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रायगढ़ छत्तीसगढ़ नक्सली मुठभेड़ 3 नक्सली मारे गए, सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता

नक्सली मुठभेड़ में 3 मारे गए छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में 29 सितंबर 2025 को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में तीन कुख्यात नक्सली मारे गए। यह मुठभेड़ सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि मारे गए नक्सलियों में से दो पर कुल 80 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह घटना राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ जारी अभियान की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।


मुठभेड़ का विवरण

कांकेर जिले के जंगलों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इस दौरान नक्सलियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। दिनभर रुक-रुक कर चली गोलीबारी के बाद सुरक्षाबलों ने तीन नक्सलियों को मार गिराया। मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार और आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की गई है, जिससे नक्सलियों के नेटवर्क और योजनाओं के बारे में अहम जानकारी मिलने की संभावना है।


मारे गए नक्सलियों की पहचान

मारे गए नक्सलियों में से दो पर कुल 80 लाख रुपये का इनाम घोषित था। ये दोनों नक्सली पिछले तीन दशकों से सक्रिय थे और नक्सल संगठन के शीर्ष कमांडरों में शामिल थे। इनकी मौत से नक्सल संगठन को एक बड़ा झटका लगा है।

  1. श्रवण मड़कम उर्फ विश्वनाथ उर्फ बुधराम पुनेम

    • इनाम: 8 लाख रुपये

    • पद: सीतानदी-रावस समन्वय क्षेत्र समिति का सचिव

    • संगठन: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)

  2. राजेश उर्फ राकेश हेमला

    • इनाम: 5 लाख रुपये

    • पद: नगरी एरिया कमेटी/गोबरा एलओएस कमांडर

    • संगठन: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)

  3. बसंती कुंजाम उर्फ हिडमें

    • इनाम: 1 लाख रुपये

    • पद: मैनपुर-नुआपाड़ा समन्वय/प्रोटेक्शन टीम सदस्य

    • संगठन: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)

यह मुठभेड़ कांकेर और गरियाबंद जिलों की सीमा पर स्थित रावास जंगल में हुई। सुरक्षा बलों ने इस ऑपरेशन के दौरान घटनास्थल से एसएलआर राइफल, 303 राइफल, 12 बोर बंदूक और अन्य नक्सली सामग्री बरामद की। यह कार्रवाई नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है।


सुरक्षाबलों की प्रतिक्रिया

इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों की तत्परता और साहस को सराहा जा रहा है। सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। राज्य सरकार और सुरक्षा बलों ने इस मुठभेड़ को नक्सलवाद के खिलाफ जारी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

1. तत्काल प्रतिक्रिया

  • सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ के बाद तुरंत क्षेत्र को घेर लिया और संभावित अन्य नक्सलियों की तलाश शुरू की।

  • उन्होंने घायल या भागने की कोशिश करने वाले नक्सलियों पर नजर बनाए रखी और इलाके में अतिरिक्त पेट्रोलिंग बढ़ाई।

2. सुरक्षा बलों का बयान

  • पुलिस और सीआरपीएफ ने बताया कि यह ऑपरेशन आम जनता की सुरक्षा और क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया था।

  • उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलियों के इनाम वाले प्रमुख सदस्य मारे जाने से इलाके में नक्सलियों की गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ेगा।

3. बरामदगी और कार्रवाई

  • घटनास्थल से एसएलआर राइफल, 303 राइफल, 12 बोर बंदूक और अन्य नक्सली सामग्री बरामद की गई।

  • सुरक्षाबलों ने आसपास के गांवों में सुरक्षा बढ़ा दी और आम जनता को सतर्क रहने के लिए चेतावनी दी।

4. आगे की योजना

  • सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में लगातार निगरानी और पेट्रोलिंग जारी रखने का निर्णय लिया।

  • उन्होंने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर नक्सली गतिविधियों को रोकने और इलाके में शांति बनाए रखने की योजना बनाई।

✅ राज्य सरकार की प्रमुख प्रतिक्रियाएँ

1. सुरक्षा बलों की सराहना

राज्य सरकार ने पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की संयुक्त टीम की तत्परता और साहस की सराहना की। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों और खराब मौसम के बावजूद सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में कार्यरत रहते हुए नक्सलियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की।

2. नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील

राज्य सरकार ने नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाते हुए मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। सुरक्षा बलों ने यह संदेश दिया कि नक्सलवाद अब समाप्ति के कगार पर है और मुख्यधारा में लौटने का समय आ गया है।

3. मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की पहचान और इनाम राशि

मारे गए तीन माओवादियों की पहचान इस प्रकार हुई है:

  • श्रवण मड़कम उर्फ विश्वनाथ उर्फ बुधराम पुनेम: सीतानदी-रावस समन्वय क्षेत्र समिति का सचिव, ₹8 लाख का इनाम घोषित।

  • राजेश उर्फ राकेश हेमला: नगरी एरिया कमेटी/गोबरा एलओएस कमांडर, ₹5 लाख का इनाम।

  • बसंती कुंजाम उर्फ हिडमें: मैनपुर-नुआपाड़ा समन्वय/प्रोटेक्शन टीम सदस्य, ₹1 लाख का इनाम।

इन माओवादियों पर कुल ₹14 लाख का इनाम घोषित था, और इनकी मुठभेड़ में मारे जाने से नक्सलियों के नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है।  Now 

4. मुठभेड़ स्थल से बरामद सामग्री

घटनास्थल से एक सेल्फ-लोडिंग राइफल (एसएलआर), .303 राइफल, 12 बोर की बंदूक और अन्य नक्सली सामग्री बरामद की गई है। यह बरामदगी नक्सलियों की गतिविधियों पर सुरक्षा बलों की प्रभावी निगरानी और कार्रवाई को दर्शाती है।

राज्य सरकार ने इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की मौत को नक्सलवाद के खिलाफ जारी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण सफलता बताया है। मुख्यमंत्री ने सुरक्षाबलों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार नक्सलवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगी।


नक्सलवाद के खिलाफ जारी संघर्ष

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों द्वारा लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों में कई नक्सलियों को मुठभेड़ों में मार गिराया गया है और भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है। राज्य सरकार और सुरक्षा बलों का कहना है कि नक्सलवाद के खिलाफ यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक राज्य में शांति और सुरक्षा स्थापित नहीं हो जाती।

1. नक्सलवाद की पृष्ठभूमि

  • शुरुआत: नक्सलवाद की जड़ें 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सालपारा आंदोलन तक जाती हैं। यह आंदोलन भूमि सुधार और गरीब किसानों के अधिकारों की मांग के रूप में शुरू हुआ।

  • विकास: समय के साथ यह आंदोलन छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों तक फैल गया।

  • उद्देश्य: माओवादी संगठन मुख्य रूप से आदिवासी और गरीब किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष का दावा करते हैं, लेकिन इसके साथ-साथ हिंसा और हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है।


2. छत्तीसगढ़ में स्थिति

  • छत्तीसगढ़ के बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिले नक्सलवाद के प्रभावित मुख्य क्षेत्र हैं।

  • यहां नक्सलियों ने लंबे समय तक सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ हिंसक गतिविधियाँ की हैं।

  • राज्य सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन “ग्रीन हंट” और अन्य अभियान के तहत नक्सलियों पर कार्रवाई कर रहे हैं।


3. सुरक्षा बलों की कार्रवाई

  • संयुक्त अभियान: पुलिस, सीआरपीएफ, जिला रिजर्व गार्ड (DRG), और अन्य केंद्रीय बलों ने मिलकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नियमित अभियान चलाए हैं।

  • सफल मुठभेड़: हालिया मुठभेड़ में तीन प्रमुख नक्सली मारे गए, जिन पर कुल 14 लाख रुपये का इनाम था।

  • सुरक्षा बढ़ाना: नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए गश्त, नाके और निगरानी बढ़ाई जाती है।

  • बरामदगी: मुठभेड़ में हथियार और अन्य नक्सली सामग्री बरामद होती है, जिससे उनका नेटवर्क कमजोर होता है।


4. राज्य सरकार और पुनर्वास नीति

  • राज्य सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का अवसर देने के लिए पुनर्वास और समाज में एकीकृत करने की योजना लागू की है।

  • इसके तहत हथियार डालकर या आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को शिक्षा, रोजगार और वित्तीय सहायता दी जाती है।

  • यह नीति हिंसा को कम करने और शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।


5. सामाजिक और विकासात्मक पहल

  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी विकास योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।

  • यह पहल स्थानीय युवाओं को नक्सली गतिविधियों से दूर करने और मुख्यधारा में शामिल करने का माध्यम बन रही है।


6. वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ

  • नक्सलियों का नेटवर्क कमजोर हुआ है, लेकिन वे अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

  • सुरक्षा बलों और सरकार के प्रयासों के बावजूद भूगोलिक कठिनाइयाँ, जन समर्थन और जंगल की संरचना नक्सलवाद को चुनौतीपूर्ण बनाए रखती हैं।

  • लगातार गहन निगरानी और विकास परियोजनाएँ ही इस संघर्ष में स्थायी शांति लाने की कुंजी हैं।

कांकेर जिले में हुई यह मुठभेड़ छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ जारी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण सफलता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षाबल नक्सलियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर रहे हैं और राज्य में शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, नक्सलवाद एक जटिल समस्या है, लेकिन इस प्रकार की सफल कार्रवाइयाँ यह दर्शाती हैं कि यदि सुरक्षाबल और स्थानीय समुदाय मिलकर काम करें, तो इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

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