नवरात्रि और दशहरे से जुड़ी झटपट खबरें – पूरी जानकारी
भारत में जब त्योहारों की बात आती है, तो नवरात्रि और दशहरा का नाम सबसे प्रमुख रूप से लिया जाता है। नवरात्रि माता दुर्गा की आराधना का पर्व है, जबकि दशहरा अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। हर साल शारदीय नवरात्रि से लेकर विजयादशमी तक पूरा देश उत्साह और भक्ति से सराबोर रहता है।
इस बार (2025) भी पूरे भारत में नवरात्रि और दशहरा को लेकर तरह-तरह की झटपट खबरें सामने आई हैं। आइए विस्तार से जानें।
नवरात्रि / दशहरे से जुड़ी झटपट खबरें — जैसे जवारा विसर्जन, शस्त्र पूजा की परंपरा, रावण दहन आदि गतिविधियाँ। Public
नवरात्रि का महत्व और धार्मिक पहलू
नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें”। इस दौरान भक्तगण माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं।
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पहले दिन शैलपुत्री,
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दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी,
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तीसरे दिन चंद्रघंटा,
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चौथे दिन कूष्मांडा,
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पांचवे दिन स्कंदमाता,
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छठे दिन कात्यायनी,
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सातवें दिन कालरात्रि,
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आठवें दिन महागौरी,
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और नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है।
नवरात्रि उपवास, व्रत, जागरण और भक्ति गीतों का पर्व है, जिसमें आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
दशहरे का महत्व
नवरात्रि के बाद दशमी तिथि को विजयादशमी या दशहरा मनाया जाता है।
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यह दिन भगवान राम द्वारा रावण के वध की स्मृति में मनाया जाता है।
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इसे शक्ति की देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर पर विजय दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
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इस दिन रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है।
झटपट खबरें – 2025 की खास झलकियाँ
1. रायगढ़ में जवारा विसर्जन और शस्त्र पूजा
रायगढ़ जिले में नवरात्रि के अवसर पर जवारा विसर्जन और शस्त्र पूजा की परंपरा धूमधाम से निभाई गई। सैकड़ों श्रद्धालु माता की झांकी और कलश यात्रा के साथ शामिल हुए।
2. भव्य दुर्गा पंडाल और थीम आधारित सजावट
देश के कई बड़े शहरों जैसे कोलकाता, दिल्ली और रायपुर में इस बार पंडालों को विशेष थीम पर सजाया गया है।
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कोलकाता में “राम मंदिर” की तर्ज पर पंडाल।
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दिल्ली में “वाटर कंजर्वेशन” थीम पर सजावट।
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रायगढ़ और बिलासपुर में स्थानीय लोक संस्कृति को दर्शाते पंडाल।
3. गरबा और डांडिया नाइट्स की धूम
गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा और डांडिया नाइट्स की धूम रही। रायगढ़ और आसपास के इलाकों में भी युवाओं ने पारंपरिक परिधानों में डांडिया खेला।
4. रावण दहन की तैयारी
देशभर में दशहरा मैदानों पर रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के विशाल पुतले बनाए जा रहे हैं। रायगढ़ में इस बार 60 फीट ऊंचे रावण का पुतला तैयार किया गया है।
5. सुरक्षा और प्रशासन की सतर्कता
त्योहारों को देखते हुए प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की है। ट्रैफिक व्यवस्था पर भी खास ध्यान दिया गया है।
धार्मिक आस्था और आधुनिकता का संगम
नवरात्रि और दशहरा जैसे पर्व सदियों से धार्मिक आस्था और परंपरा से जुड़े हुए हैं। भक्तजन माता दुर्गा की उपासना, व्रत, कन्या पूजन और रावण दहन के जरिए अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं।
लेकिन बदलते समय में इन पर्वों ने आधुनिकता का भी रंग अपना लिया है —
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रावण दहन में डिजिटल आतिशबाज़ी और लेज़र शो का इस्तेमाल किया जाने लगा है।
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सोशल मीडिया और लाइव स्ट्रीमिंग के ज़रिए लोग घर बैठे ही पूजा और रावण दहन देख पा रहे हैं।
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पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कई जगहों पर ईको-फ्रेंडली पंडाल और हरित रावण दहन की पहल हो रही है।
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युवा पीढ़ी पारंपरिक गरबा और रामलीला को फ्यूजन संगीत और नए मंचन तरीकों से जोड़ रही है।
इस तरह नवरात्रि और दशहरा न केवल धार्मिक आस्था के प्रतीक बने हुए हैं, बल्कि आधुनिक तकनीक, पर्यावरण जागरूकता और सामाजिक बदलावों का भी संगम प्रस्तुत कर रहे हैं।
आजकल नवरात्रि और दशहरे के आयोजन में धार्मिक आस्था के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल हो रहा है।
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सोशल मीडिया पर लाइव पूजा और पंडाल दर्शन।
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LED लाइटिंग और 3D सजावट।
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ऑनलाइन प्रसाद और ई-आरती की व्यवस्था।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
1. सामाजिक प्रभाव
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नवरात्रि और दशहरा जैसे पर्व सामाजिक एकजुटता का प्रतीक हैं।
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इस दौरान गाँव-गाँव और शहर-शहर में मेले, झांकियाँ और सामूहिक पूजन से लोग एक मंच पर आते हैं।
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कन्या भोज, भंडारा और रावण दहन जैसे आयोजन सामुदायिक सहभागिता को मजबूत करते हैं।
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विभिन्न जाति, वर्ग और धर्म के लोग भी इसमें शामिल होकर सामाजिक सौहार्द का संदेश देते हैं।
2. आर्थिक प्रभाव
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त्योहारों के दौरान बाजारों में खरीदारी की बाढ़ आ जाती है। कपड़े, ज्वेलरी, वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री कई गुना बढ़ जाती है।
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2025 में FMCG और ऑटोमोबाइल सेक्टर ने नवरात्रि पर रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की।
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मेले और पंडालों से छोटे दुकानदारों और स्थानीय कलाकारों को आय का बड़ा अवसर मिलता है।
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पर्यटन भी बढ़ता है — धार्मिक स्थलों और मेलों में भीड़ उमड़ने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलता है।
त्योहारों का असर केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी देखने को मिलता है।
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आर्थिक प्रभाव – नवरात्रि और दशहरे में बाजारों में खरीदारों की भीड़ बढ़ जाती है। कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, आभूषण और सजावटी सामान की बिक्री में भारी उछाल आता है।
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सामाजिक एकता – गरबा, झांकी और रावण दहन जैसे आयोजनों में सभी वर्ग के लोग शामिल होकर एकता का संदेश देते हैं।
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सांस्कृतिक प्रभाव – लोकनृत्य, संगीत और रामलीला जैसी परंपराएँ पीढ़ी दर पीढ़ी चलती हैं।
पर्यावरणीय पहलू
हालांकि त्योहार खुशी का प्रतीक हैं, लेकिन इससे पर्यावरण पर भी असर पड़ता है।
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पंडालों में थर्मोकोल और प्लास्टिक का उपयोग।
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रावण दहन से वायु प्रदूषण।
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विसर्जन से जल प्रदूषण।
इन चुनौतियों को देखते हुए इस बार कई जगहों पर इको-फ्रेंडली मूर्तियाँ और ग्रीन क्रैकर्स का प्रयोग किया गया है।
विशेषज्ञों की राय
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धार्मिक विद्वान मानते हैं कि नवरात्रि का सही अर्थ आत्मसंयम और भक्ति है।
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सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि त्योहारों का आनंद तभी है जब इन्हें पर्यावरण अनुकूल तरीके से मनाया जाए।
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आर्थिक विशेषज्ञ बताते हैं कि नवरात्रि और दशहरा त्योहारी सीजन की शुरुआत है, जिससे बाजार को नई ऊर्जा मिलती है।
नवरात्रि और दशहरा भारतीय संस्कृति की पहचान हैं। ये केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि सामाजिक एकता, सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक गतिविधियों का प्रतीक भी हैं। इस बार भी पूरे देश में इन त्योहारों ने लोगों को भक्ति, आनंद और उल्लास से भर दिया।
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