रायगढ़ में युवक की दुकान के बाहर पटाखा जलाने पर मारपीट और गुंडागर्दी – त्योहार की खुशियाँ बनी तनाव का कारण
रायगढ़ शहर के मिनी स्टेडियम परिसर स्थित फुटकर पटाखा बाजार में 22 अक्टूबर 2025 को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। दीपावली पर्व के अवसर पर पटाखों की बिक्री के दौरान एक मामूली विवाद ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि मामला मारपीट, तोड़फोड़ और गुंडागर्दी तक जा पहुँचा।
इस घटना में कई लोग घायल हुए और मौके पर अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और तीन आरोपियों को हिरासत में लिया।
त्योहार के इस खुशियों भरे माहौल में हुई यह घटना रायगढ़ शहर में सामाजिक अनुशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
युवक की दुकान के बाहर पटाखा जलाने पर मारपीट एवं गुंडागर्दी — मिनी स्टेडियम परिसर के फुटकर पटाखा बाजार में घटना। cgsandesh.com
घटना का विवरण (Incident Details)
यह पूरी घटना मिनी स्टेडियम परिसर, रायगढ़ की है, जहाँ दीपावली को देखते हुए प्रशासन द्वारा अस्थायी पटाखा बाजार लगाया गया था।
यहाँ सैकड़ों दुकानों में पटाखों की बिक्री हो रही थी, और उसी दौरान शाम लगभग 7 बजे अचानक विवाद छिड़ गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक युवक ने एक पटाखा दुकान के बाहर खड़े होकर पटाखा जलाया, जिससे दुकान के आसपास रखे सामान में हल्की चिंगारी जा लगी।
दुकानदार ने युवक को ऐसा न करने की चेतावनी दी, लेकिन युवक और उसके साथ आए कुछ लोगों ने अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते हुए मारपीट शुरू कर दी।
इस दौरान दुकान के टेबल, कुर्सी और पटाखे का कुछ सामान क्षतिग्रस्त हो गया। घटना के बाद आसपास के दुकानदारों में दहशत फैल गई और बाजार में भगदड़ मच गई।
दुकानदार का बयान (Shopkeeper’s Statement)
पीड़ित दुकानदार सुरेश अग्रवाल (आयु 45 वर्ष) ने बताया
“हम लोग शांतिपूर्वक पटाखे बेच रहे थे। तभी कुछ युवक आए और दुकान के सामने पटाखा जलाने लगे। जब उन्हें मना किया तो उन्होंने गाली-गलौज की और एक ने थप्पड़ मार दिया। उसके बाद तोड़फोड़ करने लगे।”
सुरेश अग्रवाल ने यह भी कहा कि उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन किया, लेकिन तब तक आरोपी भाग चुके थे। बाद में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तीन लोगों की पहचान की और उन्हें हिरासत में लिया।
पुलिस की कार्रवाई (Police Action)
घटना की सूचना मिलते ही कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुँची।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
थाना प्रभारी ने बताया
“तीन युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लील गाली-गलौज), 323 (मारपीट), 506 (धमकी) और 427 (संपत्ति नुकसान) के तहत अपराध दर्ज किया गया है।”
पुलिस ने बताया कि अगर जांच में यह साबित होता है कि घटना जानबूझकर की गई थी, तो आरोपियों पर सख्त धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।
त्योहार की उमंग में असंयम सामाजिक चेतना की कमी
दीपावली जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व का उद्देश्य खुशी, रोशनी और सौहार्द फैलाना है, लेकिन इस तरह की घटनाएँ समाज में बढ़ती असंवेदनशीलता और असंयम का उदाहरण हैं।
त्योहारों के समय कई बार लोग सुरक्षा और शालीनता के नियम भूल जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि
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सार्वजनिक स्थानों पर पटाखा फोड़ना न केवल दूसरों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि खतरनाक भी है।
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ऐसे स्थानों पर आग लगने, चोट लगने या विस्फोट जैसी घटनाएँ हो सकती हैं।
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दुकान या पेट्रोल पंप जैसे क्षेत्रों में पटाखा जलाना कानूनी रूप से वर्जित है।
कानूनी प्रावधान पटाखा जलाने से जुड़ी धाराएँ
भारतीय कानून के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक स्थल या व्यवसायिक परिसर के पास पटाखा जलाना दंडनीय अपराध है यदि उससे जनसुरक्षा को खतरा हो।
संबंधित धाराएँ
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धारा 268 IPC – सार्वजनिक उपद्रव करना।
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धारा 285 IPC – आग या विस्फोटक पदार्थ के उपयोग में लापरवाही।
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धारा 336 IPC – दूसरों की जान को खतरे में डालने वाली हरकत।
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धारा 427 IPC – संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।
इन धाराओं के तहत अभियुक्त को छह माह से लेकर दो वर्ष तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
प्रशासन की भूमिका और सुरक्षा व्यवस्था
रायगढ़ नगर निगम और जिला प्रशासन ने दीपावली सीजन में शहर के अलग-अलग इलाकों में अस्थायी पटाखा बाजार स्थापित किए हैं।
इन बाजारों में प्रशासन की ओर से कुछ नियम तय किए गए थे
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दुकान के बाहर पटाखा जलाना सख्त वर्जित रहेगा।
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अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) हर दुकान में अनिवार्य होगा।
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हर बाजार में पुलिस गश्त और निगरानी टीम तैनात रहेगी।
लेकिन इस घटना से यह साफ है कि स्थानीय स्तर पर निगरानी ढीली थी, तभी इस तरह की गुंडागर्दी संभव हो पाई।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद आसपास के दुकानदारों और ग्राहकों ने गुस्सा जाहिर किया।
एक दुकानदार ने कहा:
“हम हर साल प्रशासन से कहते हैं कि यहाँ सुरक्षा गार्ड या पुलिस की टीम तैनात रहे, लेकिन वे सिर्फ पहले दिन आते हैं और फिर कोई ध्यान नहीं देता।”
एक महिला ग्राहक ने बताया
“बच्चे पटाखा देखने आए थे, अचानक झगड़ा और तोड़फोड़ शुरू हो गई। सब भागने लगे। बहुत डरावना माहौल था।”
त्योहारों में बढ़ते ऐसे विवाद एक गंभीर सामाजिक संकेत
रायगढ़ जैसे शांत और सांस्कृतिक शहर में हाल के वर्षों में त्योहारों के दौरान झगड़ों और मारपीट की घटनाएँ बढ़ी हैं।
कभी जुलूस में गाना बजाने को लेकर विवाद, तो कभी पटाखा या ट्रैफिक को लेकर झगड़े — ये घटनाएँ समाज में बढ़ती असहिष्णुता का प्रतीक हैं।
सामाजिक विश्लेषकों का कहना है कि
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युवाओं में क्रोध नियंत्रण की कमी और शराब सेवन की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
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त्योहारों के मौके पर भी सामाजिक शालीनता और अनुशासन का अभाव दिखता है।
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परिवारों और विद्यालयों को बच्चों में संवेदनशीलता और संयम का संस्कार देना चाहिए।
रायगढ़ में हाल के वर्षों में ऐसे घटनाक्रम
| वर्ष | प्रमुख घटना | परिणाम |
|---|---|---|
| 2023 | गणेश विसर्जन के दौरान झगड़ा | 5 गिरफ्तार |
| 2024 | पटाखा गोदाम में विस्फोट | 2 की मौत |
| 2025 | मिनी स्टेडियम बाजार में मारपीट | 3 हिरासत में |
इन घटनाओं से साफ झलकता है कि त्योहारों के दौरान प्रशासनिक सतर्कता और जनजागरूकता दोनों की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों की राय
सामाजिक व्यवहार विशेषज्ञ डॉ. प्रज्ञा सिंह कहती हैं:
“त्योहारों का समय सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का होता है। लेकिन जब व्यक्ति अनुशासन खो देता है, तो वही खुशी हिंसा में बदल जाती है। ऐसे मामलों में सख्त कानून लागू करना और समाज में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना जरूरी है।”
पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार:
“अक्सर ऐसे विवाद छोटे कारणों से शुरू होकर बड़े रूप ले लेते हैं। यदि लोग तुरंत पुलिस को सूचना दें और खुद नियंत्रण रखें, तो नुकसान कम हो सकता है।”
त्योहार की रौनक को बचाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
पटाखे खुशी का प्रतीक हैं, लेकिन उनका गलत उपयोग हादसों और विवादों को जन्म देता है।
इस घटना ने हमें याद दिलाया कि उत्सव का अर्थ अराजकता नहीं, अनुशासन और सौहार्द है।
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सार्वजनिक स्थानों पर पटाखे न जलाएँ।
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दूसरों की सुरक्षा और संपत्ति का सम्मान करें।
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विवाद की स्थिति में खुद हिंसा न करें, बल्कि पुलिस या प्रशासन को सूचित करें।
समापन विचार
रायगढ़ की यह घटना बताती है कि खुशी के पलों में भी अगर हम संयम न रखें तो पलभर में त्योहार त्रासदी बन सकता है।
यह न केवल एक दुकानदार के साथ अन्याय था, बल्कि पूरे समाज की नैतिकता पर एक धब्बा भी है।
प्रशासन को चाहिए कि
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पटाखा बाजारों में स्थायी निगरानी दल नियुक्त करे।
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CCTV निगरानी और लाइटिंग व्यवस्था बढ़ाए।
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त्योहारों के दौरान पुलिस की गश्त दोगुनी करे।
साथ ही समाज को भी यह समझना होगा कि त्योहार मनाना तभी सार्थक है जब उसमें मर्यादा और संवेदना हो।
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