खेत में जंगली सुअर के शिकार के लिए बिछाए गए करंट की चपेट में आने से महिला की मौत पुलिस ने तीन आरोपियों को किया गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। ग्रामीण क्षेत्र में जंगली सुअरों के शिकार के लिए बिछाए गए बिजली के तार में करंट लगने से एक महिला की मौत हो गई। यह हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि आखिर कब तक ग्रामीणों की “शिकार परंपरा” और “लापरवाही” निर्दोष जिंदगियों को निगलती रहेगी।
घटना कहाँ और कब हुई

यह दर्दनाक घटना रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ ब्लॉक के एक छोटे से गांव में घटी।
मृतका का नाम सावित्री बाई पटेल (उम्र लगभग 40 वर्ष) बताया गया है, जो खेत में काम करने गई थीं।
घटना 27 अक्टूबर 2025 की सुबह की है, जब सावित्री बाई अपने खेत में सब्ज़ी तोड़ने के लिए निकलीं और वहीं करंट की चपेट में आ गईं।
गांव के लोगों के अनुसार, क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से जंगली सुअरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्या बढ़ गई थी। इसी कारण कुछ किसानों ने रात में फसलों की रखवाली के लिए बिजली के तार बिछा रखे थे।
कैसे हुआ हादसा

प्राथमिक जांच में पता चला है कि गांव के कुछ लोगों ने खेत की मेड़ के चारों ओर 220 वोल्ट का तार जोड़ रखा था, ताकि रात में आने वाले जंगली सुअर करंट लगने से मर जाएँ और फसलें सुरक्षित रहें।
लेकिन उस सुबह सावित्री बाई अपने खेत की ओर चली गईं —
वह जगह अंधेरे और घास से ढकी हुई थी। जैसे ही उन्होंने तार को छुआ, उन्हें तेज़ झटका लगा और वे मौके पर ही गिर पड़ीं।
पास के खेत में काम कर रहे मजदूरों ने जब देखा, तो तुरंत दौड़कर पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
खेत में जंगली सुअर के शिकार के लिए बिछाए गए करंट की चपेट में आने से महिला की मौत; 3 गिरफ्तार। Amar Ujala+1
स्थानीय लोगों की सूचना पर पहुँची पुलिस
घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामवासियों ने पुलिस को सूचना दी।
धरमजयगढ़ थाना पुलिस मौके पर पहुंची और तुरंत बिजली विभाग को लाइन बंद करने का निर्देश दिया।
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा।
तीन आरोपियों की गिरफ्तारी
पुलिस जांच में सामने आया कि यह करंट जानबूझकर लगाया गया था ताकि जंगली सुअर खेत में प्रवेश न कर सकें।
मामले में तीन ग्रामीण —
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भुवन लाल सिदार (उम्र 45 वर्ष)
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रामू प्रधान (उम्र 38 वर्ष)
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भीमा नायक (उम्र 40 वर्ष)
को गिरफ्तार किया गया है।
इन पर आईपीसी की धारा 304 (लापरवाही से हुई मौत) और विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस का बयान
थाना प्रभारी ने मीडिया को बताया —
“गांव में खेतों में करंट बिछाने की पुरानी प्रथा चल रही है, लेकिन यह गैरकानूनी है। इन लोगों ने बिना अनुमति बिजली का तार जोड़ा था, जिससे महिला की मौके पर ही मौत हो गई। तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।”
पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्या कहती है
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मौत का कारण उच्च वोल्टेज करंट लगने से हृदय गति रुक जाना (Cardiac Arrest) बताया गया है।
शरीर पर जलने के स्पष्ट निशान पाए गए हैं, और यह भी पुष्टि हुई है कि महिला की मौत तत्काल हुई थी, यानी बिजली का झटका बेहद तेज़ था।
गांव में दहशत और दुख का माहौल
घटना के बाद पूरे गांव में दहशत और शोक का माहौल है।
सावित्री बाई के पति किसान हैं और उनके दो छोटे बच्चे हैं।
गांव के सरपंच ने कहा —
“हम सब जंगली सुअरों से परेशान थे, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि इस तरह की दुर्घटना हो जाएगी। अब किसी को भी खेत में करंट बिछाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
जंगली सुअरों का बढ़ता आतंक
इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से जंगली सुअरों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
वे रात में खेतों में घुसकर धान, मक्का और सब्जियों की फसलें बर्बाद कर देते हैं।
कई बार किसानों ने वन विभाग से शिकायत की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं मिला।
इसके चलते कुछ किसानों ने अपनी फसल बचाने के लिए
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करंट के तार,
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कांटेदार बाड़,
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और ध्वनि उपकरण
लगाना शुरू कर दिया।
लेकिन प्रशासन ने पहले भी कई बार चेतावनी दी थी कि करंट बिछाना गैरकानूनी और जानलेवा है।
वन विभाग और बिजली विभाग की भूमिका
वन विभाग के अधिकारी ने कहा —
“हम ग्रामीणों को कई बार समझा चुके हैं कि करंट से सुरक्षा नहीं, बल्कि हादसे होते हैं।
जंगली जानवरों के लिए सरकारी योजनाएं हैं, जिनसे फसल बचाई जा सकती है।”
बिजली विभाग ने भी चेतावनी दी कि
“खेतों में बिजली का डायरेक्ट कनेक्शन जोड़ना अपराध है।”
फिर भी कुछ लोग अपनी सुरक्षा के लिए इस तरह के खतरनाक उपाय अपनाते हैं।
ऐसे हादसों की बढ़ती घटनाएँ
छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्यप्रदेश में इस तरह की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।
2024 से 2025 के बीच प्रदेश में करंट से मौत के 230 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से 40% मामले ग्रामीण इलाकों में शिकार या फसल सुरक्षा से जुड़े हैं।
यह स्थिति बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और वैकल्पिक समाधान की गंभीर कमी है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि मनुष्य-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) अब ग्रामीण जीवन की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है।
डॉ. राकेश गुप्ता (वन्यजीव विशेषज्ञ) के अनुसार —
“जब तक हम जंगली जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास सुरक्षित नहीं करेंगे, वे इंसानी बस्तियों की ओर आते रहेंगे।
और इस तरह की घटनाएँ रुकेंगी नहीं।”
वे यह भी कहते हैं कि सरकार को किसानों को
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सोलर फेंसिंग,
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प्राकृतिक बाड़,
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और वॉच टावर सहायता योजना
जैसे उपाय देने चाहिए ताकि वे करंट जैसी खतरनाक तरकीबों का सहारा न लें।
कानूनी दृष्टि से मामला
भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार,
जो व्यक्ति लापरवाही या लापरवाह कृत्य से किसी की मृत्यु का कारण बनता है, उसे
धारा 304A के तहत 2 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
वहीं बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 135 के तहत
बिजली का अनधिकृत उपयोग, चोरी या गैरकानूनी कनेक्शन भी अपराध है, जिसकी सजा 3 साल तक की कैद हो सकती है।
परिवार का दर्द
सावित्री बाई के पति ने रोते हुए बताया —
“वो हर दिन की तरह खेत गई थी। हमें नहीं पता था कि किसी ने करंट छोड़ा है।
हमारे दो छोटे बच्चे हैं, अब उनका क्या होगा?”
परिवार ने सरकार से आर्थिक सहायता और न्याय की मांग की है।
स्थानीय प्रशासन ने मृतक के परिवार को आपदा राहत कोष से मुआवज़ा देने का आश्वासन दिया है।
भविष्य के लिए सबक
यह घटना सिर्फ एक महिला की मौत नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है।
हमें समझना होगा कि फसल बचाने के लिए खतरे की बाड़ लगाना किसी समाधान का रास्ता नहीं है।
सरकार को चाहिए कि
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ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाए,
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वन्यजीव नियंत्रण के सुरक्षित उपाय उपलब्ध कराए,
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और शिकार या करंट बिछाने पर सख्त निगरानी रखे।
रायगढ़ की यह घटना एक त्रासदी और चेतावनी दोनों है।
जंगली सुअरों से फसलों की रक्षा के लिए करंट बिछाना जानलेवा हो सकता है — न केवल जानवरों के लिए, बल्कि इंसानों के लिए भी।
सरकार, प्रशासन और समाज — तीनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।
सावित्री बाई की मौत शायद व्यर्थ न जाए, अगर यह घटना लोगों के मन में जिम्मेदारी और जागरूकता का भाव जगा सके।
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