Site icon City Times Raigarh

“छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक सफलता अबूझमाड़ और नारदीसता नक्सल मुक्त घोषित, विकास की नई सुबह”

अबूझमाड़ और नारदीसता नक्सल मुक्त घोषित छत्तीसगढ़ के इतिहास में नई सुबह

छत्तीसगढ़ के इतिहास में 21 अक्टूबर 2025 का दिन एक ऐतिहासिक मोड़ बन गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस दिन घोषणा की कि राज्य के दो प्रमुख क्षेत्र — अबूझमाड़ (Abujhmad) और नारदीसता (North Bastar – Naradistha region) — को पूरी तरह नक्सल मुक्त घोषित किया गया है।

यह फैसला न केवल सुरक्षा बलों की वर्षों की मेहनत का परिणाम है, बल्कि छत्तीसगढ़ में शांति, विकास और विश्वास की नई शुरुआत का प्रतीक भी है।

राज्य में दो प्रमुख क्षेत्रों — अबुजमार्ह और नारदीसता (North Bastar) — को नक्सल मुक्त घोषित किया गया है। The Economic Times


 नक्सलवाद का पृष्ठभूमि

छत्तीसगढ़ लंबे समय से नक्सल प्रभावित राज्यों में शामिल रहा है।
विशेष रूप से दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और कांकेर जैसे जिले दशकों तक हिंसा, मुठभेड़ों और असुरक्षा की छाया में जीते रहे।

अबूझमाड़, जिसे कभी “रेड कॉरिडोर का हृदय” कहा जाता था, नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता था।
वहीं नारदीसता, यानी उत्तरी बस्तर का क्षेत्र, नक्सलियों के रणनीतिक ठिकानों में से एक रहा है।


संघर्ष की लम्बी यात्रा

नक्सल आंदोलन की जड़ें छत्तीसगढ़ में 1980 के दशक में पड़ीं।
जंगलों में बसे आदिवासी इलाकों को नक्सलियों ने अपने प्रभाव में लिया और धीरे-धीरे यह एक सशस्त्र विद्रोह का रूप ले बैठा।

पिछले 20 वर्षों में हजारों निर्दोष नागरिक, पुलिसकर्मी, और सरकारी अधिकारी इस हिंसा के शिकार बने।
कई बार विकास कार्य ठप पड़े, स्कूल और अस्पताल बंद रहे, और पूरा क्षेत्र सरकार की पहुंच से दूर हो गया।

लेकिन पिछले एक दशक में स्थिति ने करवट ली।
केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर नक्सलवाद को खत्म करने की रणनीति पर काम शुरू किया, जिसमें सुरक्षा, विकास और विश्वास तीनों स्तंभ शामिल थे।


 सरकार की बहु-आयामी रणनीति

अबूझमाड़ और नारदीसता को नक्सल मुक्त बनाने के पीछे जो रणनीति रही, वह सिर्फ सैन्य नहीं बल्कि मानव-केन्द्रित दृष्टिकोण पर आधारित थी।

1. सुरक्षा अभियान

2. विकास को गति

3. विश्वास का निर्माण


 अबूझमाड़ रहस्य से उजाले की ओर

अबूझमाड़ छत्तीसगढ़ का सबसे दुर्गम क्षेत्र है —
2,500 वर्ग किलोमीटर से अधिक का पहाड़ी, जंगलों से घिरा इलाका, जहाँ पहले प्रशासन की पहुँच तक नहीं थी।
यहाँ न तो कोई सड़कें थीं, न अस्पताल, न स्कूल।

अब, स्थिति बदल चुकी है —

अबूझमाड़ में अब पुलिस चौकी और स्वास्थ्य केंद्र नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं।
लोग सरकारी कार्यालयों में जाकर अपने अधिकारों की बात करने लगे हैं।


 नारदीसता नक्सली गढ़ से विकास क्षेत्र तक

नारदीसता (North Bastar) क्षेत्र एक समय नक्सल नेतृत्व का मुख्यालय माना जाता था।
यहाँ से नक्सली संगठन अपनी गतिविधियों का संचालन करते थे।

अब यह इलाका कृषि, वन उत्पाद और हस्तशिल्प विकास के लिए जाना जाने लगा है।

इस क्षेत्र में अब पहली बार “आदिवासी हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र” खोला गया है, जो स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार सिखा रहा है।


 आत्मसमर्पण की लहर

2020 से 2025 के बीच, छत्तीसगढ़ में लगभग 2,200 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
इनमें से करीब 400 अबूझमाड़ और नारदीसता के थे।
आत्मसमर्पण करने वाले कई कमांडर अब पुलिस या समाजसेवी संगठनों के साथ मिलकर “शांति दूत” के रूप में काम कर रहे हैं।

एक पूर्व नक्सली ने कहा —

“हमने पहली बार देखा कि सरकार सच में हमारे गाँव तक आई है। पहले सिर्फ बंदूक थी, अब स्कूल और अस्पताल हैं।”


 विकास की नई योजनाएँ

अबूझमाड़ और नारदीसता दोनों में आने वाले दो वर्षों में कई योजनाएँ लागू की जा रही हैं:

  1. सड़क संपर्क योजना

    • कुल 350 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण प्रस्तावित है।

  2. शिक्षा और कौशल विकास

    • 25 नए स्कूल और 5 आवासीय विद्यालय बनेंगे।

    • युवाओं के लिए “माड़ अकादमी” नामक कौशल केंद्र शुरू हुआ है।

  3. स्वास्थ्य मिशन

    • हर 25 किलोमीटर पर मिनी हेल्थ सेंटर और मोबाइल एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध होगी।

  4. डिजिटल कनेक्टिविटी

    • BSNL और Jio द्वारा टॉवर स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे पहली बार मोबाइल नेटवर्क पहुँचा है।


 स्थानीय लोगों की भावनाएँ

अबूझमाड़ और नारदीसता के लोग अब डर की बजाय आशा और विश्वास के साथ जीवन जी रहे हैं।
गाँवों में पहली बार “दीपावली महोत्सव” और “शांति पर्व” मनाया गया।
युवा अब हथियार की जगह किताब उठाने की बात कर रहे हैं।

एक स्थानीय शिक्षक का कहना है —

“पहले स्कूल में बच्चे नहीं आते थे क्योंकि माता-पिता डरते थे। अब पूरा गाँव पढ़ाई को बढ़ावा दे रहा है।”


 प्रशासनिक उपलब्धियाँ

राज्य सरकार ने पिछले पाँच सालों में नक्सल प्रभावित जिलों में

अबूझमाड़ और नारदीसता के नक्सल प्रभावित गाँवों में अब पंचायत चुनाव भी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए, जो इस परिवर्तन का सबसे बड़ा प्रमाण है।


 विशेषज्ञों की राय

सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार,

“नक्सलवाद को समाप्त करने का सबसे स्थायी तरीका विकास और जनविश्वास है, और छत्तीसगढ़ ने यह मॉडल पूरे देश के सामने प्रस्तुत किया है।”

राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा,

“अबूझमाड़ में अब गोली नहीं, गवर्नेंस की गूंज है। लोग सरकार से जुड़ रहे हैं और यह सबसे बड़ी जीत है।”


 भविष्य की राह

अबूझमाड़ और नारदीसता को नक्सल मुक्त घोषित करना अंत नहीं, बल्कि नए युग की शुरुआत है।
अब सबसे बड़ी चुनौती है —

राज्य सरकार ने अगले तीन वर्षों में इन क्षेत्रों को “विकसित आदिवासी जिला मॉडल” के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है।

अबूझमाड़ और नारदीसता को नक्सल मुक्त घोषित किया जाना छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
यह साबित करता है कि जब सरकार, सुरक्षा बल और जनता मिलकर काम करें तो कोई भी संघर्ष असंभव नहीं होता।

आज इन इलाकों में विकास की रोशनी फैली है —
जहाँ कभी बंदूक की आवाज़ थी, अब स्कूलों की घंटियाँ और बच्चों की हँसी सुनाई देती है।
यह सिर्फ नक्सलवाद की हार नहीं, बल्कि लोकतंत्र और मानवता की जीत है।

Next –

तोमन कुमार की ओलंपिक की ओर 1 बढ़ती यात्रा छत्तीसगढ़ के पैरा आर्चर की प्रेरणादायक कहानी

Exit mobile version