छत्तीसगढ़ मौसम अलर्ट 2025 अगले तीन दिनों तक बारिश और तूफानी हवाओं का अंदेशा

छत्तीसगढ़ में अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में मौसम ने फिर करवट बदल ली है। मौसम विभाग (IMD Raipur) ने राज्यभर में बारिश और तेज़ हवाओं का अलर्ट जारी किया है। बंगाल की खाड़ी में बना एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र (Low Pressure Area) आने वाले तीन दिनों में राज्य के लगभग सभी हिस्सों में बारिश लेकर आ सकता है। इस सिस्टम के प्रभाव से न केवल बादल छाए रहेंगे बल्कि कई जिलों में गरज-चमक के साथ तेज़ हवाएँ चलने की भी संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग ने पूरे राज्य में आगामी 3 दिनों के लिए बारिश और तूफानी हवाओं का अनुमान दिया है, यात्रा और बाहरी गतिविधियों में सावधानी जरूरी। IBC24 News+1
मौसम विभाग की चेतावनी

भारतीय मौसम विभाग, रायपुर केंद्र ने जारी बुलेटिन में बताया कि —
“बंगाल की खाड़ी में सक्रिय चक्रवाती परिसंचरण (Cyclonic Circulation) के कारण आने वाले 72 घंटों तक छत्तीसगढ़ में वर्षा गतिविधियां देखने को मिलेंगी। कुछ स्थानों पर बिजली गिरने और तेज़ झोंकेदार हवाओं के साथ भारी वर्षा की स्थिति बन सकती है।”
विभाग के अनुसार, यह सिस्टम 27 अक्टूबर से 30 अक्टूबर 2025 के बीच सक्रिय रहेगा और इसका असर दक्षिण, मध्य और उत्तरी छत्तीसगढ़ में अलग-अलग रूप से दिखेगा।
किन जिलों में सबसे ज्यादा असर रहेगा
मौसम विभाग ने जिन जिलों में भारी बारिश और तेज हवाओं का अनुमान जताया है, वे हैं –
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दक्षिण छत्तीसगढ़ बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और कांकेर जिलों में मध्यम से भारी वर्षा की संभावना।
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मध्य छत्तीसगढ़ रायपुर, दुर्ग, बालोद, महासमुंद और धमतरी में हल्की से मध्यम बारिश के साथ गरज-चमक के आसार।
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उत्तर छत्तीसगढ़ कोरिया, सूरजपुर, सरगुजा और रायगढ़ जिलों में तेज़ हवाएँ और छिटपुट बारिश के संकेत।
विभाग ने इन जिलों के लिए येलो अलर्ट (Yellow Alert) जारी किया है, जबकि बस्तर संभाग के कुछ हिस्सों के लिए ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert) भी जारी किया गया है।
तेज़ हवाओं का प्रभाव
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार,
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हवा की रफ्तार कुछ स्थानों पर 30–50 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुँच सकती है।
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खुले क्षेत्रों, पेड़-पौधों और बिजली के तारों पर इसका असर पड़ सकता है।
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किसानों और मछुआरों को चेताया गया है कि वे अगले तीन दिन खेतों में देर तक न रुकें और नाव लेकर नदियों या तालाबों में न उतरें।
किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह
छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है और इस समय कई जिलों में धान की फसल पकने की स्थिति में है। ऐसी परिस्थिति में भारी बारिश किसानों के लिए चिंता का कारण बन सकती है।
मौसम विभाग और कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को निम्नलिखित सलाह दी है –
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कटाई के लिए कुछ दिन प्रतीक्षा करें – अगले 3 दिनों में बारिश की संभावना को देखते हुए खेतों में कटाई न करें।
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खलिहान में रखी फसलों को ढकें – खुले में रखी फसलें या भूसा बारिश से खराब हो सकते हैं।
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सिंचाई बंद रखें – जिन खेतों में धान की फसल अभी हरी है, वहां फिलहाल सिंचाई न करें क्योंकि मिट्टी में पहले से नमी बनी रहेगी।
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बिजली से सुरक्षा रखें – बिजली गिरने की संभावना है, इसलिए खेतों में धातु के उपकरणों से दूरी बनाए रखें।
तापमान में गिरावट की संभावना
बारिश और बादलों के कारण राज्य में दिन का तापमान 2 से 4 डिग्री तक गिरने की उम्मीद है।
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अधिकतम तापमान 28°C से 30°C के बीच
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न्यूनतम तापमान 19°C से 21°C तक
इससे सुबह और रात के समय हल्की ठंडक महसूस होगी, जो अक्टूबर के अंत में मौसम के सामान्य परिवर्तन का संकेत है।
आम जनता के लिए जरूरी सावधानियाँ

मौसम विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे इन दिनों सुरक्षा और सतर्कता बरतें –
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बिजली गिरने के समय पेड़ों या बिजली के खंभों के नीचे न रुकें।
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बारिश के दौरान यात्रा टालें, खासकर पहाड़ी और फिसलन भरे रास्तों पर।
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स्कूल प्रशासन को सतर्क रहने की सलाह दी गई है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे मकानों में रहने वालों को बारिश और तेज हवा से सावधान रहने की हिदायत दी गई है।
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मोबाइल या टीवी पर मौसम अपडेट्स लगातार लेते रहें ताकि आपात स्थिति में तुरंत तैयारी की जा सके।
नदियों और जलाशयों का बढ़ता जलस्तर
बारिश के कारण राज्य के कई हिस्सों में नदियों और जलाशयों का जलस्तर बढ़ सकता है।
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महानदी, शिवनाथ, और इंद्रावती नदी के किनारे बसे गांवों में प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है।
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जल संसाधन विभाग ने भी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी है।
प्रशासनिक तैयारी
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने संभावित आपदा से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं –
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आपातकालीन नियंत्रण कक्ष (Emergency Control Room) को सक्रिय किया गया है।
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SDRF और NDRF की टीमें संवेदनशील जिलों में तैनात की गई हैं।
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ग्रामीण इलाकों में पंचायत स्तर पर मॉनिटरिंग टीमों को अलर्ट किया गया है।
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बिजली विभाग को कहा गया है कि बारिश के दौरान होने वाले शॉर्ट सर्किट और तार टूटने की घटनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया दे।
मौसम वैज्ञानिकों का विश्लेषण
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार,
“बंगाल की खाड़ी में बना यह सिस्टम दक्षिण-पूर्व दिशा से नमी लेकर आ रहा है। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ समेत मध्य भारत के कई हिस्सों में बारिश हो सकती है। हालांकि, यह सिस्टम बहुत गहरा नहीं है, इसलिए अतिवृष्टि की संभावना कम है।”
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह आखिरी मॉनसून जैसा प्रभाव है, जिसके बाद धीरे-धीरे राज्य में ठंड का आगमन शुरू होगा।
मौसम बदलने से जनजीवन पर असर
बारिश और ठंडी हवाओं के चलते –
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बाजारों और सड़कों पर हल्की सुस्ती देखने को मिली।
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रायपुर और दुर्ग में कई जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी।
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स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों की उपस्थिति थोड़ी कम रही।
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वहीं, मौसम सुहावना होने से कई लोग सैर या यात्रा के लिए निकले, जिन्होंने इस ठंडी बारिश का आनंद लिया।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
रायगढ़ के एक निवासी ने कहा,
“काफी दिनों से गर्मी बढ़ गई थी, अब यह बारिश राहत लेकर आई है। बस तेज़ हवाओं से नुकसान न हो, यही उम्मीद है।”
बस्तर क्षेत्र के किसानों ने बताया कि,
“धान की फसल लगभग तैयार है, इसलिए अब बारिश नुकसान भी पहुंचा सकती है। हम फसल को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।”
छत्तीसगढ़ में मौसम का यह बदलाव एक ओर ठंड का स्वागत संकेत है तो दूसरी ओर किसानों और ग्रामीणों के लिए सतर्कता की आवश्यकता भी है। आने वाले तीन दिनों तक राज्य के लगभग हर जिले में हल्की से मध्यम बारिश और तेज हवाएँ चलेंगी। मौसम विभाग और प्रशासन दोनों ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
प्रकृति की इस बदली चाल से राहत भी है और चुनौती भी — इसलिए अगले कुछ दिनों तक सावधानी, सुरक्षा और तैयारी ही सबसे बड़ा उपाय है।
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