत्काल रायगढ़ जिला अस्पताल लाया गया, जहां से गंभीर स्थिति में एक मजदूर को रायपुर रेफर किया गया है।


 धमाके का संभावित कारण

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह धमाका फर्नेस (भट्ठी) में अत्यधिक प्रेशर बढ़ने की वजह से हुआ।

हालांकि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वास्तविक कारणों का पता जांच रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा।

 मौके पर हड़कंप और राहत कार्य

धमाके की आवाज़ कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई। आसपास के क्षेत्रों में लोग घबराकर अपने घरों से बाहर निकल आए।
प्लांट के सुरक्षाकर्मी और स्थानीय पुलिस तुरंत मौके पर पहुंचे और राहत कार्य शुरू किया।

फायर ब्रिगेड टीम ने आग पर लगभग एक घंटे की मशक्कत के बाद काबू पाया।
आसपास के मजदूरों ने भी घायलों को एम्बुलेंस तक पहुंचाने में मदद की।

पुलिस ने पूरे क्षेत्र को घेराबंदी कर जांच शुरू कर दी है।


 प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

जैसे ही हादसे की जानकारी जिला प्रशासन को मिली, कलेक्टर और एसपी ने तत्काल अधिकारियों को घटनास्थल पर भेजा।

कलेक्टर ने कहा कि

“यह एक गंभीर औद्योगिक दुर्घटना है। घायलों का पूरा इलाज सरकार के खर्च पर कराया जाएगा और जांच में लापरवाही सामने आने पर सख्त कार्रवाई होगी।”


 घायलों की स्थिति

जिला अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार, तीनों मजदूरों को दूसरे और तीसरे दर्जे के झुलसाव (Burn Injuries) हैं।

डॉक्टरों ने बताया कि “घायलों को जलने से संक्रमण (Infection) का खतरा है, इसलिए उन्हें विशेष निगरानी में रखा गया है।”

परिजनों को अस्पताल में रहने और प्रशासन की ओर से हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया गया है।


 फैक्ट्री प्रबंधन की सफाई

प्लांट प्रबंधन ने बयान जारी कर कहा कि यह “दुर्भाग्यपूर्ण हादसा” है और सभी सुरक्षा नियमों का पालन किया जा रहा था।
उनका दावा है कि —

“धमाका अचानक हुआ और किसी प्रकार की मानव त्रुटि नहीं थी। कंपनी सभी घायल कर्मचारियों के इलाज और परिवार की आर्थिक मदद करेगी।”

हालांकि मज़दूर संघ (Labour Union) ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि प्लांट में सुरक्षा उपकरणों की कमी लंबे समय से बनी हुई थी और कर्मचारियों को बिना सुरक्षा किट के काम करने पर मजबूर किया जाता था।


 मजदूर संघों का विरोध और बयान

घटना के बाद रायगढ़ मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शन किया और फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की।
यूनियन के नेता विनोद यादव ने कहा —

“हम कई बार प्रबंधन को सुरक्षा उपकरणों की कमी के बारे में सूचित कर चुके हैं, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम आंदोलन करेंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि हादसे की निष्पक्ष जांच लेबर विभाग से कराई जाए और पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए।


 सरकार की प्रतिक्रिया

राज्य के श्रम मंत्री ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि —

“औद्योगिक सुरक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और घायल मजदूरों को मुआवजा मिलेगा।”

सरकार ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि घायल मजदूरों को ₹2 लाख की तत्काल सहायता राशि और गंभीर रूप से घायल मजदूर को ₹5 लाख की आर्थिक मदद दी जाए।


 औद्योगिक सुरक्षा पर सवाल

यह घटना केवल एक प्लांट की नहीं, बल्कि पूरे औद्योगिक तंत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है।
रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जैसे जिलों में सैकड़ों औद्योगिक इकाइयाँ संचालित हैं, जहाँ उच्च तापमान, गैस, बिजली और भारी मशीनों के बीच मजदूर काम करते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार,

इस घटना ने यह दिखा दिया है कि “सुरक्षा उपाय” को गंभीरता से न लेना कितना बड़ा खतरा बन सकता है।


 स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

आसपास के ग्रामीणों ने कहा कि प्लांट में अक्सर “गैस लीकेज” या “छोटे धमाके” की आवाजें आती रहती हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वे पहले भी प्रशासन को शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अब वे मांग कर रहे हैं कि प्लांट को सुरक्षा मानकों के अनुरूप प्रमाणित (Certified) किए बिना पुनः चालू न किया जाए।


 विशेषज्ञों की राय

औद्योगिक सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि —

  1. हर प्लांट में फायर और गैस प्रेशर सेंसर की नियमित जांच होनी चाहिए।

  2. कर्मचारियों को Safety Drill (आपातकालीन अभ्यास) कराया जाना चाहिए।

  3. उच्च तापमान वाले प्लांट्स में काम करने वालों को सुरक्षा सूट, हेलमेट, और श्वसन उपकरण देना अनिवार्य होना चाहिए।

इन नियमों का पालन न होने से ही ऐसी घटनाएँ बार-बार हो रही हैं।


 प्रशासन का अगला कदम

जिला प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसमें शामिल हैं —

यह समिति 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
साथ ही, प्लांट को आदेश दिया गया है कि वे सभी सुरक्षा उपकरणों का ऑडिट करवाकर ही दोबारा उत्पादन शुरू करें।

रायगढ़ में हुआ यह औद्योगिक धमाका एक चेतावनी है कि विकास की दौड़ में सुरक्षा को नज़रअंदाज़ करना बेहद खतरनाक हो सकता है।
यह समय है जब सरकार, उद्योग प्रबंधन और श्रमिक संगठन — सभी मिलकर औद्योगिक सुरक्षा को प्राथमिकता दें।

क्योंकि विकास तभी सार्थक है, जब उसके पीछे मजदूरों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
यह हादसा न केवल जांच का विषय है, बल्कि एक सबक भी है कि आने वाले समय में कोई और परिवार ऐसी त्रासदी का शिकार न बने।

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