छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस 1 नवंबर 2025 का“राज्योत्सव”

हर वर्ष 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ में एक विशेष-दिन मनाया जाता है जिसे हम “स्थापना दिवस” या “राज्योत्सव” के नाम से जानते हैं। इस दिन का महत्त्व सिर्फ एक छुट्टी का दिन नहीं है बल्कि प्रदेश की उस यात्रा का प्रतीक है, जिसमें एक भू-भाग ने अपनी अलग पहचान बनाई, अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाया और विकास की दिशा में कदम बढ़ाए। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि छत्तीसगढ़ राज्य कैसे बना, क्यों इसे 1 नवंबर को स्थापन दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसके सम्मान में क्या कार्यक्रम होते हैं, इसका सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्त्व क्या है, और 2025-25 में यह दिन किस प्रकार मनाया जा सकता है।
निर्माण की पृष्ठभूमि

उन कड़ियों को जोड़ना होगा जो इस राज्य के निर्माण की ओर ले जाती हैं। वर्तमान छत्तीसगढ़ पहले मध्य प्रदेश राज्य का ही एक हिस्सा था। वर्ष 2000 में 1 नवंबर को मध्य प्रदेश को विभाजित कर इस हिस्से को अलग राज्य का दर्जा दिया गया।
यह गहरा-संविधानिक एवं राजनीतिक निर्णय था जिसमें यह ध्यान रखा गया कि यहाँ की जन-संख्या, संस्कृति, भाषा (छत्तीसगढ़ी सहित अन्य जनजातीय भाषाएँ) और सामाजिक संरचना मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों से अलग-थलग थी।
नाम-विधान के अंतर्गत यह भू-भाग “छत्तीसगढ़” नाम से जाना गया — ऐसा कहा जाता है कि इस नाम की उत्पत्ति “छत्तीस गढ़ों के प्रदेश” के रूप में हुई थी।
स्थापना दिवस कब और क्यों मनाया जाता है
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1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ को भारत का 26वाँ राज्य घोषित किया गया था।
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तब से प्रत्येक वर्ष इसी तिथि को “छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस” या “छत्तीसगढ़ राज्योत्सव” के रूप में मनाया जाता है।
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इस दिन राज्य-सरकार, जन-प्रतिनिधि, सांस्कृतिक समूह और आम जनता मिलकर आयोजन करते हैं, जहाँ विविधता में एकता, विकास एवं संस्कृति को प्रमुखता मिलती है।
स्थापना दिवस का महत्त्व
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राज्य-पहचान व गौरव: यह दिन राज्य की अलग पहचान का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ के नागरिक-samuh के लिए यह गर्व एवं उत्सव का अवसर है।
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सांस्कृतिक समावेशन: जनजातीय-संस्कृति, लोक-नृत्य, भाषा और कला को मंच मिलता है। राज्योत्सवों में इनकी झलक देखने को मिलती है।
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विकास-दिशा: इस दिन यह याद दिलाया जाता है कि प्रदेश को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं बुनियादी सुविधाओं की दिशा में आगे ले जाना है।
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संविधानिक एवं प्रशासनिक महत्व: राज्य पुनर्गठन अधिनियम तथा सरकार-प्रशासन की रूपरेखा की याद दिलाता है कि लोकतंत्र के अंतर्गत यह राज्य कैसे बना।
स्थापना दिवस की मुख्य गतिविधियाँ
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राजधानी रायपुर में विशेष समारोह आयोजित होता है जिसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, आम नागरिक आदि भाग लेते हैं।
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सांस्कृतिक कार्यक्रम: लोक-नृत्य, जनजातीय गीत, मंच प्रस्तुतियाँ, पौराणिक कथा-नाट्य आदि।
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पुरस्कार वितरण, संवर्धन-योजनाओं का शुभारंभ, सामाजिक अभियान-घोषणाएँ।
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राज्योत्सव के रूप में कुछ सालों में पाँच-दिन तक कार्यक्रम आयोजित हुआ है जिसे “राज्योत्सव ग्राउंड, अटल नगर” में रखा गया।
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प्रत्येक जिले में स्थानीय स्तर पर समारोह, झाँकियाँ, पोस्टर-प्रदर्शनी, फोटो-वॉल आदि।
2025 में इस दिन को मनाने के सुझाव
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स्कूल-कॉलेजों में “मेरी छत्तीसगढ़” थीम पर निबंध, प्रस्तुतियाँ कराई जा सकती हैं।
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घर-परिवार में राज्य-विशेष व्यंजन पकाने की पहल करें — जैसे “धान का कटोरा” कहे जाने वाले राज्य का कृषि-रूप।
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सामाजिक कार्य: इस दिन किसी जनजातीय गांव की सफाई, वृक्षारोपण, शिक्षा-सहायता कर सकते हैं।
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शाम को दीप-प्रज्वलन या ‘लाइट इवेंट’ रख सकते हैं — पिछले वर्षों में 10,000 दीप जलाने का कार्यक्रम आयोजित हुआ है।
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सोशल मीडिया पर #जयछत्तीसगढ़, #ChhattisgarhRajyotsava जैसे हैशटैग के साथ फोटो-मेमोरीज साझा करें।
संस्कृति, भू-भाग एवं भविष्य की चुनौतियाँ
छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है। इसके बावजूद, राज्य में पिछड़ा हुआ क्षेत्र, आदिवासी विकास, खनिज-उद्योग, शिक्षा-स्वास्थ्य की चुनौतियाँ भी मौजूद रहीं। स्थापना के बाद से वृद्धि-मार्ग पर है लेकिन अभी भी सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय विकास अंतर, संसाधनों का संतुलन जैसे विषय महत्वपूर्ण हैं।
स्थापना दिवस इन चुनौतियों की याद दिलाता है कि केवल आज का उत्सव नहीं बल्कि अगले कल की तैयारी भी जरूरी है।
संक्षिप्त इतिहास की झलक
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प्राचीन काल में यह क्षेत्र “दक्षिण कोशल” नाम से जाना जाता था।
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मराठा-काल, ब्रिटिश शासन, मध्य प्रदेश के अधीन-स्थ अवधि — इन सबने इस भू-भाग पर प्रभाव छोड़ा।
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1920-30 के दशक में अलग राज्य की मांग उठी — सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलन हुए।
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अंततः मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य बना।
राज्य का नाम व विशेषताएँ
“छत्तीसगढ़” नाम-उत्पत्ति पर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। एक मत के अनुसार यह 36 गढ़ों (किलों) वाले प्रदेश के कारण बना। राज्य में भौगोलिक रूप से खनिज-प्रधान संसाधन, जनजातीय संस्कृति, नदियाँ तथा वन संसाधन मौजूद हैं। Nai Dunia
1 नवंबर की स्थापना दिवस की खुशी हमें याद दिलाती है कि हमारा राज्य किस पथ से आया है और किन-किन मुकामों को पार करके यह आज खड़ा है। यह दिन केवल उत्सव का नहीं, समर्पण, पहचान और प्रतिबद्धता का दिन है।
इस साल 2025 में जब हम इस दिन को मनाएँगे, तो आइए साथ-मिलकर यह संकल्प लें कि
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हम अपनी संस्कृति व भाषा को उन्नति की दिशा में ले जाएंगे।
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हम विकास-कार्य में सक्रिय भूमिका निभाएँगे।
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हम अपने राज्य को सामाजिक समरसता और आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर करेंगे।
जय छत्तीसगढ़, जय महतारी।
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