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“कोयला लेवी घोटाला 2025 में ₹86 करोड़ की अवैध वसूली का खुलासा ”✅

कोयला लेवी घोटाला 2025 रायगढ़ में EOW की बड़ी कार्रवाई, पूर्व अफसरों पर आरोप – करोड़ों की अवैध वसूली का खुलासा


परिचय रायगढ़ से उठी एक और बड़ी खबर

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला एक बार फिर सुर्खियों में है — वजह है “कोयला लेवी घोटाला 2025”, जिसमें करोड़ों रुपये की अवैध वसूली और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है।
राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने इस मामले में पूर्व IAS अधिकारी देवेंद्र ददसेना और पूर्व कोयला परिवहन प्रभारी नवनीत तिवारी सहित कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

यह घोटाला केवल पैसों की हेराफेरी नहीं, बल्कि प्रशासनिक तंत्र में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार की कहानी है, जो कोयला परिवहन के नाम पर आम जनता और उद्योगों से जुड़ा है।

कोयला लेवी घोटाला — EOW ने देवेंद्र ददसेना और नवनीत तिवारी के खिलाफ ताजा चार्जशीट दायर की, आरोप कि उन्होंने रायगढ़ में कोयला ट्रांसपोर्टर्स से अवैध वसूली की The Times of India+1


क्या है “कोयला लेवी” और यह कैसे काम करती है?

छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कोयला उद्योग एक बड़ी आर्थिक धुरी है।
यहाँ कोरबा, रायगढ़, सरगुजा और कोरिया जिलों में बड़ी संख्या में कोल माइंस हैं।
इन क्षेत्रों से कोयला ट्रकों के जरिए बाहर भेजा जाता है — और इन्हीं ट्रकों पर “कोयला लेवी” (Coal Transport Levy) वसूली होती है।

यह लेवी मूल रूप से सड़क मरम्मत, सुरक्षा और प्रशासनिक नियंत्रण के लिए ली जाती है, लेकिन धीरे-धीरे यह अवैध वसूली के सिंडिकेट में बदल गई।
इसमें स्थानीय अधिकारी, ठेकेदार, ट्रांसपोर्ट यूनियन और कुछ राजनीतिक दलों के लोग शामिल पाए गए।


घोटाले का खुलासा कैसे हुआ

2024 के आखिर में, रायगढ़ जिले के कुछ ट्रांसपोर्टरों ने शिकायत दर्ज कराई कि

“हर ट्रक पर ₹500 से ₹1000 तक की अतिरिक्त वसूली की जा रही है, जिसे ‘लेवी’ कहा जाता है, लेकिन इसका कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं है।”

EOW ने जांच शुरू की और पाया कि

 यानी रोज़ाना लगभग ₹16 लाख, और साल भर में ₹50 करोड़ से अधिक का अवैध धन इकट्ठा किया गया!


EOW की जांच और कार्रवाई

EOW ने 2025 की शुरुआत में कई स्थानों पर छापेमारी की —
रायगढ़, रायपुर, बिलासपुर और भिलाई में कुल 12 ठिकानों पर जांच की गई।

छापेमारी में मिले दस्तावेजों में

मिली जानकारी के अनुसार, इस रकम का एक हिस्सा वरिष्ठ अधिकारियों और कुछ राजनेताओं तक पहुंचाया जा रहा था।


आरोपी कौन-कौन हैं?

EOW की चार्जशीट में जिन नामों का उल्लेख हुआ, उनमें प्रमुख हैं:

  1. देवेंद्र ददसेना — पूर्व कलेक्टर रायगढ़ (अब सेवानिवृत्त)

    • आरोप: कोयला ट्रांसपोर्ट यूनियन के माध्यम से वसूली की निगरानी।

  2. नवनीत तिवारी — पूर्व परिवहन प्रभारी अधिकारी

    • आरोप: ठेकेदारों से सीधे रिश्वत लेना, रसीदें फर्जी बनाना।

  3. अजय अग्रवाल — स्थानीय ठेकेदार

    • आरोप: नकदी इकट्ठा कर “सिस्टम में बांटना।”

  4. दो ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक — नाम गोपनीय रखा गया है।

इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act, 1988) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।


चार्जशीट में क्या कहा गया है

चार्जशीट में यह साफ लिखा गया है कि

“कोयला परिवहन से संबंधित किसी भी प्रकार की लेवी वसूली का कोई वैधानिक आदेश नहीं था। इसके बावजूद जिले के कुछ अधिकारी और ठेकेदारों ने मिलकर एक समानांतर अवैध व्यवस्था बनाई, जिससे करोड़ों रुपये वसूले गए।”

जांच रिपोर्ट के अनुसार —


राजनीतिक संबंधों की भी जांच

EOW ने यह भी पाया कि इस वसूली तंत्र में कुछ स्थानीय नेताओं का भी अप्रत्यक्ष हाथ था।
हालांकि अभी तक किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को औपचारिक रूप से आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन फोन कॉल रिकॉर्ड और बैंक एंट्री की जांच चल रही है।

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह घोटाला “सत्ता संरक्षण” में पनपा।
वहीं सत्ताधारी दल ने कहा कि “सरकार की पारदर्शिता के कारण ही यह मामला सामने आया।”


जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया

रायगढ़ और आसपास के जिलों में यह मामला जनचर्चा का विषय बन गया है।
स्थानीय व्यापारी संगठनों ने कहा —

“अगर कोयला ट्रांसपोर्ट से सरकार को टैक्स मिलता है, तो अलग से ‘लेवी’ क्यों? यह तो खुली लूट है।”

सोशल मीडिया पर #CoalLevyScam2025 ट्रेंड करने लगा।
लोगों ने सवाल उठाया कि इतने वर्षों तक यह वसूली कैसे चलती रही और किसी अधिकारी को भनक क्यों नहीं लगी?


कानूनी प्रक्रिया और आगे की दिशा

EOW ने सभी प्रमुख आरोपियों के खिलाफ संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उनकी बैंक अकाउंट्स, जमीन, और निवेशों की जांच जारी है।

न्यायालय ने इस केस की अगली सुनवाई के लिए 25 अक्टूबर 2025 की तारीख तय की है।
संभावना है कि इस केस में जल्द ही आरोप पत्र दाखिल कर ट्रायल शुरू हो जाएगा।


घोटाले के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

कोयला लेवी घोटाले का असर सिर्फ सरकारी खजाने पर नहीं पड़ा, बल्कि:

यह घोटाला एक बार फिर यह दिखाता है कि जब भ्रष्टाचार प्रशासन में जगह बना लेता है, तो उसका असर आम जनता से लेकर उद्योग जगत तक पहुंचता है।


EOW की चुनौतियाँ

EOW अधिकारियों का कहना है कि यह केस बहुत जटिल है क्योंकि इसमें:

फिर भी विभाग ने कहा है कि वे इस केस को “मॉडल इंवेस्टिगेशन” के रूप में पूरा करेंगे ताकि भविष्य में ऐसे घोटाले न दोहराए जाएँ।


ऐतिहासिक संदर्भ — कोयला घोटालों की कड़ी

छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका नहीं है जब कोयले से जुड़ा भ्रष्टाचार सामने आया हो।

2025 का यह मामला इन सभी से अलग इसलिए है क्योंकि इसमें स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक नेटवर्क का दुरुपयोग हुआ है, जो इसे और गंभीर बनाता है।


भविष्य के लिए सबक और सुधार

इस घोटाले से कुछ महत्वपूर्ण सबक निकलते हैं

  1. कोयला परिवहन की पूरी प्रक्रिया डिजिटल होनी चाहिए।
    हर ट्रक का ट्रैकिंग नंबर, GPS, और डिजिटल पेमेंट सिस्टम अनिवार्य किया जाए।

  2. प्रशासनिक निरीक्षण की पारदर्शी रिपोर्ट हर महीने प्रकाशित हो।

  3. शिकायत निवारण पोर्टल सक्रिय हो ताकि ट्रांसपोर्टर सीधे शिकायत कर सकें।

  4. EOW और ACB (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) की संयुक्त टीमें जिला स्तर पर काम करें।

इन कदमों से भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सकती है और उद्योगों को राहत मिलेगी।


 एक घोटाले से आगे की उम्मीद

“कोयला लेवी घोटाला 2025” सिर्फ पैसों का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही की परीक्षा है।
जब अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हैं, तो उसकी कीमत पूरी व्यवस्था चुकाती है।

अगर इस बार जांच निष्पक्ष और सख्त रही, तो यह केस आने वाले समय में भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों की मिसाल बन सकता है।
रायगढ़ और छत्तीसगढ़ के लोगों की यही उम्मीद है —

“इस बार सिर्फ जांच नहीं, न्याय भी मिले।”

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