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छत्तीसगढ़(2025) में ठंड की दस्तक तापमान में तेज गिरावट से शीतलहर जैसी स्थिति

छत्तीसगढ़(2025) में ठंड ने दिखाई दस्तक उत्तरी और मध्य हिस्सों में तापमान में तेज गिरावट

नवंबर 2025 के दूसरे सप्ताह में छत्तीसगढ़ में सर्दी ने दस्तक दे दी है। मौसम विभाग के अनुसार, राज्य के उत्तरी और मध्य भागों में तापमान में तेज गिरावट दर्ज की गई है। कई जिलों में रात का तापमान सामान्य से 4–5 डिग्री सेल्सियस कम हो गया है, जिससे शीतलहर जैसी स्थिति बन रही है।

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कहाँ सबसे ज़्यादा ठंड पड़ी?

मौसम विज्ञान केंद्र रायपुर द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार:

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर भारत की ठंडी हवाएँ अब मध्य भारत की ओर बढ़ रही हैं। हिमालय में बर्फबारी और पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर होने से ठंडी, शुष्क हवाएँ सीधे छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर रही हैं।


तेज़ गिरावट का वैज्ञानिक कारण

छत्तीसगढ़ का भौगोलिक स्वरूप—उत्तर में पठारी और दक्षिण में वनाच्छादित—सर्दी के असर को अलग-अलग तरीकों से झेलता है। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने तापमान में गिरावट के मुख्य कारण बताए हैं:

  1. उत्तर से आने वाली शुष्क ठंडी हवाएँ
    हिमाचल और उत्तराखंड की पहाड़ियों पर बर्फबारी के बाद ठंडी हवाएँ गंगा मैदान से होते हुए छत्तीसगढ़ तक पहुँच रही हैं।

  2. आर्द्रता में कमी
    नवंबर के मध्य तक मानसूनी नमी पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। हवा में नमी घटने से तापमान तेजी से नीचे जाता है।

  3. रातें लंबी होना
    सूर्य की किरणें कम देर तक रहने के कारण भूमि की ऊष्मा खोने की प्रक्रिया बढ़ जाती है। यही कारण है कि सुबह-सुबह कोहरा और धुंध दिखाई दे रही है।

  4. स्थिर वायुमंडलीय दबाव
    जब हवा की गति कम हो जाती है, तो ठंडी हवा ज़मीन के पास रुक जाती है, जिससे न्यूनतम तापमान गिरता है।


जनजीवन पर असर

तेज़ ठंड का असर अब लोगों की दिनचर्या पर भी साफ दिखने लगा है।

सुबह की दिनचर्या में बदलाव

सुबह के समय लोग देर से घरों से निकल रहे हैं। स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चे जैकेट, स्वेटर और टोपी पहनकर जा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में खेतों की गतिविधियाँ देर से शुरू हो रही हैं।

बुजुर्गों और बच्चों पर असर

बुजुर्गों में जोड़ों का दर्द, खाँसी-जुकाम और सर्दी के लक्षण बढ़ रहे हैं। बच्चों में भी श्वसन संक्रमण (respiratory infection) की शिकायतें सामने आने लगी हैं।

यातायात और परिवहन पर असर

कोहरे की स्थिति बनने लगी है, खासकर रायगढ़-अंबिकापुर और बिलासपुर-पेंड्रा रोड मार्गों पर दृश्यता (visibility) कम हो रही है। ड्राइवरों को सुबह की यात्रा में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।


स्वास्थ्य विभाग की सलाह

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों के लिए कुछ एहतियाती सुझाव जारी किए हैं:

  1. रात में गर्म कपड़ों का उपयोग करें।

  2. गर्म पानी पिएँ और शरीर को हाइड्रेट रखें।

  3. बच्चों और बुजुर्गों को सर्द हवाओं से बचाएँ।

  4. सुबह-सुबह व्यायाम से पहले वॉर्म-अप ज़रूर करें।

  5. जरूरत पड़ने पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क जाँच करवाएँ।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड के कारण हृदय और श्वसन से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सर्दी की शुरुआत से ही सतर्क रहना चाहिए।


ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में अलाव की परंपरा

छत्तीसगढ़ के ग्राम्य जीवन में ठंड के मौसम की एक विशेष पहचान है — “घुंघरी” या अलाव जलाना।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खेतों और चौपालों पर लकड़ी के अलाव जलाकर सामूहिक रूप से बैठते हैं। यह न केवल ठंड से बचने का तरीका है, बल्कि सामाजिक मेल-मिलाप का भी माध्यम है।


खेती-किसानी पर असर

मौसम विभाग के कृषि सलाह केंद्र के अनुसार:


शहरी तैयारी

राजधानी रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग-भिलाई जैसे शहरों में नगर निगमों ने नाइट शेल्टर (रैन बसेरा) तैयार करने शुरू कर दिए हैं, ताकि बेघर और जरूरतमंद लोग ठंड से बच सकें।
नगर प्रशासन द्वारा मुख्य चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था की जा रही है।


आने वाले दिनों का पूर्वानुमान

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार:


स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया


सर्दी और छत्तीसगढ़ की संस्कृति

छत्तीसगढ़ की सर्दी का मौसम न केवल जलवायु परिवर्तन का संकेत है बल्कि यह कई सांस्कृतिक गतिविधियों का भी समय होता है।


जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में सर्दी का पैटर्न अस्थिर हुआ है —
कभी बहुत ठंड तो कभी अचानक गर्मी।
यह स्थिति क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) की ओर संकेत करती है।
पर्यावरणविदों का मानना है कि बढ़ते शहरीकरण और पेड़ों की कटाई से राज्य के प्राकृतिक तापमान-नियंत्रण तंत्र पर असर पड़ा है।

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छत्तीसगढ़ और जलवायु परिवर्तन

छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन के स्पष्ट संकेत देखे जा सकते हैं:

राज्य सरकार ने इसके लिए “छत्तीसगढ़ जलवायु कार्य योजना (State Action Plan on Climate Change)” तैयार की है, जिसमें ऊर्जा, वन, जल, और कृषि क्षेत्रों के लिए रणनीति बनाई गई है।


सरकारी पहल

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने ठंड से निपटने के लिए जिला प्रशासन को दिशा-निर्देश जारी किए हैं:

छत्तीसगढ़ में नवंबर 2025 की यह ठंड महज़ मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन की कहानी भी है।
जहाँ एक ओर यह किसानों के लिए शुभ संकेत है, वहीं दूसरी ओर आम नागरिकों के लिए सतर्कता का समय भी।

राज्य के उत्तरी और मध्य हिस्सों में तेज़ी से गिरा तापमान आने वाले दिनों में और ठंडक लेकर आएगा।
ऐसे में आवश्यक है कि लोग मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करें, स्वास्थ्य का ध्यान रखें, और साथ ही अपने आस-पास ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें।

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