छत्तीसगढ़ किसान ने बेटी के लिए ₹40,000 सिक्कों में खरीदा स्कूटर पिता का प्यार और मेहनत की अनोखी मिसाल
भारत के गांवों में आज भी मेहनतकश किसानों की कहानियाँ हमें यह याद दिलाती हैं कि सच्चा प्यार और समर्पण धन-दौलत से नहीं, बल्कि भावनाओं से मापा जाता है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक घटना हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य से सामने आई है, जहाँ एक किसान ने अपनी बेटी के लिए ₹40,000 सिक्कों में स्कूटर खरीदा। यह कहानी न केवल चर्चा का विषय बन गई है, बल्कि पिता के प्रेम और संघर्ष की मिसाल भी पेश करती है।
एक किसान ने अपनी बेटी के लिए स्कूटर की खरीदारी करते हुए लगभग ₹40,000 सिक्कों में जमा करके पैसे दिए। The Siasat Daily
घटना का सारांश
छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव के किसान ने अपनी मेहनत की कमाई, जो उन्होंने लंबे समय में छोटे-छोटे सिक्कों के रूप में जमा की थी, उसी से अपनी बेटी को स्कूटर गिफ्ट किया। जब किसान स्कूटर खरीदने के लिए शोरूम पहुँचा, तो उसने ₹1 और ₹2 के सिक्कों से भरी थैलियाँ दुकानदार के सामने रख दीं। यह दृश्य देख वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए।
दुकानदार को पहले लगा कि यह कोई मज़ाक या प्रचार का तरीका होगा, लेकिन जब उन्होंने देखा कि किसान पूरी गंभीरता से अपनी बेटी के लिए स्कूटर खरीदना चाहता है, तो सबकी आंखें नम हो गईं। स्कूटर की डिलीवरी उसी दिन की गई, और यह पल बेटी और पिता दोनों के लिए बेहद खास बन गया।
पिता का समर्पण “बेटी की खुशी सबसे बड़ी पूंजी”
किसान ने बताया कि वह कई महीनों से सिक्के जमा कर रहा था। उसके पास बैंक खाता तो था, लेकिन वह अपनी मेहनत की पाई-पाई अपने घर में एक गुल्लक में रखता था। हर बार जब वह सब्जी, दूध या अनाज बेचने जाता, तो जो सिक्के बचते, उन्हें वह एक छोटे से टिन बॉक्स में डाल देता।
उसने कहा —
“मेरी बेटी कॉलेज जाती है। बारिश में, धूप में साइकिल से जाना पड़ता था। मैंने ठान लिया था कि इस साल उसे स्कूटर दिलाऊंगा, चाहे जैसे भी पैसे जोड़ने पड़ें।”
यह बयान सुनने के बाद सोशल मीडिया पर किसान की यह कहानी वायरल हो गई। लोग इसे “पिता के प्यार की सबसे सच्ची मिसाल” कह रहे हैं।
शोरूम का दृश्य सिक्कों की गिनती में लगा घंटों का समय
रायपुर के एक टू-व्हीलर शोरूम में जब किसान अपनी बेटी के साथ पहुँचा, तो सभी कर्मचारियों के लिए यह एक अनोखा अनुभव था। दुकानदार ने बताया कि उन्होंने पहले कभी इतनी बड़ी राशि सिक्कों में नहीं ली थी।
सिक्कों की गिनती के लिए मशीन मंगवाई गई, और लगभग तीन घंटे तक लगातार सिक्के गिने गए। ₹40,000 पूरे होने के बाद किसान की बेटी की आँखों में खुशी और गर्व के आँसू झलक उठे।
शोरूम के मालिक ने कहा —
“यह हमारे लिए किसी सेलिब्रिटी से भी बड़ी बात थी। जब पिता ने अपनी मेहनत के सिक्कों से बेटी को स्कूटर दिलाया, तो पूरा स्टाफ तालियाँ बजाने लगा।”
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
जैसे ही यह खबर मीडिया और सोशल मीडिया तक पहुँची, वीडियो और तस्वीरें वायरल हो गईं। फेसबुक, इंस्टाग्राम और X (ट्विटर) पर हजारों लोगों ने इस पिता की सराहना की।
कई यूज़र्स ने लिखा —
“आज के समय में जहाँ लोग दिखावे पर पैसा खर्च करते हैं, वहाँ यह किसान हमें सच्चे मूल्यों की याद दिलाता है।”
एक अन्य यूज़र ने कहा —
“यह पिता नहीं, सुपरहीरो है। जिस बेटी को ऐसा पिता मिला है, वह वाकई भाग्यशाली है।”
बेटी की प्रतिक्रिया ‘पापा ने जो किया, वह मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा उपहार है’
बेटी, जो कॉलेज में पढ़ाई कर रही है, ने मीडिया से बात करते हुए कहा —
“पापा रोज़ खेत में मेहनत करते हैं। मुझे कभी नहीं लगा था कि वे इतने पैसे जोड़कर मुझे स्कूटर देंगे। जब उन्होंने कहा कि यह स्कूटर सिक्कों से खरीदा है, तो मैं रो पड़ी।”
उसने आगे कहा कि वह अब इस स्कूटर से रोज़ कॉलेज जाएगी और अपने पिता की मेहनत को कभी नहीं भूलेगी।
यह केवल एक स्कूटर नहीं, बल्कि उस बेटी के लिए पिता की मेहनत, त्याग और स्नेह का प्रतीक बन गया है।
गांव के लोगों की प्रतिक्रिया
गांव के लोगों ने भी इस किसान की प्रशंसा की। गाँव के सरपंच ने कहा —
“आजकल बहुत कम लोग अपनी बेटियों के लिए इतना सोचते हैं। यह घटना पूरे गांव के लिए गर्व की बात है।”
कई लोग किसान के घर पहुंचे और उसे बधाई दी। स्थानीय बैंक शाखा ने भी कहा कि भविष्य में अगर वह सिक्कों को खाते में जमा करना चाहे, तो वे मदद करेंगे।
इस घटना के बाद पूरे गाँव में चर्चा का माहौल बन गया। लोग किसान के घर बधाई देने और स्कूटर देखने के लिए आने लगे। हर किसी की ज़ुबान पर एक ही बात थी — “ऐसे पिता बहुत कम मिलते हैं।”
गाँव के बुजुर्ग लालाराम साहू ने कहा —
“हमारे गाँव का नाम अब पूरे जिले में हो रहा है। उसने जो किया, वो सिर्फ अपनी बेटी के लिए नहीं, बल्कि हर पिता के लिए एक उदाहरण है।”
स्थानीय सरपंच श्रीमती विमला बघेल ने मीडिया से कहा —
“आजकल लोग अक्सर कहते हैं कि बेटी पर खर्च करना बोझ है, लेकिन इस किसान ने दिखा दिया कि बेटियाँ गर्व की बात हैं। उन्होंने सबको सिखाया कि मेहनत और प्यार से सब संभव है।”
गाँव के युवा भी इस कहानी से बेहद प्रेरित हुए। कई छात्रों ने कहा कि वे अब अपने माता-पिता की मेहनत को और अधिक समझने की कोशिश करेंगे।
एक कॉलेज छात्रा पूनम यादव ने बताया —
“जब हमें पता चला कि अंकल ने अपनी बेटी के लिए सिक्कों में स्कूटर खरीदा, तो सब बहुत खुश हुए। हमें लगा जैसे हमारी ही बहन को यह तोहफा मिला हो।”
गाँव के छोटे बच्चों के लिए यह घटना किसी त्योहार जैसी बन गई। उन्होंने स्कूटर पर फूल चढ़ाए, मिठाइयाँ बाँटीं, और पूरे परिवार को बधाई दी।
किसान का घर अब गाँव में “गर्व का घर” कहा जा रहा है। हर कोई इस पिता की मेहनत और लगन की तारीफ करते नहीं थक रहा।
आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उम्मीद का उजाला
इस किसान की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं है। उसके पास कुछ बीघा जमीन है और वह खेती के साथ-साथ मजदूरी भी करता है। महंगाई के इस दौर में ₹40,000 जोड़ना आसान नहीं था। लेकिन उसने धीरे-धीरे अपनी मेहनत से यह राशि पूरी की।
इस किसान की जिंदगी आसान नहीं रही। छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव में रहने वाला यह व्यक्ति रोज़ सुबह खेतों में काम करने जाता है। कभी धूप में तपता है, तो कभी बारिश में भीगता है। खेती से आमदनी बहुत सीमित है — कभी फसल अच्छी होती है, तो कभी पूरी मेहनत पर मौसम पानी फेर देता है।
लेकिन इन सारी कठिनाइयों के बीच भी उसने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। हर दिन थोड़ा-थोड़ा पैसा बचाकर उसने अपनी बेटी की मुस्कान के लिए ₹40,000 सिक्कों में जोड़े। यह कोई साधारण बचत नहीं थी, बल्कि धैर्य, विश्वास और प्रेम की सबसे बड़ी मिसाल थी।
किसान ने कहा —
“कभी-कभी दो वक्त की रोटी का इंतज़ाम मुश्किल होता था, लेकिन मैंने ठान लिया था कि बेटी को स्कूटर दिलाऊंगा। पैसे चाहे जितने छोटे हों, प्यार बड़ा होना चाहिए।”
उसके घर में आलीशान चीज़ें नहीं हैं, लेकिन संतोष और सादगी का खज़ाना है।
वह कहता है कि उसकी सबसे बड़ी पूंजी उसकी बेटी की मुस्कान है।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि आर्थिक तंगी इंसान को कमजोर नहीं बनाती, बल्कि और मजबूत करती है। जब इरादे सच्चे हों, तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं।
आज जब लोग बड़ी-बड़ी सुविधाओं के बावजूद शिकायत करते हैं, तब इस किसान ने दिखा दिया कि कम संसाधनों के बावजूद भी बड़ा सपना पूरा किया जा सकता है।
इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि जब इरादा पक्का हो, तो संसाधनों की कमी भी रुकावट नहीं बनती। किसान ने यह साबित कर दिया कि पिता का दिल सबसे बड़ा खजाना होता है।
प्रेरणा का संदेश
यह घटना हमें कुछ गहरी बातें सिखाती है
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प्यार दिखावे से नहीं, भावना से होता है।
किसान ने बेटी के लिए किसी विलासिता की वस्तु नहीं खरीदी, बल्कि जरूरत और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूटर लिया। -
मेहनत से कमाया हुआ हर पैसा अनमोल होता है।
ये सिक्के भले छोटे हों, लेकिन इनका मूल्य उस पिता की मेहनत और ईमानदारी से जुड़ा है। -
बेटियाँ परिवार की शान होती हैं।
किसान का यह कदम “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान की सच्ची भावना को दर्शाता है। -
गांवों में भी अनगिनत कहानियाँ हैं जो प्रेरणा देती हैं।
यह कहानी दिखाती है कि असली भारत की आत्मा गाँवों में बसती है, जहाँ लोग अब भी रिश्तों को पैसों से ऊपर रखते हैं।
समाज में चर्चा और प्रशंसा
स्थानीय प्रशासन और मीडिया ने भी किसान की इस पहल की सराहना की। कई संगठनों ने किसान को सम्मानित करने की बात कही है।
छत्तीसगढ़ के इस किसान की कहानी सिर्फ उसके गाँव या जिले तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई। जैसे ही खबर सोशल मीडिया और स्थानीय न्यूज़ चैनलों पर आई, हर कोई इस पिता के त्याग और समर्पण की तारीफ करने लगा।
लोगों ने कहा कि यह सिर्फ एक स्कूटर खरीदने की घटना नहीं, बल्कि मानवता और पारिवारिक मूल्यों की पुनः स्थापना का उदाहरण है।
सोशल मीडिया पर छाया पिता का प्रेम
फेसबुक, इंस्टाग्राम और X (ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म पर इस किसान का वीडियो वायरल हो गया। हजारों लोगों ने इसे साझा करते हुए लिखा —
“ऐसे पिता आज के समय के सच्चे हीरो हैं।”
कई यूजर्स ने पोस्ट पर कमेंट किया कि इस किसान ने दिखा दिया कि बेटियाँ परिवार की शान होती हैं, बोझ नहीं।
कुछ ने इसे “रियल इंडिया की रियल स्टोरी” बताया।
एक यूज़र ने लिखा —
“जिस पिता ने सिक्कों में बेटी के लिए स्कूटर खरीदा, उसने करोड़पतियों से भी बड़ी मिसाल पेश की है।”
प्रशासन और संगठनों की सराहना
घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने किसान को सम्मानित करने की घोषणा की।
जिले के अधिकारियों ने कहा कि यह कहानी समाज को सकारात्मक संदेश देती है और “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान की भावना को मजबूत करती है।
स्थानीय महिला समूहों और सामाजिक संस्थाओं ने भी किसान की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह घटना हर उस परिवार के लिए प्रेरणा है जो बेटियों को समान अवसर देने की सोचता है।
शिक्षण संस्थानों में चर्चा
कई स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों ने इस कहानी को उदाहरण के रूप में छात्रों को सुनाया।
कक्षा में इसे “पिता के प्रेम और मेहनत की कहानी” के रूप में बताया गया ताकि युवा पीढ़ी को यह समझाया जा सके कि सच्ची सफलता धन से नहीं, संस्कार और समर्पण से मिलती है।
एक शिक्षक ने कहा —
“आज जब बच्चे अपने माता-पिता की मेहनत को नजरअंदाज करते हैं, यह कहानी उन्हें याद दिलाएगी कि उनके पीछे किसी की रातों की नींद छिपी होती है।”
मीडिया और समाज की सकारात्मक प्रतिक्रिया
स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया ने भी इस खबर को प्रमुखता से दिखाया। न्यूज़ चैनलों ने किसान का इंटरव्यू लिया, जहाँ उसने सादगी से कहा —
“मैंने कुछ बड़ा नहीं किया, बस अपने दिल की बात मानी। बेटी की खुशी मेरी सबसे बड़ी कमाई है।”
यह सादगी भरा जवाब लाखों दिलों को छू गया।
पत्रकारों और संपादकों ने इसे “आज के भारत की सबसे प्रेरणादायक खबर” बताया।
समाज के लिए सीख
इस घटना ने पूरे समाज में एक नई सोच को जन्म दिया —
“अगर एक साधारण किसान अपनी सीमित आय में भी अपनी बेटी के लिए इतना कर सकता है, तो हम सबको भी अपने परिवार और रिश्तों के लिए कुछ करना चाहिए।”
लोगों ने कहा कि यह कहानी बताती है कि प्यार और सम्मान का मूल्य धन से कहीं अधिक है।
इस किसान की सादगी, उसकी मेहनत, और उसकी बेटी के लिए असीम प्रेम ने समाज को एक सच्चा जीवन-संदेश दिया है —
“संसार में सबसे अमीर वह है, जो प्रेम और कर्तव्य में सच्चा है।”
सोशल मीडिया पर एक हैशटैग #CoinScooterStory ट्रेंड कर रहा है। कई स्कूल और कॉलेज इस कहानी को “पिता के प्रेम” पर आधारित प्रेरक उदाहरण के रूप में साझा कर रहे हैं।
पिता के प्रेम की अनमोल कहानी
यह कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती, लेकिन यह वास्तविक जीवन की सच्चाई है।
एक साधारण किसान ने साबित कर दिया कि भावनाओं की ताकत सबसे बड़ी पूंजी होती है। सिक्कों में खरीदा गया यह स्कूटर सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि एक पिता की मेहनत, सपनों और असीम प्रेम का प्रतीक बन गया है।
हर बेटी के लिए उसके पिता की ममता दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होती है। छत्तीसगढ़ के इस किसान की कहानी भी उसी अटूट प्रेम की मिसाल है, जिसने साबित कर दिया कि पिता का दिल किसी खजाने से कम नहीं होता।
यह सिर्फ ₹40,000 सिक्कों में खरीदा गया स्कूटर नहीं था, बल्कि एक पिता के दिल से निकली हुई वो भावना थी, जिसमें मेहनत, समर्पण और त्याग का समंदर समाया हुआ था।
जब किसान अपनी बेटी को स्कूटर की चाबी थमाता है, तो उसकी आँखों में जो चमक है, वह किसी करोड़पति की मुस्कान से भी ज्यादा कीमती लगती है। बेटी की खुशी देखकर वह कहता है —
“अब मेरी मेहनत सफल हुई, मेरी बिटिया अब आराम से कॉलेज जाएगी।”
यह पल इतना भावुक था कि शोरूम में मौजूद हर व्यक्ति की आँखें नम हो गईं।
उस किसान ने अपने कर्मों से यह साबित कर दिया कि पिता का प्रेम किसी दिखावे का नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों से निकला हुआ सच्चा एहसास है।
त्याग, मेहनत और आत्म-संतोष का प्रतीक
आज के समय में जब लोग ब्रांडेड गिफ्ट्स और बड़ी-बड़ी पार्टियों से अपने प्यार को जताते हैं, वहीं इस किसान ने हमें सिखाया कि प्यार का असली मतलब “भेंट” नहीं, “भावना” होती है।
उसके लिए यह स्कूटर केवल एक साधन नहीं, बल्कि बेटी की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था।
उसने यह नहीं सोचा कि लोग क्या कहेंगे, उसने बस यह सोचा कि बेटी को जिंदगी में थोड़ी आसानी मिले।
और यही सोच एक पिता को महान बनाती है।
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