छत्तीसगढ़ में मौसम ने बदला मिज़ाज छत्तीसगढ़ में भारी बारिश का रेड अलर्ट,

छत्तीसगढ़ में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह के साथ ही मौसम का रुख अचानक बदल गया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि दक्षिण छत्तीसगढ़ के कई जिलों में आगामी 48 घंटे तक भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है।
विशेषकर दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, बस्तर और कोंडागांव जैसे जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, रायपुर, महासमुंद, रायगढ़ और सरगुजा संभागों में येलो अलर्ट के तहत मध्यम वर्षा और तेज़ हवाओं की चेतावनी दी गई है।
राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी कलेक्टरों को चौकन्ना रहने के निर्देश दिए हैं। यह बदलाव बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र के असर से हो रहा है, जो धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ रहा है।
राज्य में गहल (वायु/मौसम) की स्थिति बदल रही है — दक्षिण छत्तीसगढ़ में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी। mint+1
मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अपने ताज़ा बुलेटिन में कहा है कि बंगाल की खाड़ी के पश्चिमी तट पर एक सक्रिय लो-प्रेशर ज़ोन (Low Pressure Area) बना है, जो आगे बढ़ते हुए ओडिशा और छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्सों को प्रभावित करेगा।
इससे अगले 2–3 दिनों तक लगातार भारी वर्षा, गरज-चमक और बिजली गिरने की घटनाएँ दर्ज की जा सकती हैं।
अलर्ट की स्थिति
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रेड अलर्ट दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागांव
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ऑरेंज अलर्ट कांकेर, नारायणपुर, महासमुंद, धमतरी
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येलो अलर्ट रायपुर, रायगढ़, बलौदाबाजार, सरगुजा, कोरबा
मौसम विभाग के अनुसार, इन क्षेत्रों में 24 घंटे में 115 मिमी से अधिक वर्षा संभव है, जो निचले इलाकों में जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
बंगाल की खाड़ी से उठा निम्न दबाव क्षेत्र
IMD के वैज्ञानिकों ने बताया कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना Cyclonic Circulation ‘गहन निम्न दबाव’ में परिवर्तित हो चुका है।
यह प्रणाली उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए ओडिशा के तटीय इलाकों से होकर छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर रही है।
इस कारण मॉनसून के बादल फिर से सक्रिय हो गए हैं, और हवा में नमी का स्तर 90% तक पहुंच गया है।
विशेषज्ञों का कहना है,
“यह प्रणाली मानसून के बाद की सबसे सक्रिय बारिश लेकर आ रही है, जिससे राज्य के दक्षिणी हिस्सों में दो दिन तक तेज़ बारिश जारी रहेगी।”
बारिश का असर — जनजीवन पर प्रभाव
1. ग्रामीण क्षेत्रों में चिंता
दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जैसे जिलों में पहले से ही कच्चे रास्ते और पुल-पुलिया कमजोर स्थिति में हैं। ऐसे में भारी बारिश से आवागमन बाधित होने की आशंका है।
कई नालों और छोटी नदियों के उफान पर आने से गांवों का संपर्क टूट सकता है।
2. शहरी क्षेत्रों में जलभराव
रायपुर, धमतरी और जगदलपुर शहरों में निचले इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम की कमजोरी के कारण जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
नगर निगमों ने पंप लगाकर जलनिकासी की तैयारी शुरू कर दी है।
3. कृषि पर असर
राज्य के दक्षिणी हिस्सों में किसान धान की कटाई में जुटे हुए हैं। ऐसे में भारी बारिश से फसल नुकसान की संभावना बढ़ गई है।
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें और खेतों में पानी भरने से रोकने के उपाय करें।
4. बिजली और संचार सेवाओं पर असर
तेज़ हवाओं और आंधी के कारण बिजली के पोल और पेड़ गिरने की घटनाएँ हो सकती हैं।
बिजली विभाग ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और रैपिड रिस्पॉन्स टीमें तैनात की हैं।
प्रशासन की तैयारी
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (SDMA) ने सभी जिला कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों और राजस्व अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
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राहत शिविरों की तैयारी शुरू हो गई है।
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निचले इलाकों में रहने वालों को सुरक्षित स्थलों पर स्थानांतरित करने की योजना बनाई जा रही है।
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स्वास्थ्य विभाग ने एम्बुलेंस और मेडिकल टीमों को तैयार रखा है।
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NDRF और SDRF की टीमें बस्तर और सुकमा जिलों में पहले से ही तैनात हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा —
“दक्षिण छत्तीसगढ़ में मौसम की स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है। प्रशासन को सभी एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। नागरिकों से अनुरोध है कि बिना आवश्यकता घर से बाहर न निकलें।”
शिक्षा और परिवहन पर असर
1. स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी की संभावना
बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों में प्रशासन ने स्कूल-कॉलेज बंद रखने पर विचार शुरू कर दिया है।
संबंधित जिलों के शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मौसम की स्थिति के अनुसार स्थानीय छुट्टी घोषित कर सकते हैं।
2. बस और ट्रेन सेवाएँ प्रभावित
बारिश के कारण कुछ मार्गों पर सड़कों में जलभराव होने से बसों के संचालन में बाधा आई है।
जगदलपुर-रायपुर रेलमार्ग पर भी धीमी गति से ट्रेनें चलाने का आदेश दिया गया है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
दंतेवाड़ा के निवासी रमेश ठाकुर कहते हैं —
“हमारे इलाके में नालों का जलस्तर बढ़ गया है। प्रशासन ने चेतावनी दी है, लेकिन ग्रामीणों को अभी भी बिजली और नेटवर्क की दिक्कतें हैं।”
वहीं रायपुर की निवासी किरण साहू बताती हैं —
“पिछले साल की तरह इस बार भी बारिश ने अक्टूबर के अंत में दस्तक दी है। हमें राहत तो मिल रही है, लेकिन शहर में पानी भरने की दिक्कतें फिर लौट आई हैं।”
मौसम विशेषज्ञों की राय
रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अरुणेश पटेल के अनुसार –
“यह मौसमी गतिविधि पूरी तरह बंगाल की खाड़ी में विकसित निम्न दबाव क्षेत्र के कारण है। यह स्थिति 31 अक्टूबर तक बनी रह सकती है। 1 नवंबर से बारिश की तीव्रता धीरे-धीरे कम होने की संभावना है।”
उन्होंने बताया कि तापमान में गिरावट भी देखने को मिलेगी। अगले सप्ताह न्यूनतम तापमान में 3–4 डिग्री की कमी दर्ज की जा सकती है, जिससे ठंड का शुरुआती अहसास बढ़ेगा।
नागरिकों के लिए सलाह
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और मौसम विभाग ने लोगों से ये सावधानियाँ बरतने को कहा है:
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नालों, पुलों और जलभराव वाले इलाकों में जाने से बचें।
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खुले स्थानों पर बिजली गिरने के दौरान खड़े न रहें।
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मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिजली कनेक्शन से दूर रखें।
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सड़क पर फिसलन से बचने के लिए वाहन सावधानी से चलाएँ।
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किसी आपात स्थिति में डायल 112 या जिला नियंत्रण कक्ष से संपर्क करें।
राज्य के उत्तरी हिस्से में अलग स्थिति
जहाँ दक्षिण छत्तीसगढ़ बारिश से जूझ रहा है, वहीं सरगुजा, कोरिया और बलरामपुर जिलों में तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है।
यहाँ सुबह और रात के समय ठंडक महसूस की जा रही है। मौसम विभाग का कहना है कि जैसे ही बारिश की गतिविधि कम होगी, ठंड का असर पूरे प्रदेश में बढ़ेगा।
कृषि विशेषज्ञों की राय
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बारिश रबी फसल की तैयारी के लिए उपयोगी हो सकती है, बशर्ते जलभराव न हो।
मिट्टी में नमी बढ़ने से गेहूं और चना जैसी फसलों की बुआई में मदद मिलेगी।
हालाँकि, धान की कटाई पूरी न कर पाने वाले किसानों के लिए यह बारिश चुनौती बन सकती है।
भविष्य की संभावना
IMD ने संकेत दिए हैं कि यह सिस्टम 31 अक्टूबर तक सक्रिय रहेगा और उसके बाद धीरे-धीरे कमजोर पड़ेगा।
1 नवंबर तक बारिश की तीव्रता घटने की उम्मीद है, लेकिन हवा की नमी और तापमान में गिरावट के चलते अगले हफ्ते से ठंड का आगाज़ हो सकता है।
छत्तीसगढ़ में इस समय मौसम ने अचानक करवट ली है। दक्षिणी जिलों में लगातार बारिश ने प्रशासन और नागरिकों की परीक्षा ले ली है।
जहाँ एक ओर यह बारिश किसानों के लिए वरदान बन सकती है, वहीं दूसरी ओर यह आपदा जैसी स्थिति भी ला सकती है अगर सावधानी न बरती जाए।
राज्य प्रशासन सतर्क है और राहत दल मुस्तैदी से काम कर रहे हैं।
आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ का आसमान साफ़ होते ही प्रदेश एक नए मौसम — सर्दी के मौसम — का स्वागत करेगा।
छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए फिलहाल यही सलाह —
“सतर्क रहें, सुरक्षित रहें और मौसम विभाग के निर्देशों का पालन करें।”
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