रायगढ़ लिफ्ट हादसा 2025 — पावर प्लांट में दर्दनाक दुर्घटना, 4 मजदूरों की मौत और 6 गंभीर रूप से घायल
घटना की तारीख और स्थान
9 अक्टूबर 2025 की सुबह रायगढ़ जिले के एक निजी थर्मल पावर प्लांट में बड़ा हादसा हुआ।
यह दुर्घटना घरघोड़ा क्षेत्र में स्थित पावर प्लांट में हुई, जहां निर्माण और रखरखाव कार्य के दौरान लिफ्ट अचानक गिर गई। इस हादसे में चार मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी घायल मजदूरों को तत्काल रायगढ़ जिला अस्पताल और रायपुर एम्स रेफर किया गया।
लिफ्ट हादसा — एक पावर प्लांट में लिफ्ट गिरने से 4 मजदूरों की मौत, 6 घायल The Times of India
कैसे हुआ हादसा — तकनीकी खामी या लापरवाही?
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जिस लिफ्ट से मजदूरों को ऊपर भेजा जा रहा था, वह मेंटेनेंस लिफ्ट थी — यानी भारी उपकरणों और स्टाफ को ले जाने के लिए उपयोग की जाती थी।
सुबह लगभग 10:30 बजे, जब कुल दस मजदूर ऊपर के तल पर जा रहे थे, तभी लिफ्ट के स्टील केबल अचानक टूट गए।
तेज झटके के साथ पूरी लिफ्ट नीचे आ गिरी, और देखते ही देखते वहां अफरा-तफरी मच गई।
प्लांट के अन्य कर्मचारियों ने दौड़कर मदद की और पुलिस व एम्बुलेंस को सूचना दी।
मृत और घायल मजदूरों की पहचान
पुलिस द्वारा जारी शुरुआती सूची के अनुसार मृत मजदूरों की पहचान इस प्रकार हुई है:
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रामकुमार यादव (35) — निवासी बरमकेला
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संतोष साय (29) — निवासी पुसौर
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रमेश उईके (32) — निवासी सरिया
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धर्मेंद्र निषाद (30) — निवासी रायगढ़ शहर
घायल मजदूरों में ललित राठिया, सुनील पंडा, गोपाल रजवार, गणेश ठाकुर, बबलू कंवर और देवीलाल साय शामिल हैं। इनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
घटना के तुरंत बाद रायगढ़ कलेक्टर और एसपी मौके पर पहुंचे।
प्रशासन ने पावर प्लांट प्रबंधन से घटना का पूरा ब्यौरा मांगा है और तकनीकी जांच टीम गठित की गई है।
कलेक्टर ने बताया —
“प्रारंभिक जांच में लगता है कि लिफ्ट का केबल पुराना और कमजोर था। नियमित निरीक्षण न होने से यह दुर्घटना हुई है। हम दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।”
पुलिस ने फिलहाल प्लांट के प्रोजेक्ट हेड, साइट इंजीनियर और सुपरवाइजर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
धारा 304A (लापरवाही से मृत्यु) और 287 (यांत्रिक सुरक्षा उल्लंघन) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कामगारों का आरोप — सुरक्षा मानकों की अनदेखी
प्लांट में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि
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लिफ्ट की मेंटेनेंस महीनों से नहीं हुई थी।
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कई बार शिकायत की गई थी कि लिफ्ट “अचानक रुक जाती है” या “झटका देती है”।
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इसके बावजूद इसे हर दिन मजदूरों को ले जाने के लिए उपयोग किया जा रहा था।
एक कर्मचारी ने मीडिया से कहा —
“हमने कई बार कहा कि लिफ्ट की मरम्मत करवा दो, लेकिन प्रबंधन ने कहा कि काम बंद नहीं हो सकता। अब हमारे चार साथी नहीं रहे।”
पावर प्लांट प्रबंधन का बयान
प्लांट प्रबंधन ने हादसे पर शोक जताते हुए कहा —
“यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। कंपनी सभी मृत मजदूरों के परिवारों को ₹10 लाख का मुआवजा और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाएगी।”
साथ ही उन्होंने कहा कि वे स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञों से जांच करवाएंगे और भविष्य में सुरक्षा मानकों को और मजबूत किया जाएगा।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा —
“रायगढ़ में हुए लिफ्ट हादसे की घटना अत्यंत दुखद है। मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ। घायलों के समुचित इलाज और दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।”
राज्य श्रम विभाग ने भी इस हादसे को औद्योगिक सुरक्षा नियमों का गंभीर उल्लंघन बताया है और फैक्ट्री इंस्पेक्टर को जांच रिपोर्ट 48 घंटे में सौंपने के आदेश दिए हैं।
परिजनों का दर्द और विरोध प्रदर्शन
मृत मजदूरों के परिजनों ने रायगढ़ जिला अस्पताल के बाहर धरना दिया और कंपनी पर लापरवाही का आरोप लगाया।
उन्होंने मांग की कि:
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मुआवजा राशि ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹25 लाख की जाए।
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परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।
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लिफ्ट निर्माता और साइट इंजीनियर पर हत्या का केस दर्ज किया जाए।
कलेक्टर ने परिजनों को आश्वासन दिया कि जांच निष्पक्ष होगी और हर पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा।
लिफ्ट हादसों पर विशेषज्ञों की राय
औद्योगिक सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के हादसे आम तौर पर मेंटेनेंस और लोड लिमिट के उल्लंघन के कारण होते हैं।
लिफ्ट केबल्स का नियमित निरीक्षण हर तीन महीने में एक बार होना चाहिए।
प्लांट्स में उपयोग की जाने वाली “गुड्स लिफ्ट” को यदि कर्मचारियों के परिवहन के लिए इस्तेमाल किया जाए, तो यह फैक्ट्री सेफ्टी एक्ट का उल्लंघन है।
“भारत में अधिकतर प्राइवेट प्लांट्स में सुरक्षा प्रशिक्षण को महत्व नहीं दिया जाता। मजदूरों को लिफ्ट के सेफ्टी सिग्नल और अलार्म सिस्टम की जानकारी ही नहीं होती,”
— सुरक्षा अधिकारी (अनाम)।
छत्तीसगढ़ में औद्योगिक हादसों का बढ़ता आंकड़ा
2023 से 2025 के बीच केवल रायगढ़ और कोरबा जिलों में औद्योगिक दुर्घटनाओं की संख्या 37 तक पहुँच चुकी है।
इनमें से अधिकतर हादसे थर्मल प्लांट्स, स्टील फैक्ट्रियों और माइंस में हुए।
राज्य श्रम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार —
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2024 में कुल 18 मौतें औद्योगिक लापरवाही के कारण हुईं।
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इनमें से 9 मामलों में लिफ्ट, क्रेन या केबल फेलियर शामिल था।
विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ को “औद्योगिक सुरक्षा ऑडिट” को अनिवार्य बनाना चाहिए, ताकि हर प्लांट में साल में एक बार सुरक्षा मानकों की जांच हो सके।
सुरक्षा के सबक — भविष्य के लिए क्या जरूरी है
इस हादसे से जो बातें सामने आई हैं, वे भविष्य में सुरक्षा सुधार के लिए बेहद जरूरी हैं:
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हर औद्योगिक इकाई में सेफ्टी इंस्पेक्शन की सार्वजनिक रिपोर्ट जारी की जाए।
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मजदूरों को सुरक्षा प्रशिक्षण देना अनिवार्य किया जाए।
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पुरानी या खराब मशीनरी और लिफ्ट को समय पर बदला जाए।
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ठेका मजदूरों के लिए इंश्योरेंस कवर सुनिश्चित हो।
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फैक्ट्री एक्ट के उल्लंघन पर सख्त दंड तय हो।
अगर ये कदम उठाए जाते हैं, तो आने वाले समय में कई जानें बचाई जा सकती हैं।
दर्द, सबक और उम्मीद
रायगढ़ का यह लिफ्ट हादसा न केवल चार परिवारों के लिए एक त्रासदी है, बल्कि पूरे औद्योगिक जगत के लिए एक चेतावनी भी है।
जब तक मजदूरों की सुरक्षा को सिर्फ “कागजी प्रक्रिया” मानकर चलाया जाएगा, तब तक ऐसे हादसे रुकेंगे नहीं।
हर फैक्ट्री, हर कंपनी, हर इंजीनियर को यह समझना होगा कि
“सुरक्षा सिर्फ नियम नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी है।”
सरकार और समाज दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि रायगढ़ जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में अब कोई मजदूर अपनी रोज़ी के साथ अपनी जान न गंवाए।
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