बिलासपुर में मनाया गया Eucharistic Congress उत्सव — छत्तीसगढ़ की धरती पर आस्था, एकता और करुणा का संगम

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर ने अक्टूबर 2025 में एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक आयोजन का साक्षी बना — Eucharistic Congress 2025।
यह आयोजन ईसाई समुदाय की आस्था, भक्ति और मानवता के संदेश को केंद्र में रखकर आयोजित किया गया।
देश और राज्य के विभिन्न हिस्सों से हजारों श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया, जिससे बिलासपुर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का केंद्र बन गया।
यह उत्सव न केवल ईसाई धर्म की परंपरा का प्रतीक था, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव, प्रेम और एकता का संदेश भी लेकर आया।
Eucharistic Congress बिलासपुर में मनाया गया। mattersindia.com
Eucharistic Congress क्या है?

Eucharistic Congress कैथोलिक चर्च का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें ईसा मसीह के पवित्र भोज (Holy Eucharist) की याद में विशेष आराधना की जाती है।
यह आयोजन इस विश्वास पर आधारित है कि “Eucharist” यानी पवित्र प्रसाद स्वयं मसीह की उपस्थिति का प्रतीक है।
इस उत्सव का उद्देश्य होता है —
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समाज में प्रेम, करुणा और एकता का संदेश फैलाना।
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ईसा मसीह की शिक्षाओं को आत्मसात करना।
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युवाओं और समाज को शांति और सद्भाव के मार्ग पर प्रेरित करना।
2025 के आयोजन की विशेषता

इस वर्ष का Eucharistic Congress विशेष इसलिए भी रहा क्योंकि यह छत्तीसगढ़ में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया।
यह आयोजन बिलासपुर डायोसीस (Bilaspur Diocese) के तत्वावधान में संपन्न हुआ।
आयोजन स्थल को आकर्षक सजावट और धार्मिक प्रतीकों से सजाया गया था।
चारों ओर शांति, भक्ति और एकता की भावना झलक रही थी।
मुख्य कार्यक्रम और गतिविधियाँ
Eucharistic Congress 2025 में कई धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। कुछ प्रमुख बिंदु नीचे दिए गए हैं:
1. मुख्य आराधना समारोह (Holy Mass)
आयोजन की शुरुआत एक भव्य Mass Celebration से हुई, जिसमें राज्यभर के बिशप, पादरी, नन और श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
इस आराधना के दौरान ईसा मसीह की शिक्षाओं को याद किया गया और समाज में प्रेम व सेवा का संदेश दिया गया।
2. धार्मिक जुलूस (Procession)
शहर की प्रमुख सड़कों पर पवित्र Eucharist के साथ एक विशाल जुलूस निकाला गया।
लोग मोमबत्तियाँ लेकर चलते हुए “Peace and Unity” का संदेश दे रहे थे।
3. प्रवचन और शिक्षण सत्र
विभिन्न धार्मिक नेताओं और धर्मगुरुओं ने ईसा मसीह के जीवन, उनके बलिदान और करुणा पर प्रवचन दिए।
युवाओं के लिए “Faith in Modern Times” विषय पर विशेष सत्र आयोजित किया गया।
4. सांस्कृतिक कार्यक्रम
स्थानीय बच्चों और युवाओं ने भक्ति गीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियाँ दीं जो आस्था और भाईचारे के संदेश को दर्शा रही थीं।
5. सामाजिक सेवा पहल
Eucharistic Congress के अवसर पर ब्लड डोनेशन कैंप, गरीबों के लिए भोजन वितरण, और मेडिकल चेकअप कैंप भी आयोजित किए गए।
यह पहल इस बात का उदाहरण बनी कि धार्मिक आयोजन केवल पूजा नहीं बल्कि समाज सेवा का माध्यम भी हैं।
आयोजन के प्रमुख अतिथि
इस आयोजन में देशभर के कई धार्मिक गणमान्य व्यक्ति और सामाजिक नेता उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथियों में शामिल थे —
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बिशप माइकल सोरेंग (Bilaspur Diocese)
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Archbishop Felix Toppo (Ranchi)
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Father Augustine Kujur (Raipur)
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Sister Mary Teresa, जो महिला शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं।
राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर उपस्थित रहे और उन्होंने धार्मिक सौहार्द बनाए रखने की दिशा में सहयोग का आश्वासन दिया।
Eucharistic Congress का सामाजिक संदेश
Eucharistic Congress केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक भी है।
इस उत्सव ने निम्नलिखित संदेश समाज तक पहुँचाए
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एकता में शक्ति: सभी धर्म, समुदाय और वर्गों के लोग एक साथ आए, जिससे सामाजिक सद्भाव का वातावरण बना।
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सेवा ही सच्ची उपासना: जरूरतमंदों की सेवा करना ही सच्चा धर्म है।
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प्रकृति संरक्षण: आयोजकों ने “Clean and Green Congress” का नारा दिया और पूरे आयोजन को Eco-Friendly रखा।
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महिला सशक्तिकरण: कार्यक्रम में महिला धार्मिक नेताओं ने विशेष भूमिका निभाई।
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युवाओं की भागीदारी: युवाओं को समाज में परिवर्तन लाने की दिशा में प्रेरित किया गया।
आयोजन की तैयारी और व्यवस्था
आयोजन स्थल को पर्यावरण-हितैषी तरीके से सजाया गया था।
प्लास्टिक-मुक्त आयोजन स्थल, बायोडिग्रेडेबल सामग्री और डिजिटल निमंत्रण कार्ड का प्रयोग किया गया।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा और यातायात की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित की।
सैकड़ों स्वयंसेवक (volunteers) सेवा कार्य में जुटे रहे।
छत्तीसगढ़ के लिए इस आयोजन का महत्व
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धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा: बिलासपुर अब धार्मिक आयोजनों के लिए एक उभरता केंद्र बन गया है।
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सांस्कृतिक एकता: इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न समुदायों को एक सूत्र में बाँधा।
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शांति और भाईचारे का संदेश: राज्य में धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द को नई दिशा मिली।
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अंतरराष्ट्रीय पहचान: यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय ईसाई समुदाय में छत्तीसगढ़ का नाम ऊँचा करने वाला साबित हुआ।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
श्रद्धालुओं ने कहा कि यह आयोजन आस्था और आत्मिक शांति का अद्भुत अनुभव था।
कई लोगों ने इसे अपने जीवन का “सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक क्षण” बताया।
“इस कार्यक्रम ने मुझे यह सिखाया कि असली भक्ति तब है जब हम दूसरों के लिए प्रेम और करुणा दिखाते हैं।” — एक प्रतिभागी
भविष्य की योजना
Bilaspur Diocese ने घोषणा की है कि आगे हर दो वर्ष में इस तरह के Faith Congress आयोजित किए जाएंगे।
इससे धार्मिक शिक्षा, समाज सेवा और मानवता के संदेश को और सशक्त रूप मिलेगा।
बिलासपुर Eucharistic Congress 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह मानवता, प्रेम और एकता का उत्सव था।
इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से नई पहचान दी।
जहाँ एक ओर इसने ईसा मसीह के बलिदान और शिक्षाओं को याद किया, वहीं दूसरी ओर समाज में सद्भाव और सेवा का संदेश भी दिया।
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