छत्तीसगढ़(2025) में बढ़ी ठंड, मौसम विभाग ने जारी किया येलो अलर्ट

नवंबर का महीना शुरू होते ही छत्तीसगढ़ में ठंड का असर तेज़ी से बढ़ने लगा है। प्रदेश के कई हिस्सों में रात के तापमान में अचानक गिरावट दर्ज की गई है। इसी को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने छत्तीसगढ़ के उत्तरी और मध्य जिलों के लिए शीतलहर और येलो अलर्ट जारी किया है।
यह अलर्ट नागरिकों को आगाह करता है कि अगले कुछ दिनों तक तापमान में गिरावट जारी रहेगी और सुबह-शाम के समय विशेष सावधानी बरतनी होगी।
IMD की रिपोर्ट क्या कहती है?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) रायपुर केंद्र की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार,
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राज्य के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान 10°C से नीचे दर्ज किया जा सकता है।
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उत्तर छत्तीसगढ़ — कोरिया, सरगुजा, बलरामपुर, जशपुर और रायगढ़ जिलों में सबसे ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना है।
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वहीं बिलासपुर, रायपुर, बेमेतरा, कवर्धा जैसे जिलों में भी तापमान में 2–3 डिग्री की गिरावट संभावित है।
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आने वाले 4–5 दिनों तक सुबह के समय कोहरा और शीतलहर की स्थिति बने रहने के आसार हैं।
IMD ने विशेष रूप से बुजुर्गों, बच्चों और बीमार व्यक्तियों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
क्या है ‘येलो अलर्ट’?
IMD मौसम की गंभीरता के आधार पर चार रंगों के अलर्ट जारी करता है —
ग्रीन (Green): कोई खतरा नहीं
येलो (Yellow): सावधानी आवश्यक
ऑरेंज (Orange): सतर्कता और तैयारी ज़रूरी
रेड (Red): आपात स्थिति
वर्तमान में येलो अलर्ट जारी किया गया है, जिसका मतलब है —
“मौसम में बदलाव होने वाला है, ठंड की स्थिति बढ़ सकती है, नागरिक सतर्क रहें और आवश्यक सावधानी बरतें।”
किन जिलों में पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
मौसम विभाग के अनुसार, छत्तीसगढ़ के उत्तरी जिलों में शीतलहर का सबसे अधिक असर दिखेगा।
| क्रमांक | जिला | अनुमानित न्यूनतम तापमान (°C) | स्थिति |
|---|---|---|---|
| 1 | कोरिया | 8°C | अत्यधिक ठंड |
| 2 | सरगुजा | 9°C | ठंडी हवाओं के साथ शीतलहर |
| 3 | जशपुर | 9°C | घना कोहरा संभव |
| 4 | बलरामपुर | 10°C | हल्की शीतलहर |
| 5 | रायगढ़ | 11°C | सुबह-शाम ठंड बढ़ेगी |
| 6 | बिलासपुर | 12°C | तापमान में गिरावट |
| 7 | रायपुर | 13°C | सुबह ठंड, दोपहर हल्की धूप |
| 8 | दुर्ग | 14°C | ठंड का मध्यम असर |
कोहरे का भी अलर्ट
IMD ने यह भी चेतावनी दी है कि सुबह के समय कई जिलों में घना कोहरा छा सकता है, जिससे दृश्यता कम होकर 100–200 मीटर तक रह सकती है।
इसका असर विशेष रूप से हाईवे और रेल यातायात पर पड़ेगा।
वाहन चालकों को सलाह दी गई है कि:
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धुंध में फॉग लाइट का उपयोग करें।
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वाहन की गति धीमी रखें।
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ओवरटेक न करें।
स्वास्थ्य पर ठंड का प्रभाव
अचानक तापमान गिरने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
डॉक्टरों के अनुसार,
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सर्दी-जुकाम, खांसी और गले में दर्द की शिकायतें बढ़ रही हैं।
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बुजुर्गों में हाई ब्लड प्रेशर और जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है।
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अस्थमा या हृदय रोग से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
डॉक्टरों की सलाह:
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सुबह जल्दी बाहर न निकलें।
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बच्चों और बुजुर्गों को गर्म कपड़ों में रखें।
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गुनगुना पानी पिएं और ठंडी चीज़ों से बचें।
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रात में सोते समय खिड़कियाँ बंद रखें ताकि ठंडी हवा अंदर न आए।
सर्दी से निपटने के उपाय
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाए हैं:
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रैन बसेरों की संख्या बढ़ाई जा रही है ताकि बेघर लोग सुरक्षित रह सकें।
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नगर निगम ने सड़क किनारे अलाव की व्यवस्था शुरू की है।
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स्कूलों को सुबह की प्रार्थना सभाओं का समय आगे बढ़ाने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
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स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला अस्पतालों को सर्दी जनित बीमारियों के इलाज हेतु विशेष वार्ड तैयार रखने के निर्देश दिए हैं।
मौसम परिवर्तन के पीछे का कारण
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड की यह स्थिति उत्तरी भारत की ठंडी हवाओं और वायुमंडलीय दाब प्रणाली के बदलाव के कारण है।
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पश्चिमी विक्षोभ की गति कम होने से
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उत्तर दिशा से आने वाली शुष्क व ठंडी हवाएँ सीधे छत्तीसगढ़ की ओर बह रही हैं।
इन हवाओं के कारण तापमान में अचानक गिरावट आ रही है और दिन व रात के तापमान में 10°C तक का अंतर देखा जा रहा है।

रायपुर और बिलासपुर में मौसम की स्थिति
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रायपुर में पिछले कुछ दिनों से सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस की जा रही है।
न्यूनतम तापमान लगभग 13.2°C दर्ज किया गया है। -
बिलासपुर में रात के तापमान में लगातार गिरावट आ रही है, और यह 12°C तक पहुँच गया है।
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दोनों शहरों में कोहरा और ठंडी हवाएँ आने वाले सप्ताह में और बढ़ सकती हैं।
स्कूल और कार्यालयों के लिए निर्देश
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि
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विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए सुबह की स्कूल बसों का समय 30 मिनट आगे बढ़ाया जाए।
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प्रार्थना सभाएँ खुले मैदान में न करवाई जाएँ।
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ठंड से बचाव के लिए बच्चों को गर्म कपड़े पहनने की सलाह दी जाए।
इसी तरह, कई कार्यालयों में भी कर्मचारियों को गर्म पेय पदार्थ और हीटर की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है।
लोगों की प्रतिक्रिया
रायगढ़ की गृहिणी माया दीक्षित बताती हैं —
“इस साल ठंड पिछले साल से पहले शुरू हो गई है। बच्चों को स्कूल भेजते समय जैकेट और टोपी पहनाना अब ज़रूरी हो गया है।”
वहीं, सरगुजा के व्यापारी रमेश अग्रवाल कहते हैं —
“सुबह-सुबह दुकान खोलना मुश्किल हो गया है, लेकिन मौसम सुहावना लग रहा है। लोग अब चाय और भुट्टा का मज़ा ले रहे हैं।”
कृषि पर असर
ठंड का असर खेती पर भी देखने को मिल रहा है।
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किसानों के अनुसार, यह तापमान गेहूं और चने की फसल के लिए फायदेमंद है।
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लेकिन बहुत ज्यादा शीतलहर आने पर सब्ज़ियों और दलहनों की पैदावार प्रभावित हो सकती है।
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कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसलों को पाले (frost) से बचाने के लिए सिंचाई करें और खेतों में नमी बनाए रखें।
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टमाटर, फूलगोभी, बंदगोभी, मटर — इनकी पत्तियाँ ठंड से मुरझा सकती हैं।
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नर्सरी पौधों की जड़ें जम सकती हैं, जिससे अंकुरण दर घट जाती है।
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टमाटर, मिर्च, बैंगन जैसी सब्जियाँ
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आलू और प्याज
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ताजी दलहनी फसलें (चना, मसूर)
छत्तीसगढ़ की कृषि पर बढ़ती ठंड का प्रभाव
नवंबर के महीने में जैसे-जैसे तापमान गिर रहा है, वैसे-वैसे छत्तीसगढ़ के किसानों की निगाहें आसमान और खेतों पर टिक गई हैं।
मौसम विभाग द्वारा जारी शीतलहर चेतावनी ने किसानों को सतर्क कर दिया है, क्योंकि तापमान में भारी गिरावट का सीधा असर फसलों की वृद्धि, उपज और गुणवत्ता पर पड़ता है।
रबी फसलों के लिए ठंड फायदेमंद
छत्तीसगढ़ में नवंबर से मार्च तक रबी फसल का मौसम माना जाता है। इस दौरान गेहूं, चना, मसूर, मटर, सरसों जैसी फसलें बोई जाती हैं।
हल्की ठंड इन फसलों के लिए अनुकूल मानी जाती है क्योंकि यह पौधों की बढ़वार को नियंत्रित कर दाने की गुणवत्ता बढ़ाती है।-
ठंड के कारण गेहूं की बालियों में दाना भरने की प्रक्रिया बेहतर होती है।
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चना और मसूर में फूल झड़ने की समस्या कम होती है।
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रोगजनक कीट (pests) जैसे फली छेदक और माहू का प्रकोप घटता है।
इस तरह मध्यम स्तर की ठंड किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है।
पाला बन सकता है खतरा
अगर रात का तापमान 5°C से नीचे चला गया, तो खेतों में पाले की स्थिति बन सकती है।
पाला पौधों की ऊपरी परत को जमा देता है, जिससे कोशिकाएँ फट जाती हैं और पौधा सूखने लगता है। -
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पत्तियों पर जलन के दाग,
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फूलों और फलों का झड़ना,
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उत्पादन में 20–30% तक की गिरावट।
सिंचाई और नमी का महत्व
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, शीतलहर के दौरान खेतों में पर्याप्त नमी बनाए रखना आवश्यक है।
अगर खेत सूखे रह जाएँ, तो पाले का असर ज़्यादा होता है।-
3–4 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें।
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फसलों के चारों ओर पुआल या सूखी घास बिछाएँ, ताकि मिट्टी में गर्मी बनी रहे।
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सुबह के समय खेत में पानी का छिड़काव करने से पाला बनने की संभावना कम हो जाती है।
सब्ज़ियों और बागवानी पर असर
छत्तीसगढ़ के कई किसान अब पारंपरिक खेती के साथ सब्ज़ी और बागवानी फसलों की ओर भी रुख कर चुके हैं।
लेकिन अचानक तापमान गिरने से इन फसलों में अधिक नुकसान का खतरा रहता है। -
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पौधों को प्लास्टिक शीट या पॉलीथिन से ढकें।
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खेतों की मेड़ों पर झाड़ियाँ या ताड़ की पत्तियाँ लगाएँ ताकि ठंडी हवा सीधे पौधों तक न पहुँचे।
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चारा फसलों और पशुधन पर प्रभाव
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ठंड में चारा फसलों (बरसीम, जई) की बढ़वार धीमी हो जाती है।
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पशुओं को खुले में चराने से ठंडी हवा के संपर्क में आने से बीमारियाँ बढ़ सकती हैं।
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डेयरी किसानों को पशु शेड में गर्म व्यवस्था (जैसे सूखी घास, तिरपाल से ढकना) करनी चाहिए।
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सावधान रहें – प्रशासन की अपील
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने नागरिकों से अपील की है कि
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ठंड में बिना आवश्यक कारण घर से बाहर न निकलें।
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जरुरतमंदों की मदद करें — खासकर सड़कों पर रहने वालों को कंबल या गर्म कपड़े दें।
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गैस हीटर या कोयले का उपयोग करते समय कमरे की वेंटिलेशन (हवा निकासी) खुली रखें ताकि दम घुटने की स्थिति न बने।
छत्तीसगढ़ में इस समय मौसम का मिज़ाज तेजी से बदल रहा है। IMD का येलो अलर्ट यह संकेत है कि आने वाले दिनों में ठंड और बढ़ेगी।
यह वह समय है जब सतर्कता और सावधानी अपनाने की जरूरत है — ताकि न केवल स्वास्थ्य सुरक्षित रहे, बल्कि दैनिक जीवन में भी कोई कठिनाई न आए।
राज्य सरकार, प्रशासन और आम नागरिकों के सामूहिक प्रयास से यह मौसम आनंददायक बन सकता है — बस आवश्यक एहतियात रखना ज़रूरी है।
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