Site icon City Times Raigarh

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का छत्तीसगढ़(2025) दौरा जनजातीय सशक्तिकरण, संस्कृति और विकास का नया अध्याय


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का छत्तीसगढ़ (2025)दौरा जनजातीय गौरव और सांस्कृतिक पहचान का ऐतिहासिक उत्सव

20 नवंबर 2025 का दिन छत्तीसगढ़ के लिए सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि अपने आप में एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अंबिकापुर दौरा, खासतौर पर जनजातीय गौरव दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति, पूरे सरगुजा अंचल के लिए सम्मान, गर्व और उत्साह का विषय बन गया है। यह दौरा आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत, उनके संघर्ष, और उनके गौरव को राष्ट्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद द्वारा सम्मानित करने का प्रतीक है।


दौरे का मुख्य उद्देश्य — जनजातीय गौरव दिवस का उत्सव

राष्ट्रपति मुर्मू अंबिकापुर के पीजी कॉलेज मैदान में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के समापन कार्यक्रम में शामिल हो रही हैं। यह दिन भगवान बिरसा मुंडा जैसे महान जनजातीय नायक, उनके स्वतंत्रता संघर्ष और उनके योगदान को याद करने और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ में वर्ष 2025 का सबसे बड़ा जनजातीय सांस्कृतिक आयोजन माना जा रहा है। इसमें आदिवासी कला, संस्कृति, नृत्य, पारंपरिक चिकित्सा, जनजातीय जीवनशैली और धार्मिक परंपराओं को प्रदर्शित करने वाले स्टॉल और कार्यक्रम लगाए गए हैं। इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ उत्सव मनाना ही नहीं है, बल्कि आदिवासी इतिहास को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।


दो महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत

राष्ट्रपति मुर्मू इस दौरे के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार की दो बड़ी योजनाओं का शुभारंभ भी करेंगी। ये योजनाएँ सीधे आदिवासी समुदायों और ग्रामीण इलाकों से जुड़ी हैं।

1. मुख्यमंत्री वैद्यराज सम्मान निधि योजना

इस योजना के तहत परंपरागत वैद्यों — जो जंगलों में मिलने वाली जड़ी-बूटियों से इलाज करते हैं — को वार्षिक सम्मान राशि दी जाएगी। यह पहल ना केवल उपचार के पुराने, प्राकृतिक तरीकों को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि आदिवासी समाज के भीतर मौजूद पारंपरिक ज्ञान को भी संरक्षित करेगी।

अक्सर देखा गया है कि आधुनिक चिकित्सा के फैलाव के कारण पारंपरिक वैद्यकला पृष्ठभूमि में चली जाती है। यह योजना इस प्राचीन ज्ञान को पुनर्जीवित करने का बड़ा अवसर बन सकती है।

2. जनजातीय ग्राम अखरा विकास योजना

अखरा आदिवासी संस्कृति का केंद्र होता है — पूजा, अनुष्ठान, सामुदायिक बैठकें, नृत्य, उत्सव सब इसी के इर्द-गिर्द होते हैं। इस योजना के अंतर्गत पारंपरिक देवस्थलों और अखरों के संरक्षण, विस्तार और सौंदर्यीकरण के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।

इससे न सिर्फ संस्कृति को संरक्षण मिलेगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।


अंबिकापुर में तैयारियों की गहमागहमी

राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए अंबिकापुर शहर में सुरक्षा, यातायात और प्रबंधन के बड़े-बड़े इंतज़ाम किए गए हैं।

स्थानीय प्रशासन, पुलिस, नगर निगम और संस्कृति विभाग इस दौरे को ऐतिहासिक और आकर्षक बनाने में पूरी तरह जुटे हुए हैं।


सांस्कृतिक महत्व — आदिवासी गौरव का सम्मान

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वयं एक आदिवासी पृष्ठभूमि से आती हैं। उनका सरगुजा जैसे आदिवासी बहुल इलाके में आना अपने आप में एक अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायी घटना है।

1. आदिवासी पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

मुर्मू का यह दौरा संदेश देता है कि देश की जनजातीय आबादी सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत के वर्तमान और भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।

2. युवाओं में नई प्रेरणा

जब कोई आदिवासी महिला देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचकर अपने ही समाज के बीच आती है, तो युवाओं और विशेषकर आदिवासी बेटियों के लिए प्रेरणा का एक जीवंत उदाहरण बन जाती है।

3. सांस्कृतिक संरक्षण को नई दिशा

इस कार्यक्रम के दौरान आदिवासी नृत्य, गोंड और बैगा कला, पेंटिंग, जड़ी-बूटी उपचार, जनजातीय संगीत और परंपराओं का समृद्ध प्रदर्शन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ को संस्कृति संरक्षण का मॉडल बनाने की दिशा में भी एक कदम है।

IBC24 News


राजनीतिक महत्व और भविष्य के संकेत

हालाँकि राष्ट्रपति का पद राजनीतिक गतिविधियों से परे माना जाता है, लेकिन ऐसे राज्य दौरों का राजनीतिक महत्व भी होता है।


स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रियाएँ

अंबिकापुर और सरगुजा के आदिवासी समुदाय राष्ट्रपति के स्वागत के लिए बेहद उत्साहित हैं। गाँव-गाँव में तैयारी और उत्साह दिखाई दे रहा है।

यह उत्साह सिर्फ कार्यक्रम तक सीमित नहीं है — यह आदिवासी समाज के आत्म-गौरव का उभार है।


संभावित चुनौतियाँ

हालांकि कार्यक्रम बेहद सकारात्मक है, लेकिन योजनाओं को सफल बनाने के लिए कुछ चुनौतियों पर काम करना होगा।

इन चुनौतियों पर प्रभावी काम होने पर ये योजनाएँ राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल बन सकती हैं।


भविष्य की संभावनाएँ

यह दौरा एक नई दिशा की शुरुआत हो सकता है—

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का छत्तीसगढ़ दौरा राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तीनों पहलुओं से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह दौरा आदिवासी समुदायों के लिए सम्मान, प्रेरणा और विकास की नई संभावनाएँ लेकर आया है।


राष्ट्रपति के भाषण का व्यापक असर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का व्याख्यान केवल औपचारिक संबोधन नहीं था। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्ट और संवेदनशील संदेश दिए:

1. जनजातीय समाज को मुख्यधारा से जोड़ने पर जोर

उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज देश की सांस्कृतिक धरोहर है और उनके ज्ञान, परंपराओं और प्रकृति संरक्षण की परंपरा को देश को समझने और अपनाने की आवश्यकता है।

2. शिक्षा और विशेषकर छात्रावास व्यवस्था में सुधार

राष्ट्रपति ने आदिवासी छात्रावासों, आश्रम शालाओं और ग्रामीण स्कूलों में सुविधाओं की कमी की बात पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अधिकार नहीं, भविष्य की आवश्यकता है।”

3. महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण

उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका का विशेष उदाहरण देते हुए कहा कि महिलाएँ जल संरक्षण, कृषि, लघु वनोपज और स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी हैं।
उनके संदेश ने स्थानीय समाज में नई ऊर्जा भरी।


राज्य सरकार और राष्ट्रपति के बीच महत्वपूर्ण बैठकें

रायपुर में राष्ट्रपति ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकर छत्तीसगढ़ की विकास परियोजनाओं का विस्तृत खाका समझा।

चर्चा के प्रमुख बिंदु

इन चर्चाओं से साफ दिखा कि केंद्र और राज्य दोनों जनजातीय जिलों को प्राथमिकता में रखते हैं।


रायगढ़ में जनता की प्रतिक्रिया

रायगढ़ में राष्ट्रपति मुर्मू के आगमन को ऐतिहासिक माना गया। भीड़ में विशेष रूप से महिलाएँ, छात्राएँ, और ग्रामीण समुदाय बेहद उत्साहित दिखाई दिए।

लोगों ने क्या कहा?


संस्कृति का समृद्ध प्रदर्शन

इस दौरे के कई कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति पूरी तरह चमकी।

राष्ट्रपति ने स्वयं इन प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और कई स्थानीय कलाकारों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया।


राष्ट्रपति की यात्रा से राजनीतिक संकेत

राष्ट्रपति का दौरा राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषण

Exit mobile version