पति-पत्नी के बीच सोशल मीडिया विवाद से घर में बवाल एक आधुनिक दौर

बदलते दौर में रिश्तों की तस्वीर

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया ने लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन लिया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, रील्स और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म ने आम व्यक्ति को अभिव्यक्ति का एक नया माध्यम दिया है। लेकिन जब यही सोशल मीडिया निजी रिश्तों की सीमाओं को पार कर जाता है, तो वह परिवार में विवाद का कारण भी बन सकता है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सामने आया है, जहां पति-पत्नी के बीच “रील्स” बनाने को लेकर शुरू हुआ विवाद देखते ही देखते बड़े बवाल में बदल गया।
पति-पत्नी के बीच सोशल मीडिया विवाद से घर में बवाल – रायपुर में पत्नी की सोशल-मीडिया पर “रील्स” बनाने की आदत से खिन्न पति ने घर की बिजली काट दी। बाद में पत्नी चाकू लेकर भागी-दोड़ी में मामला पुलिस तक पहुँच गया। Navbharat Times
घटना का विवरण‘रीलबाजी’ से मचा रायपुर में हंगामा
यह पूरा मामला रायपुर के एक रिहायशी इलाके का है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पत्नी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लगातार रील्स बनाती थीं। इन रील्स में वह कभी घर के काम करते हुए वीडियो बनातीं, तो कभी डांस और ट्रेंडिंग गानों पर एक्ट करतीं।
शुरुआती दिनों में पति ने इसे सामान्य मनोरंजन समझकर अनदेखा किया, लेकिन धीरे-धीरे यह आदत उसकी जिंदगी पर हावी होती चली गई।
पति का कहना था कि पत्नी दिन-रात मोबाइल में रील्स बनाती रहती थीं — खाना बनाते समय, बच्चों की देखभाल के दौरान, यहाँ तक कि सोने से पहले तक। पति को यह बात खटकने लगी कि घर का माहौल अब कैमरा और मोबाइल की चमक में खोता जा रहा है।
नाराज पति ने एक दिन गुस्से में आकर घर की बिजली काट दी, ताकि पत्नी मोबाइल चार्ज न कर सके और वीडियो न बना सके। परंतु, इस कदम ने विवाद को और भी भड़का दिया।
विवाद का बढ़ना चाकू लेकर डराने आई पत्नी

जब पत्नी को एहसास हुआ कि पति ने बिजली काट दी है, तो उसने इसका विरोध किया। झगड़ा बढ़ने पर दोनों के बीच तीखी बहस हुई। पत्नी ने गुस्से में आकर रसोई से चाकू उठाया और पति को डराने लगी।
मकसद शायद डराना था, लेकिन मामला हाथ से निकल गया — मोहल्ले वालों ने तुरंत पुलिस को बुला लिया। पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को थाने ले जाकर बयान दर्ज किए।
पुलिस कार्रवाई और मामला दर्ज
रायपुर पुलिस के अनुसार, यह घटना एक घरेलू विवाद का परिणाम है। महिला और पुरुष दोनों के खिलाफ धारा 294 (गाली-गलौज), 506 (आपराधिक धमकी) और 323 (साधारण मारपीट) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की और परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को बीच-बचाव के लिए बुलाया। वर्तमान में महिला को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि पति को आगे की पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है।
सोशल मीडिया और वैवाहिक रिश्तों का बदलता समीकरण
यह घटना सिर्फ एक पारिवारिक झगड़े की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस मानसिक और सामाजिक बदलाव की झलक भी दिखाती है जो डिजिटल युग में हमारे परिवारों के भीतर हो रहा है।
सोशल मीडिया ने रिश्तों में एक नई प्रतिस्पर्धा और “प्रदर्शन” की भावना पैदा कर दी है।
आज के दौर में लोग अपने जीवन को ऑनलाइन दुनिया में दिखाने के लिए जी रहे हैं। रील्स, स्टोरी, लाइक्स और फॉलोअर्स की गिनती ने निजी संबंधों में भी तनाव बढ़ा दिया है।
कई मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि
“जब किसी रिश्ते में मोबाइल स्क्रीन तीसरे साथी की तरह मौजूद हो, तो संवाद और भरोसे की जगह एल्गोरिदम ले लेता है।”
विशेषज्ञों की राय डिजिटल व्यसन से रिश्तों पर असर
रायपुर स्थित मनोवैज्ञानिक डॉ. अनामिका शर्मा कहती हैं:
“डिजिटल प्लेटफॉर्म का अत्यधिक उपयोग अब नशे की तरह हो गया है। कई दंपत्ति अपने रिश्तों की समस्याओं को हल करने के बजाय सोशल मीडिया के माध्यम से वैधता ढूंढने लगते हैं। यह धीरे-धीरे उनके निजी जीवन को नष्ट कर देता है।”
उन्होंने आगे कहा कि सोशल मीडिया की ‘रील कल्चर’ ने एक तरह की ‘डिजिटल तुलना’ की प्रवृत्ति को जन्म दिया है। जब एक व्यक्ति लगातार दूसरों की परफेक्ट लाइफ देखकर अपनी जिंदगी को उसी पैमाने पर तौलने लगता है, तो असंतोष पैदा होता है — यही असंतोष रिश्तों को तोड़ने का कारण बनता है।
रील्स का जुनून और सामाजिक दबाव
आजकल हर दूसरा व्यक्ति रील बनाकर लोकप्रियता पाना चाहता है।
इंस्टाग्राम पर ट्रेंडिंग सॉन्ग्स, वायरल वीडियो और लाइक-कमेंट की गिनती ने आम आदमी को “डिजिटल स्टार” बनने की दौड़ में शामिल कर दिया है।
यह मामला भी इसी मानसिकता की एक झलक है — जहां पत्नी सोशल मीडिया फेम की दीवानी थी और पति पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को प्राथमिकता देता था।
दोनों के बीच संवाद की कमी और समझ की दूरी ने इस विवाद को चरम पर पहुंचा दिया।
कानूनी दृष्टिकोण से मामला
भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत घरेलू विवाद के मामलों में पुलिस सामान्यतः समझौते की कोशिश करती है।
परंतु जब किसी पक्ष की तरफ से धमकी, मारपीट या मानसिक उत्पीड़न के संकेत मिलते हैं, तो मामला दर्ज करना अनिवार्य हो जाता है।
इस घटना में भी पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है, ताकि भविष्य में हिंसक प्रवृत्ति को रोका जा सके।
यदि दोष सिद्ध होता है, तो आरोपी को तीन महीने से लेकर एक वर्ष तक की सजा या जुर्माना दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
समाज के लिए सीख: रिश्तों में संवाद जरूरी
यह घटना समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि तकनीक कभी भी मानवीय संवेदनाओं का विकल्प नहीं हो सकती।
पति-पत्नी के रिश्ते भरोसे, संवाद और सम्मान पर टिका होता है।
अगर इस रिश्ते में सोशल मीडिया की खाई आ जाए, तो उसका नतीजा केवल तनाव और अलगाव होता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि
-
दंपत्ति को डिजिटल सीमाएँ तय करनी चाहिए।
-
हर व्यक्ति को ‘ऑफलाइन समय’ देना चाहिए, जब मोबाइल पूरी तरह बंद हो।
-
परिवार में संवाद की परंपरा को जीवित रखना जरूरी है।
-
सोशल मीडिया का उपयोग मनोरंजन तक सीमित रहे, निजी जीवन की गोपनीयता न टूटे।
डिजिटल युग और पारिवारिक मूल्यों का संतुलन
हम ऐसे समय में जी रहे हैं, जहां इंटरनेट ने जीवन को आसान भी बनाया है और जटिल भी।
सोशल मीडिया ने हमें जोड़ने की बजाय कभी-कभी अलग-थलग भी कर दिया है।
रायपुर की यह घटना उस असंतुलन की प्रतीक है — जहां एक ओर तकनीक आधुनिकता का प्रतीक बन गई है, वहीं दूसरी ओर रिश्तों की संवेदनशीलता कमजोर पड़ रही है।
रील्स नहीं, रियल रिश्ते बचाएं
इस घटना से हमें यही सीख मिलती है कि लोकप्रियता और दिखावे की दौड़ में कहीं हम अपने असली रिश्तों को न खो दें।
पति-पत्नी के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन उन्हें संवाद, धैर्य और समझ से सुलझाया जा सकता है — चाकू, पुलिस या अदालत से नहीं।
“रील्स कुछ सेकंड की होती हैं, लेकिन रिश्ते पूरी जिंदगी निभाने पड़ते हैं।”
डिजिटल युग में असली सफलता यह नहीं कि हमें कितने फॉलोअर्स मिले, बल्कि यह है कि हम अपने घर के लोगों के दिल में कितनी जगह बना पाए।
Next –
