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रायगढ़ में 9 दिनों की नवरात्रि धूम-धाम और गरबा प्रस्तुति का आनंद

नवरात्रि की धूम-धाम और गरबा प्रस्तुति – रायगढ़ का सांस्कृतिक उत्सव

रायगढ़ जिले में हर साल आश्विन मास में नवरात्रि महापर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का प्रतीक है और इसके साथ ही सांस्कृतिक उत्सव का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। विशेषकर गरबा और डांडिया नृत्य इस पर्व की रौनक बढ़ाते हैं, जो स्थानीय युवाओं और बच्चों के लिए आनंद और मनोरंजन का स्रोत बनते हैं।

नवरात्रि महापर्व के अवसर पर मंदिरों में दिव्य ज्योतियों का आयोजन और गरबा भजन-गीतों के साथ लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। शहर के कई पंडालों में माता दुर्गा की प्रतिमा सजाई गईं और श्रद्धालु देर रात तक पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करते रहे। raigarhtopnews.com


नवरात्रि का धार्मिक महत्व

नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें” और इसे मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के लिए मनाया जाता है।

1. देवी दुर्गा की उपासना

नवरात्रि का मुख्य धार्मिक उद्देश्य देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा करना है। प्रत्येक दिन देवी का अलग रूप पूजा जाता है, जिनके विभिन्न गुण और शक्तियाँ हैं:

  1. शैलपुत्री – प्रकृति और भौतिक शक्ति की देवी

  2. ब्रजेश्वरी / ब्रह्मचारिणी – ज्ञान और संयम की देवी

  3. चंद्रघंटा – साहस और वीरता की देवी

  4. कूष्मांडा – सृष्टि और ऊर्जा की देवी

  5. स्कंदमाता – माता और मातृत्व की देवी

  6. कात्यायनी – शक्ति और युद्ध की देवी

  7. कालरात्रि – नकारात्मकता और बुराई का नाश करने वाली देवी

  8. महागौरी – शुद्धता और सौंदर्य की देवी

  9. सिद्धिदात्री – ज्ञान, समृद्धि और सिद्धि देने वाली देवी

इन नौ रूपों की पूजा करके भक्त बुराई पर अच्छाई की विजय, स्वास्थ्य, समृद्धि और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति की कामना करते हैं।


2. असुरों और बुराई पर विजय का प्रतीक

नवरात्रि के पर्व का मूल उद्देश्य बुराई और अंधकार पर अच्छाई और प्रकाश की विजय को दर्शाना है।


3. आध्यात्मिक शुद्धि और तपस्या


4. सांस्कृतिक और सामाजिक धार्मिक योगदान

यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक भी माना जाता है।


रायगढ़ में गरबा और डांडिया प्रस्तुति

रायगढ़ जिले के विभिन्न पंडालों और मैदानों में गरबा और डांडिया की प्रस्तुतियाँ आयोजित की जाती हैं।

  1. भव्य सजावट

    • रंग-बिरंगे पर्दे, रोशनी और पारंपरिक झूमर से पंडाल सजाए जाते हैं।

    • मंच और दर्शक क्षेत्र को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है।

  2. परंपरागत वेशभूषा

    • पुरुष पारंपरिक धोती-कुर्ता और रंगीन रुमाल के साथ डांडिया करते हैं।

    • महिलाएँ घाघरा-चोली और चमकदार आभूषण पहनकर गरबा करती हैं।

  3. संगीत और भजन

    • पारंपरिक भजन, देवी गीत और गरबा संगीत की धुनों पर सभी भाग लेते हैं।

    • लाइव डीजे और लोक संगीत के संयोजन से उत्सव और भी जीवंत बनता है।

  4. सामूहिक भागीदारी

    • युवा, बुजुर्ग और बच्चे सभी उत्सव में भाग लेते हैं।

    • सामूहिक नृत्य और रिंग में गरबा करते हुए समुदाय में भाईचारा और मेलजोल बढ़ता है।


सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

1. सांस्कृतिक महत्व

  1. लोक कला और नृत्य का संरक्षण

    • नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया नृत्य न केवल पूजा का हिस्सा हैं, बल्कि यह रायगढ़ और पूरे छत्तीसगढ़ की लोक कला और परंपरा को जीवित रखते हैं।

    • पारंपरिक वेशभूषा, गीत और संगीत संस्कृति का प्रतिबिंब हैं।

  2. संगीत और भजन का उत्सव

    • नवरात्रि में स्थानीय भजन, कीर्तन और आधुनिक गीतों का मिश्रण होता है।

    • यह संगीत और कला के माध्यम से लोगों में आनंद और सांस्कृतिक जागरूकता फैलाता है।

  3. स्थानीय शिल्प और कारीगरी का प्रदर्शन

    • नवरात्रि के समय बाजारों में पारंपरिक शिल्प, हस्तकला और सजावटी सामान बिकते हैं।

    • इससे स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिलता है।


2. सामाजिक महत्व

  1. सामूहिक भागीदारी और एकता

    • नवरात्रि में लोग उम्र, जाति या वर्ग की परवाह किए बिना एक साथ जुड़ते हैं।

    • सामूहिक आयोजन और मिलकर गरबा-नृत्य करना सामाजिक एकता को बढ़ाता है।

  2. पारिवारिक और सामाजिक संबंधों का मजबूत होना

    • परिवार और मित्र मंडल मिलकर त्योहार मनाते हैं।

    • यह संबंधों में प्यार और सहयोग को बढ़ावा देता है।

  3. सकारात्मक ऊर्जा और समाज में मेलजोल

    • नवरात्रि के दौरान लोग न सिर्फ धार्मिक भाव से, बल्कि खुशी और आनंद के कारण भी एकत्र होते हैं।

    • यह समाज में सहयोग, मेलजोल और सकारात्मकता को बढ़ाता है।

नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव और सामाजिक मेलजोल का प्रतीक भी है। यह पारंपरिक कलाओं, संगीत, नृत्य और सामूहिक भावना के माध्यम से लोगों को जोड़ता है। रायगढ़ जैसे शहरों में यह पर्व समुदाय की पहचान और सांस्कृतिक समृद्धि को उजागर करता है।


प्रशासन और सुरक्षा

1. सुरक्षा प्रबंध

  1. भीड़ नियंत्रण

    • गरबा और डांडिया जैसे सार्वजनिक आयोजनों में भारी भीड़ जमा होती है।

    • प्रशासन ने विशेष रूप से प्रवेश और निकास मार्ग निर्धारित किए हैं ताकि दुर्घटना या हड़बड़ी की स्थिति से बचा जा सके।

  2. पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती

    • मुख्य आयोजनों के स्थल और आसपास की सड़कों पर पुलिस, आरक्षी और होमगार्ड तैनात रहते हैं।

    • लोगों की सुरक्षा, यातायात का नियंत्रण और किसी भी अप्रिय घटना की तुरंत रोकथाम के लिए निगरानी की जाती है।

  3. सीसीटीवी और तकनीकी निगरानी

    • सार्वजनिक कार्यक्रमों में सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन के माध्यम से निगरानी रखी जाती है।

    • यह सुरक्षा में तेजी और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।


2. सड़क और यातायात व्यवस्था

  1. विशेष मार्ग और डिवर्ट

    • गरबा आयोजन स्थल के आसपास वाहनों के लिए अलग मार्ग निर्धारित किए जाते हैं।

    • यातायात जाम से बचने और लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ सड़कें बंद भी की जाती हैं।

  2. पार्किंग और पैदल मार्ग

    • आयोजनों के लिए व्यवस्थित पार्किंग और पैदल मार्ग सुनिश्चित किए जाते हैं।

    • इससे भीड़ नियंत्रित रहती है और दुर्घटना की संभावना कम होती है।


3. सफाई और स्वास्थ्य

  1. स्वच्छता प्रबंध

    • नगर निगम सफाई दलों के माध्यम से आयोजन स्थल और आसपास के क्षेत्रों की नियमित सफाई करते हैं।

    • विशेष रूप से पब्लिक टॉयलेट और कचरा प्रबंधन का ध्यान रखा जाता है।

  2. आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधा

    • बड़े आयोजन स्थलों पर एंबुलेंस और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र लगाए जाते हैं।

    • भीड़ में किसी घायल या बीमार व्यक्ति के लिए तुरंत मदद उपलब्ध होती है।


4. सामाजिक जागरूकता

रायगढ़ में नवरात्रि के दौरान प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था इस पर्व की सफल और सुरक्षित व्यवस्था सुनिश्चित करती है। सुरक्षा, सफाई और यातायात नियंत्रण के माध्यम से लोग बिना किसी भय के गरबा, डांडिया और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं।

रायगढ़ में नवरात्रि की धूम-धाम और गरबा प्रस्तुति न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह सांस्कृतिक जागरूकता और सामाजिक मेलजोल का भी प्रतीक है। रंग-बिरंगे पंडाल, भक्ति और उत्साह से भरी गरबा प्रस्तुतियाँ, और सामूहिक भागीदारी इसे एक यादगार पर्व बनाती हैं। इस उत्सव के माध्यम से स्थानीय कला, संस्कृति और परंपरा आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रूप से पहुंचती है।

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