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“छत्तीसगढ़ में ₹1,077 करोड़ की स्वीकृति तीन नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों से स्वास्थ्य-शिक्षा में नई क्रांति”

 राज्य की स्वास्थ्य-शिक्षा योजनाओं के तहत बड़ा कदम तीन नए सरकारी मेडिकल

छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए तीन नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए ₹1,077 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। यह फैसला न केवल राज्य के चिकित्सा ढांचे को सुदृढ़ करेगा बल्कि युवाओं को चिकित्सा शिक्षा में अधिक अवसर प्रदान करेगा।

यह पहल छत्तीसगढ़ की उन योजनाओं का हिस्सा है जो ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने और डॉक्टरों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से चलाई जा रही हैं।

राज्य की स्वास्थ्य-शिक्षा योजनाओं के तहत तीन नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए ₹1,077 करोड़ का बजट मंजूर। The Times of India


 निर्णय का मुख्य उद्देश्य

राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारना और हर जिले तक चिकित्सा सुविधाएँ पहुँचाना इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य है।
इसके साथ ही सरकार का लक्ष्य है —

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी को पूरा करना।

  2. युवाओं को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई के नए अवसर उपलब्ध कराना।

  3. राज्य में आधुनिक स्वास्थ्य अधोसंरचना (infrastructure) का विकास करना।

  4. स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करना।


 किन जिलों में बनेंगे नए मेडिकल कॉलेज

राज्य सरकार ने जिन तीन जिलों के लिए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी है, वे हैं —

  1. कोरिया (Baikunthpur) – यह इलाका उत्तर छत्तीसगढ़ का पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है, जहाँ आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी रही है।

  2. कवर्धा (Kabirdham) – यहाँ चिकित्सा संस्थान की कमी के कारण आसपास के मरीजों को रायपुर या बिलासपुर का रुख करना पड़ता था।

  3. जशपुर (Jashpur) – पहाड़ी और आदिवासी इलाकों वाला यह जिला अब एक बड़े मेडिकल कॉलेज से लाभान्वित होगा।

इन तीनों मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से राज्य के उत्तरी और आदिवासी बहुल क्षेत्रों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा।


 बजट और वित्तीय प्रावधान

सरकार ने कुल ₹1,077 करोड़ की राशि स्वीकृत की है, जिसका वितरण निम्नानुसार किया जाएगा:

राज्य सरकार का कहना है कि यह निवेश आने वाले दशकों तक प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।


 डॉक्टरों की कमी को दूर करने की दिशा में बड़ा कदम

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में लंबे समय से डॉक्टरों की भारी कमी रही है।
राज्य स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी लगभग 35% पद खाली हैं।
नई मेडिकल कॉलेजों के खुलने से हर साल 450 से 500 नए डॉक्टर राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में जुड़ सकेंगे।

इससे न केवल सरकारी अस्पतालों की स्थिति सुधरेगी, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों तक भी विशेषज्ञ चिकित्सक पहुँच सकेंगे।


 शिक्षा के क्षेत्र में नया अवसर

इन कॉलेजों में हर साल लगभग 150-150 MBBS सीटें होंगी।
इस तरह कुल मिलाकर 450 नई मेडिकल सीटें राज्य के छात्रों को मिलेंगी।
यह छत्तीसगढ़ के उन युवाओं के लिए विशेष अवसर होगा जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और निजी कॉलेजों की फीस वहन नहीं कर सकते।

साथ ही, कॉलेजों में नर्सिंग, पैरामेडिकल और फार्मेसी कोर्सेज भी शुरू किए जाएंगे ताकि चिकित्सा क्षेत्र में सहायक स्टाफ की कमी भी पूरी हो सके।


 निर्माण और समयसीमा

राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) ने बताया है कि सभी तीन कॉलेजों का निर्माण कार्य 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
निर्माण के लिए पहले चरण में 100 एकड़ से अधिक भूमि चिन्हित कर ली गई है।
इन कॉलेजों के साथ-साथ 500 बेड वाले आधुनिक अस्पताल भी बनाए जाएंगे, ताकि मरीजों को उच्च स्तरीय इलाज की सुविधा मिल सके।


 स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से स्थानीय स्तर पर रोजगार, व्यापार और आवासीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
निर्माण कार्य के दौरान हजारों लोगों को काम मिलेगा और बाद में शिक्षण, प्रशासनिक और स्वास्थ्य सेवाओं में स्थायी नौकरियाँ उत्पन्न होंगी।
इसके अलावा, कॉलेज के आस-पास छोटे व्यवसाय, दवा दुकानें, कैफेटेरिया, और अन्य सेवाएँ भी विकसित होंगी।


 स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव

राज्य में इस समय कुल 13 सरकारी मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं।
इन तीन नए कॉलेजों के जुड़ने के बाद कुल संख्या 16 हो जाएगी
इससे राज्य का स्वास्थ्य नेटवर्क और भी सुदृढ़ होगा।

इन कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में —

इससे ग्रामीणों को अब राजधानी रायपुर या बिलासपुर की ओर नहीं जाना पड़ेगा।


 सरकारी योजनाओं से समन्वय

यह परियोजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) से जुड़ी हुई है।
इसके अंतर्गत राज्य को केंद्र से भी आंशिक सहायता मिलेगी।

साथ ही, राज्य सरकार “मुख्यमंत्री चिकित्सा शिक्षा विस्तार योजना” के तहत छात्रों को स्कॉलरशिप और प्रशिक्षण सुविधाएँ भी प्रदान करेगी।


 भविष्य की संभावनाएँ

इन कॉलेजों के शुरू होने से छत्तीसगढ़ न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि पड़ोसी राज्यों जैसे ओडिशा, झारखंड और मध्यप्रदेश के छात्रों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा।
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले पाँच वर्षों में छत्तीसगढ़ को “पूर्वी भारत का मेडिकल हब” बनाया जाए।


 सरकार और विशेषज्ञों की राय

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा —

“हमारा सपना है कि छत्तीसगढ़ के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज हो। यह सिर्फ इमारत नहीं, बल्कि जनता के स्वास्थ्य की गारंटी होगी।”

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने जोड़ा —

“इन कॉलेजों के खुलने से हमारे युवाओं को अपने ही राज्य में उच्च चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा और डॉक्टरों की कमी काफी हद तक दूर होगी।”

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे “गेम-चेंजर निर्णय” बताया है, जो छत्तीसगढ़ को आने वाले वर्षों में चिकित्सा शिक्षा के मानचित्र पर अग्रणी बनाएगा।

₹1,077 करोड़ की यह पहल केवल मेडिकल कॉलेजों के निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश है।
इससे एक ओर जहाँ जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ मिलेंगी, वहीं दूसरी ओर राज्य के युवाओं को मेडिकल क्षेत्र में स्वावलंबन का अवसर मिलेगा।

इन तीन नए कॉलेजों से छत्तीसगढ़ की पहचान सिर्फ “खनिज राज्य” के रूप में नहीं, बल्कि “स्वास्थ्य और शिक्षा के उभरते केंद्र” के रूप में भी होगी।

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